उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ 2025 में करोड़ों श्रद्धालु स्नान करने के लिए रोज पहुंच रहे हैं. यहां ठंड भी बहुत है. इस ठंड की वजह से पहले अमृत स्नान के दिन ही एक नागा साधु समेत 6 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. इनमें से तीन लोग तो संगम नोज पर ही बेहोश होकर गिर पड़े. इन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया. इनमें महाराष्ट्र में एनसीपी (एसपी) के नेता और सोलापुर नगर निगम के पूर्व मेयर महेश कोठे भी शामिल हैं. जबकि कई अन्य श्रद्धालु स्नान के बाद बेहोश होकर अस्पताल में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं.बताया जा रहा है कि इन सभी को दिल का दौरा पड़ा था.
ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ऐसा क्यों हुआ?
RBNEWS ने इस सवाल का जवाब ढूंढने की कोशिश की. इस दौरान मेला क्षेत्र में बने केन्द्रीय अस्पताल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि अत्यधिक ठंढ और अस्वस्थ शारीरिक स्थिति की वजह से लोग हाइपोथर्मिया के शिकार बन रहे हैं. इसके अलावा ठंड के चपेट में बड़ी संख्या में ऐसे भी श्रद्धालु आए हैं, जो पहले से भी अस्व्स्थ थे. डॉ. मनोज कौशिक के मुताबिक इस अस्पताल में दो प्रतिशत मरीज ऐसे आ रहे हैं जिन्हें ठंढ लग चुकी होती है. इसी प्रकार 13 और 14 जनवरी को हुए स्नान में शामिल हुए ज्यादातर लोग ठंड के शिकार हुए हैं.
संगम नोज पर ही बेहोश हो गए थे तीन लोग
उन्होंने बताया कि ठंड के शिकार लोगों में 20 साल से अधिक उम्र के वो लोग ज्यादा हैं, जिन्होंने स्नान के बाद कपड़े पहनने में कोताही बरती है. उन्होंने महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालुओं से आग्रह किया है कि वह स्नान के चक्कर में ज्यादा देर तक खुले बदन ना रहें. बल्कि नहाने के तत्काल बाद कोशिश करें की तौलिया से शरीर को साफ कर लें और फिर जितना जल्दी हो सके गर्म कपड़े पहन लें.उन्होंने खासतौर पर हार्ट के मरीजों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी है. उन्होंने यहां आने वाले श्रद्धालुओं को पहले ही अपना चेकअप करा लेने की सलाह दी है.
ये है स्नान की पद्धति, नहीं लगेगी ठंड
शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वर सरस्वती ने RBNEWS से विशेष बातचीत में महाकुम्भ स्नान की पद्धति बताया. कहा कि यहां तन का नहीं मन का मैल उतारने आना चाहिए. नियम तो यह है कि पहले घर से नहाकर आए और फिर गंगा में डुबकी लगाकर अपने मन का मैल उतारें. गंगा में स्नान मूसल की तरह करना चाहिए. जैसे मूसल डूबता है और तुरंत निकल आता है. सबसे पहले एक डुबकी अपने लिए लगाना चाहिए. फिर दूसरी डुबकी माता-पिता और तीसरी गुरु के लिए लगानी चाहिए. संत नारायण दास जी महाराज ने स्नान पद्धति पर चर्चा करते हुए कहा कि संगम में पहले आचमन करना चाहिए और फिर जल अपने सिर के उपर छिड़कना चाहिए. इससे शरीर का भी तापमान मेंटेन होता है. उन्होंने कहा कि स्नान मानसिक भाव से करें तो बेहतर है.