भाजपा के नवनियुक्त मुंबई अध्यक्ष ने मुस्लिम समुदाय का हवाला देते हुए यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया है कि आगामी नगर निकाय चुनाव शहर की “सुरक्षा” के लिए हैं और “खान” को मुंबई का मेयर नहीं बनना चाहिए। अमित साटम ने यह विवादास्पद टिप्पणी बीजेपी के विजय संकल्प रैली में की, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी शामिल हुए थे।
‘किसी खान को मुंबई का मेयर नहीं बनना चाहिए’
बीजेपी के नवनियुक्त मुंबई अध्यक्ष ने मुस्लिम समुदाय का हवाला देते हुए कहा कि आगामी नगर निगम चुनाव शहर की सुरक्षा के लिए हैं। किसी खान को मुंबई का मेयर नहीं बनना चाहिए, जिससे विवाद खड़ा हो गया है। अमित साटम अंधेरी वेस्ट से विधायक भी हैं। साटम ने कहा, “लड़ाई मुंबई को सुरक्षित रखने की है। अंतरराष्ट्रीय देशों में घुसपैठ हो रही है और उनके रंग बदल रहे हैं। कुछ शहरों के मेयरों के उपनाम देखिए। क्या हम मुंबई में भी यही पैटर्न चाहते हैं?”
दूसरे देशों का दिया हवाला
इस टिप्पणी को लंदन और अन्य पश्चिमी देशों में चल रहे आव्रजन विरोधी प्रदर्शनों के संदर्भ में देखा जा रहा है। साटम की टिप्पणी को लंदन के मेयर सादिक खान की ओर इशारा कर रही है, जिनकी जड़ें पाकिस्तान में हैं। अपने तीखे हमले को जारी रखते हुए, साटम ने आगे कहा, “वर्सोवा-मालवानी शैली हर जगह फैल सकती है। मुंबईकरों के दरवाजे पर एक बांग्लादेशी होगा। कल, हर वार्ड में एक हारून खान चुना जा सकता है, और कोई खान मुंबई का मेयर बन सकता है। ऐसा न होने दें।”
हारून खान उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना यूबीटी के विधायक हैं। वह मुंबई की वर्सोवा सीट से जीते हैं। वह लंबे समय से उद्धव ठाकरे के साथ हैं।
वर्सोवा और मालवानी में है मुस्लिम आबादी
बता दें कि मुंबई के वर्सोवा और मालवानी में मुस्लिम आबादी अच्छी-खासी है। यह टिप्पणी अवैध बांग्लादेशियों पर राज्यव्यापी कार्रवाई के बीच आई है, जो भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन के लिए एक प्रमुख चुनावी मुद्दा बनकर उभरा है। साटम के बयान के वोटों के धुव्रीकरण करने से जोड़कर देखा जा रहा है। साटम ने कहा कि यह जिम्मेदारी कार्यकर्ताओं की है कि महायुति का एक मेयर बीएमसी का कार्यभार संभाले। बीएमसी में मेयर पद लंबे वक्त से उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना के पास रहा है। मुंबई की आखिरी मेयर किशोरी पेडनेकर थीं। अब तक मुंबई को कुल 76 मेयर मिले हैं।
बीएमसी को 2022 से चुनावों का इंतजार
एशिया के सबसे धनी निगम कहे जाने वाले बीएमसी को 2022 से चुनावों का इंतजार है। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव कराने की अंतिम समय सीमा 31 जनवरी, 2026 तय की।