कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में मंगलवार को राहुल गांधी ने कहा कि हम दलित, मुस्लिम और ब्राह्मण में उलझे रहे और ओबीसी हमारा साथ छोड़ गया। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक राहुल ने यह भी कहा- हम मुस्लिमों की बात करते हैं, इसलिए हमें मुस्लिम परस्त कहा जाता है। हमें ऐसी बातों से डरना नहीं है। मुद्दे उठाते रहना है।
खड़गे बोले- भाजपा-संघ के लोग गांधीजी का चश्मा-छड़ी चुरा सकते हैं, उनके आदर्श नहीं
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने मंगलवार को कहा कि सरदार वल्लभभाई पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत है। यह हास्यास्पद है कि आज वह संगठन, जिसका स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं है, उनकी विरासत का दावा कर रहा है।
खड़गे ने आरोप लगाया कि आज भाजपा और संघ परिवार के लोग गांधी से जुड़ी संस्थाओं पर कब्जा कर रहे हैं और उन्हें उनके वैचारिक विरोधियों को सौंप रहे हैं। उन्होंने वाराणसी में सर्व सेवा संघ पर भी कब्जा कर लिया है। आप सभी जानते हैं कि गुजरात विद्यापीठ में क्या हुआ।खड़गे ने आरोप लगाया कि गांधीवादी और सहकारी आंदोलन के लोगों को हाशिए पर रखा जा रहा है। ऐसी सोच रखने वाले लोग गांधीजी का चश्मा चुरा सकते हैं और छड़ी मार सकते हैं। लेकिन वे कभी भी उनके आदर्शों का पालन नहीं कर सकते। खड़गे अहमदाबाद में कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में बोल रहे थे।

भाजपा जानबूझकर नेहरू-पटेल को एक-दूसरे का विरोधी बताती है उन्होंने आरोप लगाया कि पिछले कई वर्षों से कई राष्ट्रीय नायकों को लेकर एक सुनियोजित साजिश की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया जा रहा है, जिसका पिछले 140 वर्षों से देश की सेवा और लड़ाई का गौरवशाली इतिहास है।
उन्होंने भाजपा-RSS पर हमला करते हुए कहा कि उनके पास स्वतंत्रता संग्राम में अपने योगदान के रूप में दिखाने के लिए कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह दिखाने की साजिश की कि सरदार पटेल और पंडित नेहरू के बीच ऐसा रिश्ता था कि दोनों नायक एक-दूसरे के खिलाफ थे। सच्चाई यह है कि वे एक ही सिक्के के दो पहलू थे।
पटेल और नेहरू के किस्से सुनाए खड़गे ने कहा- कई घटनाएं और दस्तावेज पटेल और नेहरू के सौहार्दपूर्ण संबंधों के गवाह हैं। खड़गे ने 1937 में गुजरात विद्यापीठ में सरदार पटेल के भाषण का हवाला देते हुए एक घटना सुनाई। उन्होंने बताया- उस दौरान नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष थे और गुजरात के युवा चाहते थे कि उन्हें प्रांतीय चुनावों में प्रचार के लिए बुलाया जाए।
सरदार पटेल ने 7 मार्च 1937 को कहा था कि जिस दिन गुजरात इस चुनाव आंदोलन में विजयी होकर कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी साबित करेगा, हम कांग्रेस अध्यक्ष नेहरूजी का फूलों से स्वागत करेंगे। आप इस बात से समझ सकते हैं कि सरदार नेहरूजी से कितना प्यार करते थे।
सरदार पटेल ने नेहरू की सराहना की खड़गे ने कहा- 14 अक्टूबर 1949 को सरदार पटेल ने नेहरूजी के लिए एक किताब में कहा था- पिछले दो कठिन वर्षों में नेहरूजी ने देश के लिए जो अथक प्रयास किए हैं, उसे मुझसे बेहतर कोई नहीं जानता। उन्होंने कहा कि इस अवधि के दौरान मैंने उन्हें भारी जिम्मेदारियों के बोझ के कारण बहुत तेजी से बूढ़ा होते देखा है।
खड़गे ने कहा कि ये बातें सार्वजनिक रिकॉर्ड में दर्ज हैं अगर उन्हें कोई सलाह लेनी होती तो वे खुद पटेल जी के घर जाते। पटेल जी की सुविधा के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठकें उनके आवास पर होती थीं।

सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगाया खड़गे ने कहा- पटेल की विचारधारा आरएसएस के विचारों के विपरीत थी। उन्होंने संगठन पर प्रतिबंध भी लगाया था। लेकिन यह हास्यास्पद है कि आज उस संगठन के लोग सरदार पटेल की विरासत का दावा करते हैं। उन्होंने दावा किया कि महात्मा गांधी और सरदार पटेल ने बाबा साहेब अंबेडकर को संविधान सभा का सदस्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी
RSS ने गांधी, नेहरू, अंबेडकर के पुतले जलाए खड़गे ने याद दिलाया कि अंबेडकर ने खुद 25 नवंबर 1949 को संविधान सभा में अपने अंतिम भाषण में कहा था कि कांग्रेस पार्टी के समर्थन के बिना संविधान नहीं बनाया जा सकता था। लेकिन जब संविधान बना तो RSS ने गांधी जी, पंडित नेहरू, डॉ अंबेडकर और कांग्रेस की खूब आलोचना की। उन्होंने रामलीला मैदान में संविधान और इन नेताओं के पुतले जलाए। उन्होंने यह भी कहा कि संविधान मनुवादी आदर्शों से प्रेरित नहीं है।
मोदी सरकार ने गांधी-अंबेडकर का अपमान किया उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने संसद परिसर से उनकी भव्य मूर्तियों को हटाकर और उन्हें एक कोने में रखकर गांधी और बाबा साहेब का अपमान किया है। उन्होंने कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बाबा साहेब का मजाक उड़ाते हुए कहा कि आप लोग अंबेडकर, अंबेडकर, अंबेडकर कहते रहते हैं।
कांग्रेस संविधान और इसके निर्माताओं की रक्षा करेगी खड़गे ने जोर देकर कहा कि कांग्रेस पार्टी संविधान और संविधान निर्माताओं दोनों का सम्मान करती है और इसकी रक्षा करना जानती है। सरदार पटेल साहेब हमारे दिलों में, हमारे विचारों में रहते हैं। हम उनकी विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हमने इसी सोच को ध्यान में रखते हुए अहमदाबाद में सरदार पटेल संग्रहालय में CWC की यह बैठक आयोजित की है।
गुजरात में 64 साल बाद हो रहा अधिवेशन गुजरात में 64 साल बाद पार्टी यह कार्यक्रम कर रही है। इससे पहले 1961 में भावनगर में अधिवेशन हुआ था। यह आजादी के बाद गुजरात में कांग्रेस का पहला कार्यक्रम था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और सोनिया गांधी सुबह करीब 10.30 बजे अहमदाबाद पहुंचें। प्रियंका गांधी आज अहमदाबाद नहीं पहुंची हैं। वहीं, कल की मीटिंग के लिए आज देर शाम दो चार्टर्ड प्लेन में 80 कांग्रेस नेता अहमदाबाद पहुचेंगे।
बुधवार को साबरमती रिवरफ्रंट पर मुख्य अधिवेशन होगा 9 अप्रैल को मुख्य अधिवेशन होगा, जिसमें देशभर से 1700 से अधिक कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि भाग लेंगे। यह कार्यक्रम साबरमती रिवर फ्रंट पर होगा। यहां VVIP डोम बनाया गया है। इस अधिवेशन की थीम है, ‘न्यायपथ: संकल्प, समर्पण, और संघर्ष।’
पार्टी के मुताबिक यह अधिवेशन गुजरात में संगठन को मजबूत करने और 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए रोडमैप तैयार करने की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। इस साल महात्मा गांधी के बतौर कांग्रेस अध्यक्ष 100 साल पूरे हो रहे हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती भी है। दोनों ही महान विभूतियां गुजरात में पैदा हुई थीं, इसलिए कांग्रेस पार्टी ये अधिवेशन गुजरात में कर रही है।
सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद शाम 6.30 बजे साबरमती आश्रम में प्रार्थना सभा आयोजित की गई। प्रार्थना सभा के दौरान पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की तबीयत बिगड़ गई। उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया।


पार्टी प्रवक्ता जयराम रमेश ने कहा कि आज अधिवेशन में 158 सदस्य मौजूद थे। आज सरदार पटेल पर विशेष चर्चा हुई और प्रस्ताव पास हुआ। गुजरात में अधिवेशन होना ही विशेष है। सरदार पटेल की 150वीं जयंती पर बैठक हो रही है। पटेल और जवाहरलाल नेहरु आधुनिक भारत के निर्माता थे। इन दोनों के बीच कोई रिश्ता नहीं होने का दावा करने वाले झूठ बोल रहे हैं। मीटिंग में सरदार वल्लभभाई पटेल को लेकर एक विशेष प्रस्ताव पास किया गया है। कल दो दो मुद्दों पर चर्चा होगी। हमारे प्रस्ताव से मालूम होगा कि पंडित जवाहरलाल नेहरू और सरदार पटेल के बीच कैसे रिश्ते थे।
इन्होंने गांधीजी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई लड़ी और बाद में भारत की नींव रखी। आज किसानों की बातें नहीं सुनी जा रही हैं। ये सरदार पटेल की अवमानना है। उन्होंने यह भी कहा कि आज गांधीवादी संस्थाओं पर हमले हो रहे हैं।
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि आज हमने इस
ऐतिहासिक जगह पर AICC की मीटिंग और CWC की एक्सटेंडेड मीटिंग की। यह मीटिंग पार्टी की जर्नी में बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि सरदार पटेल की जयंती के मौके पर हो रही है। इसमें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भी शामिल हैं। इसके पहले 1902 में गुजरात में अधिवेशन हुआ था। उसके बाद छह बार गुजरात में कांग्रेस अधिवेशन हो चुके हैं। गुजरात आजादी की लड़ाई का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। यहां नमक सत्याग्रह, बारदोली आंदोलन और खेड़ा सत्याग्रह हुआ।
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने कहा- गुजरात की जनता को प्रणाम। गुजरात सोमनाथ मंदिर की भूमि है। हम कहना चाहते हैं कि पूरे देश के साथ ही गुजरात के उद्योग पर भी अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। ये लघु और मध्यम उद्योग पर भी नकारात्मक असर डालेगा। हमें मजबूती से इस मामले को उठाना था, लेकिन गुजरात से आने वाले हमारे पीएम मौन क्यों हैं? राहत देने के बजाय मध्यम वर्ग और किसानों की कमर टोकते हुए गैस और तेल की कीमतें बढ़ा दीं।
उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में आज भी अल्पसंख्यकों को सुरक्षा नहीं मिल रही, हम चिंतित हैं। जो खुद को विश्वगुरु कहते हैं वो क्या कर रहे हैं? गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राहुल जी ने हमारे सामने लक्ष्य रखा है। हम हर अवसर पर उस दिशा में गंभीरता से काम करेंगे। गुजरात में हम सब मिलकर चुनाव लड़ेंगे।
कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा- हम सरदार पटेल और महात्मा गांधी की जन्मभूमि को नमन करते हैं. कांग्रेस की विचारधारा की जननी यह जन्मभूमि है. उस विचारधारा को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में किस रूप से सकारात्मक और मजबूत तरीके से आगे लेकर जाएं, आज हमने CWC के माध्यम से इस पर विचार किया।
कांग्रेस नेता हरीश रावत ने कहा- अधिवेशन तो कल होगा. आज कार्य समिति की बैठक थी. कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, गुजरात वो जमीन है, जहां कांग्रेस की जड़ें हमेशा मजबूत रही हैं. आने वाले समय में जो रणनीति होगी, जो कार्य योजना होगी, उसपर हम आज चर्चा कर रहे हैं।






- रणनीति और अभियान की शुरुआत अधिवेशन में 2027 के गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति बनाई जाएगी। इसके साथ ही ‘संविधान बचाओ यात्रा’ नामक राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत भी अहमदाबाद से होगी, जिसका लक्ष्य भाजपा को चुनौती देना और कांग्रेस की स्थिति मजबूत करना है।
- ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने 15 सदस्यीय ड्राफ्टिंग कमेटी बनाई है, जिसके संयोजक रणदीप सुरजेवाला हैं। इसमें भूपेश बघेल, सचिन पायलट और विक्रांत भूरिया जैसे नेता शामिल हैं। यह कमेटी अधिवेशन में चर्चा के लिए प्रस्तावों और रणनीतियों का मसौदा तैयार कर रही है। कमेटी की कई बैठकें दिल्ली और अन्य स्थानों पर हो चुकी हैं, जहां बेरोजगारी, महंगाई और आर्थिक असमानता जैसे मुद्दों पर फोकस किया गया।
- होटलों के 2000 कमरे बुक दो दिवसीय कार्यक्रम में करीब 3000 कांग्रेस नेता शामिल होंगे। इसलिए अहमदाबाद शहर और आसपास 2000 होटल कमरे बुक किए गए हैं। इसके चलते ITC नर्मदा और कोर्टयार्ड समेत बड़े होटल कंपलीट बुक्ड हैं।कार्यकर्ता ‘कार सेवा’ प्रदान करेंगे।
- कारों और बसों की भी व्यवस्था नेताओं को ले जाने और लाने के लिए कारों और बसों की भी व्यवस्था की गई है। कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भी कार लेकर सेवा में शामिल होने के लिए सूचित किया गया है। होटल की कारें भी बुक की गई हैं और कुछ कारें निजी ट्रैवल एजेंसियों से भी किराए पर ली जा रही हैं।
गुजरात में कांग्रेस का चुनावी सफर एक लंबी और उतार-चढ़ाव भरी कहानी है। स्वतंत्रता के बाद से लेकर अब तक कांग्रेस ने गुजरात में कभी मजबूत पकड़ बनाई तो कभी उसे सत्ता से बाहर होना पड़ा।
- स्वतंत्रता के बाद का दौर (1960-1990) 1960 में गुजरात के गठन के बाद कांग्रेस ने राज्य में अपनी मजबूत स्थिति बनाई। 1962, 1967 और 1972 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की। इस दौरान जिवराज मेहता, बलवंतराय मेहता और हितेंद्र देसाई जैसे गांधीवादी नेताओं ने पार्टी को नेतृत्व दिया।
- माधवसिंह सोलंकी युग 1980 और 1985 में कांग्रेस ने माधवसिंह सोलंकी के नेतृत्व में शानदार प्रदर्शन किया। 1985 में कांग्रेस ने 149 सीटें जीतकर रिकॉर्ड बनाया, जो गुजरात विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी की सबसे बड़ी जीत थी। सोलंकी की ‘KHAM’ (क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी, मुस्लिम) रणनीति ने पार्टी को सामाजिक गठजोड़ के आधार पर मजबूत किया।
- 1995 में भाजपा की एंट्री 1962 से 1984 तक कांग्रेस ने गुजरात की ज्यादातर लोकसभा सीटों पर कब्जा जमाए रखा। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सहानुभूति लहर में कांग्रेस ने सभी 26 सीटें जीतीं। 1990 के दशक में हिंदुत्व और राम मंदिर आंदोलन के साथ भाजपा ने गुजरात में पैर जमाने शुरू किए। 1995 में पहली बार भाजपा ने विधानसभा चुनाव जीता और कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई।
- 7 चुनाव से कांग्रेस सत्ता से दूर 2002 के दंगों के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात को अपना गढ़ बना लिया। कांग्रेस का वोट शेयर लगातार कम होता गया। 2002 में कांग्रेस को 51 सीटें मिलीं, जो 1998 की 53 से कम थीं। 2007 में कांग्रेस को 59 सीटें मिलीं। 2012 में भी कांग्रेस 61 सीटों पर सिमट गई। 2017 में राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने बेहतर प्रदर्शन किया और 77 सीटें जीतीं, लेकिन सत्ता से दूर रही। 2022 में आम आदमी पार्टी (AAP) के उभरने से कांग्रेस का वोट बंटा और वह मात्र 17 सीटों पर सिमट गई।
- 24 साल बाद 1 लोकसभा सीट जीती 2004 में कांग्रेस ने गुजरात में 12 सीटें जीतीं, लेकिन 2009 में यह संख्या 11 हो गई। 2014 और 2019 में भाजपा ने सभी 26 सीटें जीतकर कांग्रेस को शून्य पर ला दिया। 2024 में कांग्रेस ने बनासकांठा सीट जीतकर 10 साल बाद खाता खोला, लेकिन कुल मिलाकर उसका प्रदर्शन कमजोर रहा।


भावनगर अधिवेशन की 3 तस्वीरें…


