कानपुर देहात के साढ़ थाना क्षेत्र में एक अनोखी प्रेम कहानी सामने आई है. यहां एक युवती ने अपने बालिग होने का छह महीने तक इंतजार किया और 18 साल की होते ही अपने प्रेमी के घर पहुंच गई. उसने युवक के परिवार के सामने शादी का प्रस्ताव रखा, जिससे घर वाले चौंक गए. मामला पुलिस तक पहुंचा, जहां थाने में ही दोनों की शादी कराई गई.
कहां का है मामला?
बरईगढ़ गांव की ज्योति का छह महीने पहले महेश नाम के युवक से प्रेम संबंध बना. दोनों अक्सर मिलते थे और उन्होंने शादी का फैसला कर लिया था. लेकिन, उस समय ज्योति नाबालिग थी. उसने 31 दिसंबर को अपना 18वां जन्मदिन मनाया और अगले ही दिन यानी 2 जनवरी को अपने प्रेमी के घर शादी का प्रस्ताव लेकर पहुंच गई.
परिजनों का विरोध और पुलिस का हस्तक्षेप
महेश के परिवार ने पहले शादी के प्रस्ताव का विरोध किया और युवती से बहस शुरू कर दी. गांववालों को जब इस घटना की जानकारी मिली, तो उन्होंने पुलिस को सूचित किया. साढ़ थाना प्रभारी केपी सिंह के नेतृत्व में पुलिस मौके पर पहुंची और दोनों को थाने ले आई.
थाने में हुई शादी
थाने में दोनों परिवारों के बीच लंबी बातचीत हुई. महेश के परिजन चाहते थे कि शादी कुछ दिन बाद हो, लेकिन ज्योति ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उसने स्पष्ट किया कि उसने पहले ही अपनी उम्र पूरी होने का इंतजार किया है और अब वह और इंतजार नहीं करेगी.
लड़की को डर था कि शादी पहले हुई तो कार्रवाई होगी
साढ़ थाने में जब प्रेमी प्रेमिका की शादी के लिए दोनों पक्षों के बीच समझौता हो रहा था तब युवक के परिजनों ने कुछ दिनों बाद शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन लड़की स्वीकार करने को तैयार नहीं थी, कहना था कि उम्र पूरी न होने से छह माह का इंतजार किया है लेकिन अब वह शादी करेगी। उसको इस बात की भी जानकारी थी कि अगर बालिग होने के एक दिन पहले भी शादी कर ली तो उस पर कार्यवाही हो जाएगी इसलिए समय पूरा होने पर शादी की जिद पर अड़ी रही।
पुलिस ने क्या कहा?
इस मामले में सांढ थाना प्रभारी केपी सिंह ने बताया कि लड़की नाबालिग थी और वो 18 साल की उम्र पूरी करने का इंतजार कर रही थी, जिससे वह अपने प्रेमी से शादी कर सके. उन्होंने बताया कि इस शादी के लिए युवक और युवती के परिजन तैयार नहीं थे, लेकिन युवक- युवती के जिद के सामने दोनों परिवारों ने उनकी शादी थाने के बाहर बने एक मंदिर में करा दी. इस मामले में दोनों ही परिवारों ने थाने में एक लिखित समझौतानामा दिया, जिसमें कोई कानूनी कार्रवाई न करने की बात कही है.