Kanpur News: एक शहर से दूसरे शहर जाने के लिए सरकार रास्तों को ज्यादा से ज्यादा सुगम करने के लिए काम कर रही है. कानपुर शहर में 95 किलोमीटर की रेंज में रिंग रोड तैयार की जा रही है और इसके साथ ही तैयार होने जा रहा गंगा नदी पर 6 लेन के दो पुल जिन्हें प्री कास्ट तकनीक से बनाने की तैयारी हो रही है.
इस तकनीक से समय, पैसा और लेबर दोनों ही बचेगी, इन दोनों पुलों को तैयार कराने की जिम्मेदारी नेशनल हाइवे अथॉरिटी ने की है. जिसकी लागत तकरीबन 900 करोड़ रुपया आएगी, वो भी तक जब इसे प्री कास्ट तकनीक से तैयार किया जाए. वहीं 95 किलोमीटर रिंग रोड तैयार करने का खर्च 11 हजार करोड़ रुपये का आ रहा है.
इस परियोजना में 95 किलोमीटर की रिंग रोड बनाई जाएगी
कानपुर में 11 हजार करोड़ की रिंग रोड की परियोजना को लेकर शुरुआत हो चुकी है. इस योजना में 95 किलोमीटर की रिंग रोड बननी है. जिसके चलते दो पुल भी तैयार किए जाने हैं. जिन्हें नेशनल हाइवे अथॉरिटी तैयार करेगा और खास बात ये है कि इस पुल को सिक्स लेन व्यवस्था के चलते तैयार किया जाएगा जोकि कानपुर के बिठूर क्षेत्र से मंधना और रूमा से आटा क्षेत्र के बीच गंगा नदी पर तैयार किया जाएगा. जिसमें 3.3 किलोमीटर का एक पुल और 1.1 किलोमीटर का दूसरा पुल बनेगा. रिंग रोड की कीमत में इजाफा न हो जिसके चलते इस पुल को प्री कास्ट तकनीक से तैयार किया जायेगा, जिसमें समय के साथ पैसे का खर्च भी तीस फीसदी कम हो जाएगा. जिससे इसका बजट नहीं बढ़ेगा, साथ ही इसकी मजबूती और सुरक्षा इसे बेहतर बनाएगी.
वहीं नेशनल हाईवे अथॉरिटी के उप प्रबंधक श्री राम कुशवाहा ने बताया कि ये मंधना और बिठूर के बीच बनने वाला 6 लेन पुल अगली साल तक बनकर चलने योग्य हो जाएगा. इस पुल को प्री कास्ट तकनीक के माध्यम से तैयार किया जाएगा, जोकि कई मायनों में फायदेमंद साबित होगा. मजबूती के लिहाज से समय के लिहाज से काफी लाभ मिलेगा और जो भी इस पुल को बनाने में लेबर कॉस्ट आने वाली है, उसमें भी कमी आएगी.
क्या है प्री कास्ट तकनीक?
इस तकनीक में पुल में लगने वाले हिस्से को नाप कर साइट पर न बनकर उसे किसी फैक्ट्री या अन्य स्थान पर तैयार किया जाता है और फिर उसे निर्माण वाले क्षेत्र में लाकर असेंबल किया जाता है. इस तकनीक के माध्यम से बनाए गए पुल या सड़क बहुत मजबूत माने जाते हैं. लेकिन ऐसे अब सड़क, भवन, पुल आदि तमाम तरह के निर्माण प्री कास्ट तकनीक से हो रहे हैं. इस तकनीक में पहले सांचे तैयार किए जाते हैं, फिर उसके बाद उसमें सीमेंट, कंक्रीट, मौरंग की मदद से ढाला जाता है और जब टुकड़ा तैयार हो जाता है तो उसे के माध्यम से लोड कर साइट पर पहुंचा दिया जाता है. जहां उसे कुशल नेतृत्व में असेंबल कर दिया जाता है.