ईरान के नए राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान के चुनाव जीतने के बाद सबको ये जिज्ञासा थी कि वे क्षेत्र के विद्रोह समूह के साथ कैसे रिश्ते रखेंगे. क्योंकि उनको एक सुधारवादी नेता के तौर पर देखा जा रहा है, जो पश्चिमी देशों से रिश्ते स्थापित करने की वकालत करते हैं. पेजेश्कियान की जीत के बाद हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह ने उनको मुबारकबाद देते हुए उम्मीद जताई थी कि ईरान का सपोर्ट पहले जैसा ही रहेगा. अब पेजेश्कियन ने हसन नसरल्लाह को आश्वासन दिया है कि रेसिस्टेंस संगठनों को ईरान की मदद पहले की ही तरह जारी रहेगी.
ईरान हिजबुल्लाह को वित्तीय और सैन्य सहायता देता है, जो ईरान प्रॉक्सी का सबसे ताकतवर और प्रमुख सदस्य है. ईरान प्रॉक्सी ईरान समर्थक सशस्त्र समूहों को कहा जाता है, जो इजराइल और अमेरिका के खिलाफ लड़ रहे हैं. हिजबुल्लाह के अलावा इन प्रॉक्सीज में गाजा में हमास, यमन में हूती और सीरिया और इराक में कई मिलिशिया ग्रुप शामिल हैं.
नसरल्लाह को लिखा पत्र
IRGC द्वारा चलाई जाने वाले फार्स न्यूज के मुताबिक, ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने हिजबुल्लाह चीफ को पत्र लिखा है. इस पत्र में कहा गया है कि ईरान ने हमेशा अवैध जायोनी शासन (इजराइल) के खिलाफ क्षेत्र के लोगों के प्रतिरोध का समर्थन किया है, प्रतिरोध का समर्थन करना ईरान की बुनियादी नीतियों का हिस्सा है और यह मजबूती के साथ जारी रहेगा.” पेजेश्कियान ने आगे कहा, “मुझे पूरा भरोसा है कि प्रॉक्सी ग्रुप क्षेत्र में इजराइल के आतंक को बढ़ने से रोकेंगे.”
सुप्रीम लीडर के पास अधिकार
ईरान के सिस्टम के हिसाब से ईरान में विदेश नीति और परमाणु कार्यक्रम सहित सभी राज्य मामलों पर आखिरी अधिकार राष्ट्रपति नहीं बल्कि सुप्रीम लीडर के पास होता है. इसलिए नए राष्ट्रपति के आने से क्षेत्र में प्रॉक्सी के लिए ईरान का समर्थन बदलने की संभावना नहीं थी. हालांकि, नए राष्ट्रपति एक डॉक्टर हैं और वैचारिक तौर पर वो प्रोग्रेसिव सोच के माने जाते हैं, ऐसे में उनसे वर्ल्ड लेवल पर कुछ अलग उम्मीदें की जा रही हैं. मगर, अपने पहले ही फैसले में वो सुप्रीम लीडर के नेतृत्व में अपनाई जा रही ईरान की नीतियों के साथ खड़े नजर आ रहे हैं.
85 साल के सुप्रीम लीडर अली खामेनेई 1989 से ईरान के सुप्रीम लीडर हैं और ईरान के लगभग सभी अहम फैसले उनकी सहमति के बाद ही होते हैं.