Haldwani Violence: हल्द्वानी में एक मदरसे और नमाज स्थल को हटाने के बाद गुरुवार (8 फरवरी) को शुरू हुई हिंसा ने काफी उग्र रूप ले लिया. अराजक तत्वों ने पुलिस और नगर निकाय के कर्मचारियों पर हमला बोला. साथ ही सरकारी और निजी गाड़ियों में आग लगा दी. उपद्रवियों के हमले में 100 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, जबकि दो लोगों की मौत की खबर है.
गुरुवार शाम 4 बजे से शुरू हुआ यह बवाल तीन घंटे में ही उग्र हो गया और पुलिस वालों के लिए ये तीन घंटे काफी मुश्किल भरे रहे. किसी तरह पुलिसकर्मियों और निकाय कर्मचारियों ने भागकर अपनी जान बचाई. हालांकि कुछ लोग गंभीर रूप से घायल जरूर हुए. इन्हीं में से एक महिला पुलिसकर्मी ने एक न्यूज चैनल से बातीचत में बताया कि किस तरह उन्होंने अपनी जान बचाई.
कई घरों में छिपते रहे
अतिक्रमण हटाने पहुंची पुलिस की टीम में शामिल एक महिला पुलिसकर्मी ने चैनल को बताया, “हम लोग किसी तरह बचकर आए हैं. उपद्रवियों ने जब पथराव शुरू किया तो मैं और मेरे साथ करीब 20 लोग एक घर में घुस गए. दंगाइयों ने इसके बाहर से उस घर में आग लगाने की कोशिश की और पथराव भी किया. उपद्रवियों ने उसके घर के दरवाजे और खिड़कियों को तोड़ दिया. हम बड़ी मुश्किल से छिपकर जान बचाकर एक घर से दूसरे घर में छिपते रहे और अपनी टीम को लोकेशन देते रहे. बाद में जब मौके पर पुलिस फोर्स आई तो जान में जान आई. हर गली, छतों से पथराव हो रहा था.”
दंगाइयों के पास थे पेट्रोल बम
नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने गुरुवार शाम (8 फरवरी) प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया, “हिंसा से जुड़े कई वीडियो मिले हैं. इनमें साफ तौर पर दिख रहा है कि उपद्रवियों ने अकारण पुलिस और निकाय टीम पर हमला किया है. जब टीम शांतिपूर्ण तरीके से अतिक्रमण हटा रही थी, तभी कुछ लोगों ने पथराव शुरू कर दिया. इस भीड़ को पुलिस की टीम ने किसी तरह तितर-बितर कर दिया, लेकिन कुछ ही देर बाद दूसरी भीड़ आई और आगजनी शुरू कर दी. इन लोगों के पास पेट्रोल बम भी थे.”
उत्तराखंड का हल्द्वानी हिंसा की आग में जल रहा है. गुरुवार को अवैध रूप से बने मदरसे को ढहाए जाने से नाराज स्थानीय लोगों ने प्रशासनिक दस्ते पर हमला बोल दिया और इस हमले ने बाद में हिंसा का रूप ले लिया. अब तक इस हिंसा में छह लोगों की मौत हो चुकी है और सैकड़ों लोग जख्मी हैं, जिनमें भारी संख्या में पुलिसकर्मी भी शामिल हैं. इस हिंसा के साथ ही टूरिज्म के नक्शे पर चमकने वाले इस खूबसूरत पहाड़ी शहर के माथे पर कभी न मिट पाने वाला दाग लग गया.
2022 में उत्तराखंड में कितने दंगे हुए?
NCRB के डेटा की मानें तो उत्तराखंड उन राज्यों में शामिल रहा है, जहां हिंसा और सांप्रदायिक दंगे पिछले काफी समय से नहीं देखे गए हैं. 2014 के बाद से उत्तराखंड में एक भी व्यक्ति की मौत सांप्रदायिक दंगों में नहीं हुई है. 2022 में जारी किए गए NCRB के डेटा पर नजर डालें तो उत्तराखंड में साल 2022 में कुल 915 दंगे दर्ज किए गए, जिनमें से मात्र एक सांप्रदायिक दंगा था, उसमें भी किसी के हताहत होने की जानकारी नहीं है, लेकिन अब जब 2024 की NCRB की लिस्ट आएगी तो ये आंकड़ा डराने वाला हो सकता है, जिसकी वजह हल्दवानी में हुई ये हिंसा होगी.
2022 में देश में हुए कुल 37,836 दंगे
साल 2022 के NCRB के आंकड़ों की मानें तो 2022 में देशभर में दंगों के कुल 37,816 मामले दर्ज किए गए. 2021 में इनकी संख्या 41,954 और 2020 में 37,816 थी. इन आंकड़ों के मुताबिक साल दर साल दंगों की संख्या में तो कमी जरूर आई है. 2022 में दंगों के 667 मामलों में पुलिस या प्रशासनिक कर्मचारी पर हमला किया गया. सबसे ज्यादा हिंसा के मामले महाराष्ट्र में दर्ज किए गए थे. 2022 में महाराष्ट्र में हिंसा के 8,218 मामले दर्ज किए गए थे. इनमें से 28 सांप्रदायिक और धार्मिक दंगे थे, वहीं 75 दंगों की वजह राजनीतिक मुद्दे रहे. 25 दंगे जातिगत कारणों से हुए.
महाराष्ट्र, बिहार, यूपी में सबसे ज्यादा दंगे
महाराष्ट्र के बाद सबसे ज्यादा दंगों की लिस्ट में बिहार दूसरे नंबर पर रहा. साल 2022 में बिहार में दंगों के 4736 मामले दर्ज किए गए, इनमें से 60 की वजह सांप्रदायिक या धार्मिक कारण रहे. देश में तीसरे नंबर पर सबसे ज्यादा दंगे 2022 में उत्तर प्रदेश में दर्ज किए गए. साल 2022 में यूपी में 4,478 मामले दंगों के दर्ज किए गए. इनमें एक भी दंगे का कारण सांप्रदायिक या धार्मिक नहीं था.
आखिर हल्द्वानी में क्यों भड़की हिंसा?
अधिकारियों का कहना है कि सरकारी जमीन पर बने मदरसे को गिराए जाने के बाद स्थानीय लोगों ने पुलिस पर पथराव किया और वाहनों को आग लगा दी. SSP प्रह्लाद मीणा के अनुसार, मदरसे को ढहाए जाने से पहले निवासियों को सूचना दी गई थी. मदरसे के आस-पास रहने वाले लोगों ने पुलिसकर्मियों और पत्रकारों पर पथराव किया, जिसमें कुछ लोग घायल हो गए. उन्होंने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में भी आग लगा दी.
उत्तराखंड के नैनीतल जिले के हल्द्वानी में गुरुवार (8 फरवरी, 2024) को भड़की हिंसा के कारण काफी नुकसान हुआ है. आगजनी, तोड़फोड़, फायरिंग और पत्थरबाजी में 4 लोगों की मौत हो गई और 100 से भी ज्यादा लोग बुरी तरह घायल हो गए. यहां अवैध तरीके से बनाई गई मस्जिद और मदरसे को हटाने के लिए नगर निगम की टीम पहुंची तो उन पर पथराव कर दिया गया. इतना ही नहीं पुलिस फोर्स पर पेट्रोल बम फेंके गए और वाहनों में भी आग लगा दी.
प्रशासन ने स्थिति को संभालने के लिए पूरे शहर में कर्फ्यू लगा दिया और दंगाईयों को दिखते ही गोली मारने का भी आदेश जारी कर दिया. शुक्रवार को जुमे की नमाज के चलते चप्पे-चप्पे पर पुलिस तैनात की गई. इस समय भले वहां शांति है, लेकिन जिस वक्त यह वारदात हुई तो स्थिति बहुत भयानक थी. पुलिसकर्मी किसी तरह जान बचाकर मुश्किल से वहां से निकले. जब वह वहां से निकले तब भी उन पर पत्थर और बोतलें बरसाई गईं. किसी तरह एक घर में छिपे, लेकिन वहां भी पत्थर फेंके गए. घर के खिड़की-दरवाजे तोड़ दिए गए.
महिला पुलिसकर्मी ने बताई आपबीती
एक घायल महिला पुलिसकर्मी ने आंखों देखा हाल बताया है. महिला पुलिसकर्मी ने एक चैनल से बातचीत में बताया कि हम बहुत बचकर आए हैं. उन्होंने बताया, ‘पथराव हुआ तो हम एक घर में घुस गए. हम कम से कम 15-20 लोग थे, जो घर में घुसे थे. भीड़ ने आग लगाने की कोशिश की, पथराव किया, सब किया. काफी देर बाद हमारा पुलिस फोर्स आया. फिर बड़ी मुश्किल से निकल कर आए. चारों तरफ से जो पत्थर लगे. बहुत मुश्किल से निकल कर आए. बहुत कंडीशन खराब थी.’
महिला पुलिसकर्मी ने आगे बताया, ‘वहां हर तरफ, गलियों में चारों तरफ से पथराव हो रहा था. गलियां घेर ली थीं उन लोगों ने, छतों से भी आ रहे थे. हम 15-20 लोग एक घर के अंदर घुसे हुए थे. हमने फोन करके लोकेशन भेजी. जिस आदमी ने हमें बचाया, उसको भी गालियां दीं. उनके मकान, खिड़की-दरवाजे तोड़ दिए. फिर लोकेशन भेजी तो फोर्स आया. उसके बाद हमें बाहर निकाला. जब हम बचकर बाहर आ रहे थे तो ऊपर से शीशे, बोतलें, ईंटें वगैरह फेंकी. रास्ते में जाम लगा दिया, बड़ी मुश्किल से गिरते-पड़ते आए हम लोग. मुझसे चला नहीं जा रहा है. बहुत दर्द हो रहा है.’
कल मदरसा हटाने 1 बजे बुलडोजर लेकर पहुंची थी टीम
नैनीताल की डीएम वंदना सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट ने बनभूलपुरा क्षेत्र में बने मदरसे और मस्जिद को हटाने का निर्देश दिया था. इस जमीन पर किसी का मालिकाना हक नहीं है और न ही ऐसा रिकॉर्ड है, जिसमें मदरसा और मस्जिद धार्मिक संरचना के तौर पर दर्ज हो. उन्होंने कहा कि इस जमीन को लोग मलिक का बगीचा कहते हैं, लेकिन ऐसा कोई सरकारी दस्तावेज नहीं है. वंदना सिंह ने बताया कि हाई कोर्ट के आदेश पर शहर में जगह-जगह अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई की जा रही है. 30 जनवरी को यहां बनी दो इमारतों, जिन्हें कुछ लोग मदरसा और मस्जिद कहते हैं, पर नोटिस लगाया गया था कि इसको खाली कर दें, इन्हें हटाया जाएगा.