न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में 122 करोड़ रुपये के धोखाधड़ी मामले में मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने बैंक के पूर्व सीईओ अभिमन्यु भोअन (45) को गिरफ्तार किया है। 2008 से वह बैंक से जुड़े हुए थे। वह शुरुआत में बैंक के आईटी के वाईस प्रेसिडेंट थे। 2019 में वह बैंक के सीईओ बने थे। उनसे पहले दामयंती सालुंखे सीईओ थीं। बाद में दामयंती सालुंखे को बैंक का कार्यकारी निदेशक बना दिया गया और फिर साल 2019 में अभिमन्यु को पदोन्नत किया गया। सितंबर 2024 में बैंक ने उनके सीईओ के रूप में एक्सटेंशन के लिए आरबीआई से अनुमति मांगी थी। आरबीआई ने एक्सटेंशन की अनुमति को अस्वीकार कर दिया। इसके बाद 6 फरवरी 2025 को बैंक ने उन्हें बताया कि उन्हें बैंक के सीईओ के पद से हटा दिया गया है। तब से ही वह छुट्टी पर थे
अभिमन्यु भोअन की हुई गिरफ्तारी
शुरुआत में वह बैंक में नहीं थे। मगंलवार को उनसे पूछताछ की गई और गुरुवार को फिर से उनसे पूछताछ की गई, जिसके बाद रात 11 बजे उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। बता दें कि फिलहाल उन्हें 28 फरवरी तक पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। पहले गिरफ्तार आरोपी हितेश मेहता और धर्मेश पौन की भी हिरासत 28 फरवरी तक बढ़ा दी गई है। अभिमन्यु भोअन की भूमिका प्रारंभिक जांच में नकदी गायब होने के मामले में सामने आई है। वह हितेश मेहता के तत्काल पर्यवेक्षी अधिकारी थे। ईओडब्लयू फिलहाल इस मामले में जांच कर रही है कि इतनी रकम नकदी को गायब किया जा रहा था, तो यह हुआ कैसे।
122 करोड़ रुपये के घोटाले से जुड़ा है मामला
बता दें कि जांच के मामले में एक बार पूछताछ के लिए ईओडब्ल्यू ने ऑडिटर अभिजीत देशमुख को बुलाया है और उन्हें कल भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था। साल 2019 से अलग-अलग मौकों पर 50 लाख से 1.5 करोड़ रुपये तक की नकदी चोरी की जा रही थी। कुछ मामलों में हितेश मेहता ने स्वयं वॉल्ट से नकदी निकाली और कुछ मौकों पर उन्होंने अन्य कर्मचारियों से वॉल्ट से नकदी लाने को कहा था। साल 2019 में नकदी गायब करने का यह सिलसिला शुरू हुआ और हर साल ऑडिट के दौरान वॉल्ट से गायब नकदी की राशि बढ़ रही थी। साल 2017 में जब बैंक की मुख्य शाखा में कैश रिटेंशन लिमिट 20 करोड़ रुपये थी। तब से लिमिट नहीं बढ़ाई गई, लेकिन नकदी बढ़ती रही। अंत में यह पाया गया कि नकदी 133 करोड़ रुपये थी