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Delhi:-धार्मिक स्थलों को लेकर राजनीति तेज,आतिशी ने उपराज्यपाल और प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम पर आरोप लगाते हुए कहा कि उपराज्यपाल और प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम ने 6 मंदिरों को तोड़ने का लिया फैसला

दिल्ली के सियासी दलों के बीच विधानसभा चुनाव की वजह से आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है. अब दिल्ली में धार्मिक स्थलों को लेकर राजनीति तेज हो गई है. दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ने दो दिन पहले उपराज्यपाल और प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम पर आरोप लगाया कि 22 नवंबर को प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम ने धार्मिक कमेटी के साथ बैठक कर 6 मंदिरों को तोड़ने का फैसला लिया, जिसको लेकर अधिकारियों को आदेश भी जारी कर दिए गए हैं.

दरअसल, इन मंदिरों को लेकर सीएम आतिशी ने दिल्ली के उपराज्यपाल विनय सक्सेना सक्सेना को पत्र लिखा था. उन्होंने कहा था कि बोर्ड धार्मिक स्थलों को तोड़ने से बचे क्योंकि इससे करोड़ों लोगों की भावनाएं आहत होंगी. आतिशी ने उन मंदिरों के बारे में भी बताया जिन्हें तोड़ने के आदेश दिए गए.

ध्वस्तीकरण की सूची में शामिल मंदिर

सीएम आतिशी के मुताबिक जिन मंदिरों को तोड़े जाने हैं उनमें 1. नाला मार्केट वेस्ट पटेल नगर, 2. दिलशाद गार्डन में मंदिर 3. सुंदर नगरी मंदिर, 4. सीमा पुरी मंदिर 5. गोकल पुरी मंदिर 6. न्यू उस्मानपुर एमसीडी फ्लैट्स वाली मंदिर शामिल हैं.

दिल्ली की सीएम आतिशी ने धार्मिक स्थलों के तोड़े जाने को लेकर एलजी को कटघरे में खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि जिस तरीके से धार्मिक समिति मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को नजरअंदाज करके सीधे दिल्ली के उपराज्यपाल को रिपोर्ट कर रही है, वो उचित नहीं है. जबकि नियम यह है कि वह मुख्यमंत्री और गृह मंत्री को रिपोर्ट करें. वह रिपोर्ट मुख्यमंत्री के द्वारा एलजी को भेजी जाए, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.

आतिशी ने आरोप लगाते हुए कहा कि 22 नवंबर 2024 को प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम ने धार्मिक समिति के साथ बैठक की और उसकी सिफारिश पर 6 मंदिरों को तोड़ने की फाइल एलजी को भेजी गई. जिस पर एलजी ने अपनी मंजूरी दे दी है जिसके बाद उन मंदिरों को तोड़ने के लिए दिल्ली पुलिस और संबंधित अधिकारी तैयारी कर रहे हैं.

मंदिरों को तोड़ने का आदेश वापस लें LG

आतिश ने कहा अगर लोगों ने मंदिरों को तोड़ने की मंजूरी नहीं दी है तो वह अपना आदेश वापस ले लें, क्योंकि बिना उनकी स्वीकृति के मंदिरों को तोड़ा नहीं जा सकता. आतिशी ने 22 नवंबर 2024 को हुई बैठक में लिए गए फैसलों की कॉपी भी सार्वजनिक की.

हालांकि, अब एलजी सचिवालय की तरफ से पलटवार करते हुए यह आरोप लगाया जा रहा है कि जब 2016 में सत्येंद्र जैन गृह मंत्री थे और 2022 में जब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थे तो उनके कार्यकाल में भी धार्मिक समिति की बैठक प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम के साथ हुई और उस दौरान भी हाईवे निर्माण को लेकर मंदिरों को हटाने की सिफारिश की गई थी .

पूर्व सीएम ने दी थी मंदिरों को तोड़ने की मंजूरी

दूसर तरु उपराज्यपाल सचिवालय ने दावा किया कि पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के कार्यकाल में 08-02-23 को मंदिरों को हटाने की फाइल एलजी को भेजी गई थी . जिसने दिल्ली के विभिन्न हिस्सो में 9 मंदिरों को गिराने की सिफारिश की गई थी. एलजी सचिवालय का दावा है की 9 मंदिरों में से 7 मंदिर करावल नगर और दो मंदिर न्यू उस्मानपुर क्षेत्र के थे. वहीं, 23 जून को में तत्कालीन गृह मंत्री सत्येंद्र जैन के कार्यकाल में 8 मंदिरों को गिराने की स्वीकृति सरकार द्वारा दी गई थी जिसकी फाइल एलजी को भेजी गई थी.

एलजी सचिवालय ने पुराने दस्तावेजों को सार्वजनिक कर धार्मिक स्थलों पर चल रही सियासत को गर्मा दिया है. साथ ही दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. एलजी सचिवालय की तरफ से सवाल खड़े किए गए कि आज 6 मंदिरों को गिराने की सियासत दिल्ली के मुख्यमंत्री आतिशी कर रही हैं, लेकिन जिस समय इन मंदिरों को लेकर के धार्मिक समिति के साथ प्रिंसिपल सेक्रेटरी होम ने बैठक की और फाइल एलजी के पास भेजी तो उस दौरान आतिश और अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन चुप क्यों थे? इससे स्पष्ट होता है कि दिल्ली की मुख्यमंत्री सिर्फ गंदी सियासत कर रही है और कुछ नहीं.

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ARYAN CHAUDHRI
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