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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ: के.जी.एम.यू. प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक, लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत में बनेगा 500 बेड की क्षमता का ट्रॉमा सेंटर

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि के.जी.एम.यू. प्रदेश ही नहीं, बल्कि देश के एक प्रतिष्ठित चिकित्सा संस्थानों में से एक है। आज के.जी.एम.यू. को लगभग 1000 करोड़ रुपये की लागत की विभिन्न सुविधाओं की सौगात प्राप्त हुई है। लोकमंगल की कामना के लिए स्थापित के.जी.एम.यू. संस्थान समय के अनुरूप अपने कार्यों को सम्पादित कर रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (के.जी.एम.यू.) में लगभग 01 हजार करोड़ रुपये लागत की विभिन्न परियोजनाओं के लोकार्पण एवं शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सेंटर फॉर ऑर्थोपैडिक सुपर स्पेशियलिटी, न्यू कॉर्डियोलॉजी विंग तथा न्यू गेस्ट हाउस के ऊपर अतिरिक्त तल के निर्माण कार्य का लोकार्पण किया।

सीएम योगी ने जनरल सर्जरी विभाग के नवीन भवन, 500 बेड की क्षमता के ट्रॉमा सेंटर विस्तार एवं पेशेन्ट यूटिलिटी कॉम्प्लेक्स, नवीन प्रशासनिक भवन तथा डायग्नोस्टिक सेंटर एवं पेशेन्ट रिलेटिव एक्मोडेशन फैसिलिटी ब्लॉक का शिलान्यास किया। उन्होंने लोकार्पित भवनों का निरीक्षण किया और मरीजों की कुशलक्षेम पूछी।

120 साल की शानदार यात्रा

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि के.जी.एम.यू. ने अपने 120 साल की शानदार यात्रा में अनेक मील के पत्थर खड़े किएं हैं। के.जी.एम.यू. में पूरे प्रदेश, अगल-बगल के राज्यों व नेपाल राष्ट्र से भी बहुत सारे मरीज इलाज के लिए आते हैं, क्योंकि मरीजों व उनके परिजन को के.जी.एम.यू. के ऊपर विश्वास है कि वह वहां से स्वस्थ होकर वापस जाएंगे।

KGMU ने दो बड़ी महामारियों का सामना किया

के.जी.एम.यू. प्रदेश का एकमात्र चिकित्सा संस्थान है, जिसने पिछली सदी और वर्तमान सदी में दो बड़ी महामारियों का सामना किया है। पिछली सदी में आई महामारी के समय के.जी.एम.यू. शैशवावस्था में था। इस सदी की कोरोना महामारी में के.जी.एम.यू. पहला संस्थान था, जिसने इस बीमारी से लड़ने के लिए अपने आप को जांच की सुविधा का केन्द्र बनाया। कोविड-19 की जांच की सुविधा के.जी.एम.यू. से ही प्रारम्भ हुई।

फैकल्टी मेम्बर्स की बड़े पैमाने पर नियुक्ति की

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनपद बलरामपुर में के.जी.एम.यू. का एक सैटेलाइट सेंटर स्थापित किया गया है। अब समय आ गया है कि के.जी.एम.यू. महानगरीय सुविधा से बाहर के क्षेत्रों में अपनी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराए। पिछले साल के.जी.एम.यू. ने अपने यहां फैकल्टी मेम्बर्स की बड़े पैमाने पर नियुक्ति की है। बलरामपुर में मेडिकल कॉलेज अगले सत्र से प्रारम्भ करने के लिए युद्ध स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं। उत्तर प्रदेश में नये-नये नर्सिंग कॉलेज स्थापित हो रहे हैं। नर्सिंग मेडिकल हेल्थ की बैकबोन है। इसलिए नर्सिंग सेवा जितनी मजबूत होगी, हम उतने बेहतर परिणाम देने में सफल हो पाएंगे। मैनपावर गैप को समय से पूरा करना चाहिए, क्योंकि रिजल्ट देना है तो हमारे पास टीम होनी चाहिए। लोकमंगल के प्रतिनिधि के रूप में चिकित्सकों व सहयोगी स्टाफ की समाज में अपनी एक विशिष्ट प्रतिष्ठा है।

एडवान्स स्टेज में आ चुकी है दुनिया में मेडिकल टेक्नोलॉजी

प्रदेश सरकार आई.आई.टी. कानपुर के साथ ‘मेड टेक कार्यक्रम’ को आगे बढ़ा रही है। आई.आई.टी. कानपुर मेडिकल टेक्नोलॉजी में अपने एक नये सेंटर ऑफ एक्सीलेंस को लेकर आगे बढ़ रहा है। हमारा प्रयास है कि इस सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के साथ के.जी.एम.यू. और एस.जी.पी.जी.आई. भी जुड़ें। आज दुनिया में मेडिकल टेक्नोलॉजी एडवान्स स्टेज में आ चुकी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें मेडिकल टेक्नोलॉजी की दिशा में प्रो-एक्टिव होकर बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। प्रदेश सरकार इस प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए तत्पर है।

11 सालों में बढ़कर 23 हुई एम्स की संख्या

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले 11 सालों में लोगों ने बदलते भारत को देखा है। नए भारत ने जीवन के हर क्षेत्र में एक नई प्रगति की है। भारत की प्रगति पूरी दुनिया में सराही जा रही है। डबल इंजन सरकार स्वास्थ्य सेवाओं की उन्नति की दिशा में लगातार कार्य कर रही है। एम्स जैसे संस्थान देश में स्वास्थ्य के बेहतरीन केन्द्र माने जाते हैं। आजादी के बाद से साल 1998-99 तक देश में केवल एक एम्स स्थापित हुआ था। अटल बिहारी वाजपेयी के समय देश में 06 नए एम्स स्थापित हुए, जिनकी संख्या विगत 11 सालों में बढ़कर 23 हो गई है। एम्स केवल उच्च चिकित्सा शिक्षा के ही केन्द्र नहीं हैं, बल्कि शोध और विकास के भी वाहक हैं। के.जी.एम.यू. भी इसी दिशा में आगे बढ़ रहा है।

पहले बहुत कम थी सरकारी मेडिकल कॉलेज की संख्या

उत्तर प्रदेश में पहले गवर्नमेण्ट मेडिकल कॉलेजों की संख्या बहुत कम थी। आजादी से लेकर साल 2017 तक प्रदेश में कुल 17 मेडिकल कॉलेज बन पाए थे, जिनमें 13 राजकीय मेडिकल कॉलेज, 03 पी.पी.पी. मोड पर व 01 निजी मेडिकल कॉलेज शामिल था। आज राज्य सरकार ‘वन डिस्ट्रिक्ट वन मेडिकल कॉलेज’ की परिकल्पना को साकार कर रही है। यदि जनपद स्तर पर लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्राप्त हो जाएंगी तो के.जी.एम.यू. जैसे संस्थानों के कार्यबोझ में भी कमी आएगी।

स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से विस्तार हुआ

पिछले साल उत्तर प्रदेश में 17 मेडिकल कॉलेजों में स्नातक स्तर में नए एडमिशन हुए हैं। विगत साढ़े आठ सालों में प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं में तेजी से विस्तार हुआ है। आज प्रदेश के हर जनपद में डायलिसिस व प्लेटलेट्स की सुविधा उपलब्ध है। इन्सेफेलाइटिस से लोग अब डरते नहीं हैं। संचारी रोगों से रोकथाम के लिए जन-जागरूकता बढ़ी है।

मरीज को नारायण मानते हुए करनी चाहिए सेवा

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि के.जी.एम.यू. में पढ़ना यहां फैकल्टी मेम्बर बनना, यहां की गतिविधियों में शामिल होना, चिकित्सा क्षेत्र में कार्य करने वाले हर व्यक्ति की प्रगति का सूचक है। अपने 120 सालों के सफर में के.जी.एम.यू. ने मरीजों की उल्लेखनीय सेवा की है। हम सभी को मरीज को नारायण मानते हुए उसकी सेवा करनी चाहिए।

सीएम योगी के साथ ये लोग रहे मौजूद

कार्यक्रम को चिकित्सा शिक्षा राज्य मंत्री श्री मयंकेश्वर शरण सिंह, के.जी.एम.यू. की कुलपति प्रो0 सोनिया नित्यानंद ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य तथा चिकित्सा शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा, प्रति कुलपति प्रो0 अभिजीत कौर, कार्यक्रम संयोजक प्रो0 के0के0 सिंह, के.जी.एम.यू. के आचार्य, शिक्षकगण व छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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