संविधान से अनुच्छेद 370 हटे 5 साल हो गए हैं, लेकिन विपक्ष आज भी इसके विरोध में खड़ी है. हाल ही में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने इससे जुड़ा बड़ा बयान दे दिया है.
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार को समय रहते जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस देना चाहिए, वरना नई दिल्ली को अपने फैसलों पर पछताना पड़ेगा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगस्त 2019 के बाद लिए गए एकतरफा निर्णयों ने लोगों में भरोसा जगाने के बजाय दूरी ही बढ़ाई है.
पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात में तीखा हमला
अब्दुल्ला ने अनंतनाग वेस्ट से विधायक अब्दुल मजीद भट लारमी के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की. पीटीआई के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने उन्हें संगठनात्मक मुद्दों और जन संपर्क अभियानों की जानकारी दी. इस दौरान नेताओं ने वर्तमान हालात और जनता की चिंताओं पर भी चर्चा रखी.
अब्दुल्ला ने इस बातचीत के दौरान कहा कि केंद्र ने बार-बार लोगों का विश्वास जीतने के मौके गंवाए हैं. सुरक्षा आधारित दृष्टिकोण हमेशा भरोसा बनाने के प्रयासों पर हावी रहा है. उन्होंने कहा कि 2024 विधानसभा चुनावों में जनता की भारी भागीदारी से यह साफ है कि लोगों का भरोसा भारतीय संविधान और लोकतंत्र में कायम है, लेकिन राज्य का दर्जा बहाल न करना उस विश्वास के विपरीत है.
अगस्त 2019 के फैसलों पर कड़ा सवाल
अब्दुल्ला ने अगस्त 2019 में धारा 370 हटाने और राज्य को केंद्रशासित प्रदेश में बदलने के फैसले को लेकर भी सरकार पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि उस समय दावा किया गया था कि जम्मू-कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों के बराबर लाया जाएगा, लेकिन सच यह है कि आज यहां के लोगों को अपवाद की तरह देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि राज्य का दर्जा बहाल करने में देरी जनता के लोकतांत्रिक विश्वास को कमजोर कर रही है.
उन्होंने कहा कि यह केवल राजनीति का मुद्दा नहीं है बल्कि न्याय और समानता का सवाल है. नई दिल्ली को जनता से किए गए वादे निभाने चाहिए और तुरंत राज्य का दर्जा लौटाना चाहिए. उन्होंने जोर दिया कि वादों की पूर्ति ही जनता के भरोसे को मजबूत करेगी.
NC की प्रतिबद्धता दोहराई
नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष ने साफ कहा कि उनकी पार्टी शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीकों से जनता के अधिकारों और कल्याण के लिए संघर्ष करती रहेगी. उन्होंने कहा कि पार्टी राज्य का दर्जा बहाल कराने के साथ-साथ अन्य संवैधानिक गारंटियों के लिए भी लगातार आवाज उठाएगी.
अब्दुल्ला ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र ने समय रहते कदम नहीं उठाए तो नई दिल्ली को एक दिन अपने फैसलों पर पछताना पड़ेगा. उन्होंने कहा, “यह राजनीति से आगे की बात है. यह न्याय, समानता और जनता से किए गए वायदों को पूरा करने का विषय है.”