Himachal Pradesh:आजादी के इतने सालों बाद भी भारत में कई ऐसे इलाके हैं। जहां के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के लिए भी दो-चार होना पड़ता है। धीरे-धीरे सरकार उन इलाकों में मूलभूत सुविधाएं पहुंचा रही है।
ऐसा ही एक हिमाचल प्रदेश का ग्यू गांव है। जहां पहली बार मोबाइल नेटवर्क पहुंचा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्पीति के ग्यू गांव के पहली बार मोबाइल नेटवर्क से जुड़ने पर स्थानीय निवासियों से बात की।
पीएम मोदी ने लोगों के साथ फोन पर 13 मिनट से अधिक बातचीत की। इस दौरान पीएम ने दिवाली के दौरान सीमावर्ती क्षेत्र की अपनी यात्रा के बारे में बताया और कहा कि गांव को मोबाइल नेटवर्क से जोड़ने से डिजिटल इंडिया अभियान को गति मिलेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि विद्युतीकरण अभियान में सफलता मिलने के बाद सरकार अब सभी स्थानों को संचार प्रौद्योगिकी से जोड़ने को प्राथमिकता दे रही है। मोदी ने कहा कि जब उन्होंने पदभार संभाला तो 18,000 से अधिक गांवों में बिजली की कमी थी।
पहले तय करनी पड़ती थी 8km की दूरी
एक ग्रामीण ने प्रधानमंत्री को बताया कि उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि उनका क्षेत्र मोबाइल नेटवर्क से जुड़ जाएगा और जब ऐसा हुआ तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ग्रामीण ने कहा कि पहले उन्हें अपने मोबाइल फोन का उपयोग करने के लिए करीब 8 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती थी। पीएम मोदी ने ‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP)’ के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए कहा कि पहले की सरकारों ने इन क्षेत्रों को उनके हाल पर छोड़ दिया था।
मोदी ने कहा कि वह अब तक लोगों के जीवन की सुगमता को प्राथमिकता देने के बाद अपने तीसरे कार्यकाल में उनके जीवन की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इससे दूरदराज के क्षेत्रों, गरीबों और मध्यम वर्ग को काफी फायदा होगा। उन्होंने कहा कि एक जिला एक उत्पाद कार्यक्रम से भी क्षेत्र को काफी फायदा होगा।
क्यों खास है ग्यू गांव?
लाहौल और स्पीति जिले में स्थित ग्यू हिमालय में उत्तरी भारत का एक बहुत छोटा सीमावर्ती गांव है। यह स्पीति घाटी में समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की ऊंचाई पर एक गहरी घाटी में स्थित है। आपको बता दें कि ग्यू एक सीमा संवेदनशील क्षेत्र है जहां से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर भारत-चीन सीमा है। 1975 के स्पीति भूकंप में संघा तेनजिन नामक भिक्षु की ममी की खोज के बाद लोगों को इस गांव के बारे में पहली बार पता चला था।
इसकी खोज सड़क निर्माण श्रमिकों द्वारा तब की गई जब भूकंप के कारण इसकी कब्र और सड़क खुल गई, लेकिन इसे 2000 के दशक की शुरुआत तक स्थानीय लोगों और ITBP (भारत तिब्बत सीमा पुलिस) ने दुनिया से छिपाकर रखा था। आज ममी लामा को ग्यू गांव के ऊपर एक पहाड़ी की चोटी पर एक छोटे से 10×10 फीट के कमरे में एक कांच के बक्से के अंदर रखा गया है। ग्यू गांव में भारतीय सेना की मौजूदगी है, लेकिन आज गांव में जाना और ममी को देखना बहुत आसान है। ग्यू गांव काजा और नाको झील से क्रमशः 82 किलोमीटर और 47 किलोमीटर दूर है।