हरियाणा में कांग्रेस ही नहीं, सत्ता में आने वाली बीजेपी में भी आंतरिक घमासान मचा हुआ है. अनिल विज के बाद राव इंद्रजीत सिंह शक्ति प्रदर्शन करने लगे हैं. पिछले 2 दिनों में 9 विधायकों को अपने घर पर बुलाकर राव ने सीएम पद पर अघोषित रूप से दावेदारी ठोक दी है.
कहा जा रहा है कि हरियाणा में इस बार के जो परिणाम आए हैं, उसमें राव को इग्नोर करना आसान नहीं है. यही वजह है कि पिछली बार के मुकाबले इस बार सरकार गठन में देरी हो रही है. 2014 और 2019 में बीजेपी ने 7 दिनों के भीतर मुख्यमंत्री और मंत्रियों का शपथ ग्रहण करवा लिया था.
इंद्रजीत के घर पहुंचे 9 बीजेपी विधायक
हरियाणा में चुनाव परिणाम आने के बाद बीजेपी के सिंबल पर जीते 9 विधायक राव इंद्रजीत सिंह के घर पहुंच गए. यहां सभी विधायकों ने राव इंद्रजीत सिंह से बधाई संदेश लिया. दिलचस्प बात है कि ये सभी विधायक तब इंद्रजीत के घर पहुंचे, जब सीएम पद को लेकर राव की दावेदारी चर्चा में है
इंद्रजीत के घर अब तक सोहना से विधायक चुने गए तेजपाल तंवर, महेंद्रगढ़ के विधायक कंवर सिंह यादव, कोसली से विधायक अनिल डहीना, गुरुग्राम से विधायक मुकेश शर्मा समेत 8 विधायक मिलने पहुंच चुके हैं.
राव इंद्रजीत की बेटी आरती भी विधायक चुनी गई हैं. ऐसे में इन सभी को मिलाकर कहा जा रहा है कि राव के समर्थन में अब 9 विधायक हो गए हैं. हरियाणा की अहीरवाल बेल्ट की 11 में से 10 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. पार्टी को सिर्फ महेंद्रगढ़ की नांगल-चौधरी में हार मिली है. इन 10 में से बहादुरगढ़ से जीते विधायक ही राव इंद्रजीत खेमे के नहीं हैं.
इंद्रजीत समर्थकों का कहना है कि जिस व्यक्ति के सभी लोग चुनाव जीत गए हों, उसे पार्टी कैसे नजरअंदाज कर सकती है?
हरियाणा विधानसभा की 90 में से 48 सीटों पर बीजेपी को जीत मिली है. यह बहुमत से सिर्फ 2 नंबर ज्यादा है. ऐसे में संख्याबल की दृष्टिकोण से भी इंद्रजीत को नजरअंदाज करना बीजेपी हाईकमान के लिए आसान नहीं है.
शक्ति प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं राव इंद्रजीत?
विधानसभा से पहले इंद्रजीत ने मुख्यमंत्री पद की दावेदारी ठोकी थी. चुनाव के बाद भी उन्होंने कहा कि दक्षिण हरियाणा ने हमेशा बीजेपी को दिया है. अब बारी बीजेपी की है.
राव 2019 में भी सीएम पद के दावेदार थे, लेकिन उस वक्त मनोहर लाल खट्टर से मात खा गए. वर्तमान के राजनीतिक परिदृश्य से उन्हें इस कुर्सी तक पहुंचने की उम्मीद है.
हालांकि, राव के राह में नायब सैनी एक बड़ा रोड़ा है. सैनी के नाम की पहले ही बीजेपी हाईकमान ने घोषणा कर रखी है. ऐसे में इस बात की गुंजाइश कम है कि सैनी को हटाकर किसी और मुख्यमंत्री बनाया जाए.
कहा जा रहा है कि राव सीएम अगर नहीं बनते हैं तो मुखर होकर अपनी राजनीतिक बार्गेनिंग पावर बढ़ाएंगे. वर्तमान में राव मोदी कैबिनेट में स्वतंत्र राज्य मंत्री है. 2024 के बाद उन्हें उम्मीद थी कि उन्हें केंद्रीय कैबिनेट में लिया जाएगा.
इसके अलावा, हरियाणा कैबिनेट में भी राव समर्थकों का दबदबा दिख सकता है. उनके 2-3 समर्थकों को हरियाणा कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है. राव की बेटी आरती भी मंत्री पद की दावेदार है.
अनिल विज भी मजबूती से कर रहे दावेदारी
हरियाणा बीजेपी के एक और दिग्गज नेता अनिल विज भी मजबूती से दावेदारी कर रहे हैं. विज खट्टर सरकार में गृह मंत्री रह चुके हैं. विज पार्टी के भीतर पंजाबी चेहरा हैं. हरियाणा में करीब 5-6 प्रतिशत पंजाबी हैं.
विज जिस अंबाला से आते हैं, वहां की 5 में से सिर्फ एक सीट पर ही बीजेपी ने जीत हासिल की है. कहा जा रहा है कि विज अगर बागी होते हैं तो भविष्य में यहां पार्टी की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं.