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Delhi HC: दिल्ली HC में जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने जासूस मोहसिन खान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें नहीं भूलना चाहिए कि देशवासी चैन की नींद सोते हैं क्योंकि हमारी सशस्त्र सेनाएं चौकन्नी हैं, आरोपी को जमानत देने से का इनकार

Delhi HC On Mohsin Khan: दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय सेना से संबंधित संवेदनशील जानकारी को पाकिस्तान उच्च आयोग तक पहुंचाने के आरोप में गिरफ्तार मोहसिन खान की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई करने वाली जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने अपने फैसले में कहा कि यह अपराध ना केवल गंभीर है बल्कि देश की संप्रभुता अखंडता और सुरक्षा पर सीधा हमला करता है.

क्या है मोहिसन पर गंभीर आरोप?

मोहसिन खान पर आरोप है कि वह एक अंतरराष्ट्रीय जासूसी नेटवर्क का हिस्सा था जो भारतीय सेवा से जुड़ी गोपनीय जानकारी पाकिस्तान उच्च आयोग को भेज रहा था. वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट के समक्ष पेश रिपोर्ट और सबूत के मुताबिक खान एक कोवर्ट फाइनेंशियल कंडट यानी फाइनेंशियल चैनल के रूप में काम कर रहा था, जिसका उद्देश्य पैसे के सोर्स को छुपाना और विदेशी एजेंसियों तक संवेदनशील जानकारी पहुंचना था.

जांच एजेंसी का क्या है आरोप?

दिल्ली हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान जांच एजेंसी की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट को बताया गया कि जांच के दौरान सामने आए सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि मोहसिन खान पैसे के लेनदेन के जरिए इस साजिश में अहम भूमिका निभा रहा था. उसे ऐसे गिरोह का हिस्सा बताया गया जो भारत की सुरक्षा के खिलाफ काम कर रहा था.

दिल्ली HC की सख्त टिप्पणी

दिल्ली हाई कोर्ट में जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने कहा, ”यह अपराध किसी एक व्यक्ति या संस्था के खिलाफ नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र खिलाफ हैं. जब कोई व्यक्ति निजी स्वार्थ या लालच के कारण हमारे सैन्य ढांचे की जानकारी विदेशी एजेंसियों को देता है तो यह न केवल अपराध है बल्कि राष्ट्र के साथ विश्वासघात भी हैं. यह भूलना नहीं चाहिए कि देशवासी इसलिए चैन की नींद सोते हैं क्योंकि हमारी सशस्त्र सेनाएं चौकन्नी रहती हैं. ऐसे में जो लोग इस सुरक्षा व्यवस्था को तोड़ने की कोशिश करते हैं उन्हें किसी भी तरीके से राहत नहीं दी जा सकती है.”

जमानत न देने का आधार 

दिल्ली दिल्ली हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों में जमानत देने की कसौटी सामान्य आपराधिक मामलों से बिल्कुल अलग होती है. जहां आमतौर पर हिरासत की अवधि और न्यायिक प्रक्रिया में देरी को आधार बनाया जाता है. वहीं, इस तरह के मामलों में राष्ट्रीय हित सर्वोपरि होता है .जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, ”यह केवल समय का प्रश्न नहीं है बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा और देश की संप्रभुता का प्रश्न है, ऐसे अपराधों को किसी भी रूप में सामान्य नहीं माना जा सकता है, भले ही यह हत्या या डकैती ना हो.

तीन साल पहले गिरफ्तार हुआ था मोहिसन खान 

मोहिसन खान को तीन साल पहले जासूसी के मामले में अरेस्ट किया गया था. निचली अदालत में 19 मई को मोहसिन समेत अन्य के खिलाफ आरोप भी तय किया जा चुका है. मोहसिन खान मोबाइल रिपेयरिंग और रिचार्ज की दुकान चलाता था. पाक उच्चायोग के वीजा अधिकारी को सेना की गोपनीय जानकारी देकर पैसे लेता था. साल 2021 में दिल्ली क्राइम ब्रांच को खुफिया जानकारी मिली कि दिल्ली, राजस्थान और यूपी कुछ लोग देश विरोधी गतिविधि में शामिल हैं.

क्राइम ब्रांच ने राजस्थान के पोखरण से आरोपी हबीबुर्रहमान को सेना के गोपनीय दस्तावेज के साथ गिरफ्तार किया. उसने बताया था कि गोपनीय दस्तावेज एक नाइक क्लर्क परमजीत कुमार से मिलते थे. वह इन दस्तावेज को खुद या फिर तुर्कमान गेट में रहने वाले मोहसिन खान के माध्यम से पाकिस्तान उच्चायोग में वीजा ऑफिसर राणा मोहम्मद कासिम जिया को दिया करता था. वहीं, पुलिस जांच में पता चला कि साल 2017 से 2019 के बीच नाइक क्लर्क पोखरण में तैनात था और वहां पर सब्जी की आपूर्ति करने वाले हबीबुर्रहमान से उसकी मुलाकात हुई थी.

पोखरण के बाद परमजीत की तैनाती आगरा की संवदेनशील यूनिट में हुई और हबीबुर्रहमान वहां भी गया और परमजीत ने उसे गोपनीय दस्तावेज दिए थे.

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