मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के गोकलपुर स्थित बाल सुधार गृह से 8 नाबालिगों के फरार होने का सनसनीखेज मामला सामने आया है. पूरी घटना का सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है. जिसमें सभी नाबालिग आरोपी मस्ती करते हुए भागते नजर आ रहे हैं. भागने के दौरान नाबालिगों ने एक बाइक भी घसीटकर साथ ले जाने की कोशिश की. वहीं अधीक्षक की शिकायत पर रांझी पुलिस ने मामला दर्ज करते हुए सभी आठ नाबालिगों की तलाश शुरू कर दी है. जिसके लिए पुलिस थानों की दो टीम एवं क्राइम ब्रांच की टीम तलाश कर रही है.
दरअसल, यह घटना मंगलवार रात करीब 2 बजे की है. सभी 8 नाबालिगों ने पहले सुधार गृह के चौकीदार पर ताले से हमला किया और फिर छत का दरवाजा तोड़कर फरार हो गए. चौकीदार के सिर पर गंभीर चोटें आई हैं. फरार हुए नाबालिगों में से 6 जबलपुर के, 1 मंडला का और 1 अन्य जिले का निवासी है. इनमें से 2 को आर्म्स एक्ट के तहत और 6 अन्य अपराधों के आरोप में बाल संप्रेक्षण गृह लाया गया था.
सुरक्षा में लगाई सेंध
घटना के बाद अधीक्षक की शिकायत पर रांझी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अधीक्षक ने फरार हुए नाबालिगों को पकड़ने के लिए दो विशेष टीमें गठित की हैं. ये टीमें लगातार संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही हैं. सीसीटीवी फुटेज में सभी नाबालिग भागते समय हंसी-मजाक करते और मस्ती में नजर आ रहे हैं. यह घटना बाल सुधार गृह की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर सुरक्षा में सेंध कैसे लगी? क्या सुधार गृह के अंदर की सुरक्षा पुख्ता थी या नहीं?
दो पुलिस टीमें तैनात
इस घटना के बाद प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं. बाल सुधार गृह में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम थे या नहीं, इसकी भी जांच की जा रही है. साथ ही, फरार नाबालिगों को जल्द से जल्द पकड़ने के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. इस मामले पर जबलपुर के एडिशनल एसपी सूर्यकांत शर्मा ने कहा कि पुलिस लगातार प्रयास कर रही है और जल्द ही सभी नाबालिग आरोपियों को पकड़ लिया जाएगा. वहीं बाल सुधार गृह के अधीक्षक ने इस घटना पर चिंता व्यक्त की और सुरक्षा में हुई चूक की जांच की बात कही.
सुरक्षा व्यवस्था पर उठा रहे सवाल
गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं है इस बाल सुधार गृह से नाबालिग भागे हैं. इससे पहले भी कई बार भाग चुके हैं. घटना बाल सुधार गृहों की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर एक बड़ा सवाल खड़ा करती है. इस तरह की घटनाएं ना सिर्फ कानून-व्यवस्था की कमजोरी दिखाती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि बाल अपराधियों की निगरानी में सुधार की आवश्यकता है. अब देखना यह होगा कि पुलिस कब तक इन फरार नाबालिगों को पकड़ने में सफल होती है.