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कंपनी के खाते में सिर्फ एक लाख रुपये होने के बावजूद 58 करोड़ रुपये की जमीन का सौदा करने के मामले में ईडी ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी

कंपनी के खाते में सिर्फ एक लाख रुपये होने के बावजूद 58 करोड़ रुपये की जमीन का सौदा करने के मामले में ईडी ने कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ अभियोजन शिकायत (चार्जशीट) दाखिल कर दी है।

यह पहली बार है, जब किसी जांच एजेंसी ने वाड्रा के खिलाफ आपराधिक मामले में अभियोजन शिकायत दाखिल की है।

ईडी ने वाड्रा पर मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल चार्जशीट में ईडी ने वाड्रा पर मनी लांड्रिंग का आरोप लगाया है। ईडी के अनुसार, गुरुग्राम के सेक्टर 83 स्थित शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन खरीदने के लिए वाड्रा ने एक भी पैसा नहीं दिया और बाद में उसका लैंड यूज बदलवाने के बाद डीएलएफ को 58 करोड़ में बेच दिया।

चार्जशीट के अनुसार, ओंकारेश्वर प्रापर्टीज ने हरियाणा सरकार द्वारा लैंड यूज बदलने से इन्कार करने के बाद इस जमीन को फरवरी 2008 में 7.5 करोड़ रुपये में बेच दिया। लेकिन, सरकार ने स्काईलाइट हास्पिटेलिटी के नाम जमीन की रजिस्ट्री होने के दो महीने के भीतर इस जमीन का लैंड यूज बदलकर व्यावसायिक उपयोग की अनुमति दे दी।

लैंड यूज बदलने के बाद रॉबर्ट वाड्रा ने इस जमीन को 58 करोड़ रुपये में डीएलएफ को बेच दिया। सामान्य से दिखने वाले इस व्यावसायिक सौदे में ईडी ने अदालत के सामने बड़े पैमाने पर गड़बड़ी के सुबूत पेश किए। जमीन की रजिस्ट्री भले ही स्काईलाइट हास्पिटेलिटी के नाम हुई थी, लेकिन 7.5 करोड़ रुपये का चेक वाड्रा की एक दूसरी कंपनी स्काईलाइट रियलिटी ने दिया था।

हैरानी की बात है कि इन दोनों कंपनियों के खाते में उस समय सिर्फ एक-एक लाख रुपये जमा थे। यानी बिना पैसे के 7.5 करोड़ रुपये का चेक दिखाकर रजिस्ट्री कर ली गई। यही नहीं, इस 7.5 करोड़ रुपये के चेक को ओंकारेश्वर प्रापर्टीज ने कभी भुनाया ही नहीं। हद तो यह कि रजिस्ट्री के लिए 45 लाख रुपये के स्टांप पेपर खरीदने के पैसे भी ओंकारेश्वर प्रापर्टीज ने ही दिए। यानी एक पैसा खर्च किए बिना ही पूरी जमीन राबर्ट वाड्रा की हो गई।

यह जमीन सौदा अक्टूबर 2012 में विवादों में घिर गया था, जब हरियाणा के तत्कालीन भूमि चकबंदी एवं भूमि अभिलेख महानिदेशक अशोक खेमका ने इस सौदे को राज्य चकबंदी अधिनियम और संबंधित प्रक्रियाओं का उल्लंघन बताते हुए दाखिल-खारिज रद कर दिया था। ईडी ने इस मामले में अप्रैल में वाड्रा से तीन दिन तक लगातार पूछताछ की थी। ईडी का कहना है कि वाड्रा बिना एक पैसा खर्च किए 58 करोड़ रुपये की डील करने से जुड़े सवालों का जवाब नहीं दे पाए।

11 व्यक्तियों और कंपनियों को आरोपित बनाया

ईडी ने वाड्रा, स्काईलाइट हास्पिटेलिटी, सत्यानंद याजी और केवल ¨सह विर्क, उनकी कंपनी ओंकारेश्वर प्रापर्टीज प्राइवेट लिमिटेड सहित कुल 11 व्यक्तियों और कंपनियों को आरोपित बनाया है। ईडी की चार्जशीट को संज्ञान में लेने पर अदालत में बहस होगी। यदि अदालत इस मामले में संज्ञान लेती है, तो वाड्रा की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। इसके अलावा ईडी आर्थिक भगोड़ा संजय भंडारी से जुड़े लंदन के 12 ब्रायंस्टन स्क्वायर बंगले और बीकानेर जमीन घोटाले के मामले में भी वाड्रा के खिलाफ जांच कर रही है। दो दिन पहले भी ईडी वाड्रा से लंदन के बंगले के बारे में पूछताछ कर चुकी है।

ईडी ने वाड्रा की 43 संपत्तियों को कुर्क किया

ईडी ने राबर्ट वाड्रा और स्काईलाइट हास्पिटेलिटी सहित उनकी कंपनियों से जुड़ी 37.64 करोड़ रुपये मूल्य की 43 अचल संपत्तियों को कुर्क किया है। अधिकारियों ने बताया कि ये संपत्तियां राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और गुजरात में स्थित हैं। गुरुग्राम पुलिस द्वारा एक सितंबर, 2018 को दर्ज प्राथमिकी के आधार पर चल रही जांच के तहत 16 जुलाई, 2025 को अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया गया था।

यह है मामला

एक सितंबर, 2018 को गुरुग्राम पुलिस ने एक एफआइआर दर्ज की थी, जिसमें आरोप लगाया गया कि राबर्ट वाड्रा ने अपनी कंपनी स्काईलाइट हास्पिटेलिटी के जरिये गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव में 3.53 एकड़ जमीन धोखाधड़ी से खरीदी थी। यह जमीन उन्होंने ओंकारेश्वर प्रापर्टीज से 12 फरवरी, 2008 को खरीदी थी और इसमें झूठा दस्तावेज देने का आरोप है। उस समय भूपेंद्र ¨सह हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। चार साल बाद सितंबर 2012 में स्काईलाइट ने यह जमीन रियल्टी क्षेत्र की प्रमुख कंपनी डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दी।

वाड्रा ने मामले को सरकार की राजनीतिक कार्रवाई बताया

राबर्ट वाड्रा ने कहा है कि यह मामला मौजूदा सरकार द्वारा की जा रही राजनीतिक कार्रवाई का ही एक विस्तार है। वाड्रा ने हमेशा किसी भी गलत काम से इनकार किया है और कहा है कि यह मामला उनके और उनके परिवार के खिलाफ एक राजनीतिक प्रतिशोध है।

वाड्रा के कार्यालय ने एक बयान जारी कर कहा कि चूंकि अदालत ने अभी तक मामले का संज्ञान नहीं लिया है, इसलिए उनको आरोपपत्र की जांच करने का अवसर नहीं मिला है। कानून का पालन करने वाले भारतीय नागरिक के रूप में वाड्रा ने हमेशा अधिकारियों को अपना पूरा सहयोग दिया है और आगे भी देते रहेंगे। उन्हें विश्वास है कि अंत में सच्चाई सामने आएगी और उन्हें किसी भी गलत काम से बरी कर दिया जाएगा।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने किया यह दावा

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने दावा किया कि वाड्रा के भूमि सौदे में कुछ भी अवैध नहीं है। उन्होंने पूछा कि संपत्ति की खरीद-बिक्री कब से अवैध हो गई। यह मोदी सरकार का डराने और सताने का एक और प्रयास है, जो बुरी तरह विफल होगा।

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ARYAN CHAUDHRI
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