Breaking News

Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि राजधानी में सभी सिविक कार्यों की जिम्मेदारी एक एजेंसी को दी जानी चाहिए, सरकार से रिपोर्ट 3 सितंबर तक मांगी

दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार 19 अगस्त को कहा कि राजधानी में सड़क निर्माण, सीवेज, कचरा प्रबंधन और नालों की सफाई जैसे सभी सिविक मुद्दों की जिम्मेदारी अलग-अलग एजेंसियों के बजाय एक ही निकाय को सौंपी जानी चाहिए.

जस्टिस प्रतिभा एम. सिंह और जस्टिस मनमीत पीएस अरोड़ा की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव से इस मामले पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. अदालत ने स्पष्ट किया कि जैसे लुटियंस दिल्ली की देखरेख केवल एनडीएमसी (NDMC) करती है, वैसे ही पूरे शहर के लिए एकीकृत एजेंसी होनी चाहिए.

क्यों उठी एक एजेंसी की मांग?

अदालत ने पाया कि फिलहाल दिल्ली में कई निकाय काम कर रहे हैं और जिम्मेदारियों की सीमाएं स्पष्ट नहीं हैं, जिससे प्रबंधन में अव्यवस्था बनी रहती है. वहीं तूफानी जल निकासी (Storm Water Drains) एमसीडी (MCD) के पास हैं.

सीवेज लाइनें दिल्ली जल बोर्ड (DJB) संभालता है और सड़क निर्माण और मरम्मत भी अलग-अलग विभागों में बंटा हुआ है. इस लिए कोर्ट ने कहा कि इस विभाजन के कारण बरसात में जलभराव, कचरा प्रबंधन में गड़बड़ी और ट्रैफिक जाम जैसी समस्याएं बार-बार सामने आती हैं.

अदालत की टिप्पणी और अगली सुनवाई

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, “पूरी दिल्ली के लिए एक ही सिविक एजेंसी होनी चाहिए. पानी, सड़क, नाले और सीवेज सबका प्रबंधन उसी के पास होना चाहिए. आप चाहें तो उसके अंदर विभाग बना सकते हैं, लेकिन एजेंसी एक होनी चाहिए.”

अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार द्वारा बताई गई इंटीग्रेटेड ड्रेन मैनेजमेंट सेल (IDMC) की स्थिति अस्पष्ट है और यह संस्था अभी तक सभी नालों का केंद्रीकृत प्रबंधन नहीं करती. पीटीआई के अनुसार, अदालत ने इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए अगली सुनवाई 3 सितंबर को तय की है.

एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी से बढ़ी समस्या

दरअसल, अदालत ने 28 जुलाई को ही यह निर्देश दिया था कि दिल्ली सरकार राजधानी में सिविक निकायों की जिम्मेदारियों के केंद्रीकरण पर निर्णय ले. कोर्ट ने जलभराव और बारिश के जल संचयन (Rainwater Harvesting) से जुड़े मामलों पर सुनवाई करते हुए पाया था कि विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी सबसे बड़ी समस्या है.

अदालत ने कहा कि NDMC की तरह यदि पूरे शहर की देखरेख एक संस्था के पास होगी तो जनता को सुविधाएं बेहतर ढंग से मिल सकेंगी.

About Manish Shukla

Check Also

Banke Bihari Temple: मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में ट्रस्ट बनाने के फैसले का कथावाचक रामभद्राचार्य ने विरोध कर सवाल उठाया कि जब मस्जिद या चर्च में ऐसा नहीं हो सकता तो मंदिर में क्यों?

प्रख्यात रामकथा वाचक एवं पद्म विभूषण से सम्मानित जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने वृंदावन स्थित ठाकुर बांके …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *