जबलपुर जिले में रेत माफियाओं का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है. प्रशासन और पुलिस की नाक के नीचे नर्मदा नदी में अवैध रेत उत्खनन का कारोबार खुलेआम फल-फूल रहा है. हाल ही में बेलखेड़ा थाना क्षेत्र से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया, जहां माफियाओं ने नर्मदा की धारा को रोककर नदी के बीच तक पहुंचने के लिए अस्थायी सड़क बना दी. इस सड़क के सहारे जेसीबी और हाईवा मशीनों को बीच नदी तक ले जाकर अवैध रेत किया जा रहा था.
‘माफियाओं को लग जाती है पहली ही भनक’
इस वजह से प्रशासन उनके अवैध कारोबार पर सख्त कार्रवाई करने से बचता है. गांववालों ने यह भी बताया कि शिकायतें करने के बावजूद प्रशासन कई बार चुप्पी साधे रहता है. जब भी कार्रवाई होती है माफियाओं को पहले ही इसकी भनक लग जाती है, जिससे वह भागने में सफल हो जाते हैं. जानकारी के मुताबिक, जबलपुर जिले के बेलखेड़ा, शहपुरा, बरगी, चरगवां, एवं तिलवारा थाना क्षेत्र में दर्जनों अबैध घाट संचालित हो रहे है.
जिसमें बेलखेड़ा थाना के पावला, बेलखेड़ी, कूड़ा, न्यू चरगवां, शहपुरा थाना के कुलोन, बिजना, झोझि, शीतलपुर, मालकछार सहित चरगवां थाना के भड़पुरा, धरतीकछार, मुरकटिया, घुघरा, बगरई, और तिलवारा थाना के ग्वारी, घाना ओर बरगी थाना क्षेत्र के बसा घाट सहित भेड़ाघाट थाना क्षेत्र में कई खदाने संचालित हो रही है. रेत माफियाओं के कारण जबलपुर के कई गांवों की सड़कों की हालत बद से बदतर हो गई है.
कानूनी कार्रवाई में जुटा प्रशासन
भारी वाहनों की आवाजाही से नई बनी सड़कें भी कुछ ही सालों में खराब हो जाती हैं. साथ ही, नर्मदा नदी में हो रहे अंधाधुंध उत्खनन से पर्यावरण को भी भारी नुकसान पहुंच रहा है. जलस्तर गिरने के साथ-साथ नदी के किनारे भी कटाव के शिकार हो रहे हैं, जिससे आसपास के गांवों पर बाढ़ और भू-धसाव का खतरा बढ़ गया है. इस पूरे मामले पर एडिशनल एसपी सूर्यकांत शर्मा का कहना है कि तहसीलदार की रिपोर्ट के आधार पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है.
राजनीतिक संरक्षण के चलते चल रहा अवैध धंधा
प्रशासन का दावा है कि अवैध रेत खनन पर रोक लगाने के लिए लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है और माफिया बेखौफ होकर अपने मंसूबों को अंजाम दे रहे हैं. जबलपुर जिले में अवैध रेत खनन एक गंभीर समस्या बन चुका है. प्रशासन की निष्क्रियता और राजनीतिक संरक्षण के चलते यह धंधा खुलेआम चल रहा है. अगर जल्द ही सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो नर्मदा नदी का पारिस्थितिकी तंत्र बुरी तरह प्रभावित हो सकता है.
स्थानीय लोगों की मांग है कि इस अवैध कारोबार को रोकने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए.