Jagdeep Dhankhar on Justice Yashwant Verma: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश के आवास से बड़े पैमाने पर नकदी की बरामदगी से जुड़े मामले में प्राथमिकी दर्ज न किए जाने पर गुरुवार (17 अप्रैल, 2025) को सवाल उठाए और कहा कि क्या कानून से परे एक श्रेणी को अभियोजन से छूट हासिल है.
धनखड़ ने कहा, ‘अगर यह घटना आम आदमी के घर पर हुई होती तो इसकी (प्राथमिकी दर्ज किए जाने की) गति इलेक्ट्रॉनिक रॉकेट सरीखी होती, लेकिन उक्त मामले में तो यह बैलगाड़ी जैसी भी नहीं है.’ उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्र जांच या पूछताछ के खिलाफ किसी तरह का सुरक्षा कवच नहीं है. उन्होंने कहा कि किसी संस्था या व्यक्ति को पतन की ओर धकेलने का सबसे पुख्ता तरीका उसे जांच से सुरक्षा की पूर्ण गारंटी प्रदान करना है.
उच्चतम न्यायालय ने 14 मार्च को होली की रात दिल्ली में न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के आवास पर लगी भीषण आग को बुझाने के दौरान वहां कथित तौर पर बड़े पैमाने पर नोटों की अधजली गड्डियां बरामद होने के मामले की आंतरिक जांच के आदेश दिए थे. इसके अलावा न्यायमूर्ति वर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय से वापस इलाहाबाद उच्च न्यायालय भेज दिया गया था.
धनखड़ ने न्यायाधीशों की समिति की कानूनी वैधता पर सवाल उठाए
धनखड़ ने मामले की आंतरिक जांच के लिए गठित तीन न्यायाधीशों की समिति की कानूनी वैधता पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि तीन न्यायाधीशों की समिति मामले की जांच कर रही है, लेकिन जांच कार्यपालिका का अधिकार क्षेत्र है न्यायपालिका का नहीं. उपराष्ट्रपति ने दावा किया कि समिति का गठन संविधान या कानून के किसी प्रावधान के तहत नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि समिति क्या कर सकती है? समिति अधिक से अधिक सिफारिश कर सकती है, लेकिन सिफारिश किससे? और किसलिए?
‘7 दिन तक किसी को इस घटना के बारे में पता ही नहीं था’
राज्यसभा प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है. भले ही इस मामले के कारण शर्मिंदगी या असहजता का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अब समय आ गया है कि इससे पर्दा उठाया जाए. सारी सच्चाई सार्वजनिक मंच पर आने दें, ताकि व्यवस्था को साफ किया जा सके.’ उन्होंने कहा कि सात दिन तक किसी को इस घटनाक्रम के बारे में पता ही नहीं था.
‘न्यायपालिका कठघरे में खड़ी है’
उन्होंने कहा, ‘अब राष्ट्र बेसब्री से इंतजार कर रहा है. राष्ट्र बेचैन है, क्योंकि हमारी एक संस्था जिसे लोग हमेशा से सर्वोच्च सम्मान और आदर की दृष्टि से देखते आए हैं, वह अब कठघरे में खड़ी है.’ उन्होंने कहा कि मामले में प्राथमिकी न दर्ज किए जाने के मद्देनजर फिलहाल कानून के तहत कोई जांच नहीं हो रही है.
उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘यह देश का कानून है कि हर संज्ञेय अपराध की सूचना पुलिस को देना जरूरी है और ऐसा न करना एक अपराध है. इसलिए आप सभी को आश्चर्य हो रहा होगा कि कोई प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज की गई.’ उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि उपराष्ट्रपति सहित किसी भी संवैधानिक पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की जा सकती है. उपराष्ट्रपति ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान में केवल राष्ट्रपति और राज्यपालों को ही अभियोजन से छूट प्रदान की गई है. उन्होंने आश्चर्य जताते हुए कहा कि तो फिर कानून से परे एक श्रेणी को यह छूट कैसे हासिल हुई?’