चंद्र ग्रहण 2025: 7 सितंबर को एक दुर्लभ त्रियोग बन रहा है, चंद्र ग्रहण, पितृपक्ष का आरंभ और पंचक. ऐसे में यह दिन धार्मिक आस्था और अनुशासन के लिहाज से बेहद खास है. श्रद्धालु अगर अपने कर्मकांड समय रहते पूरे कर लें तो पितरों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं और शास्त्र सम्मत आचरण का लाभ भी उठा सकते हैं. हिंदू पंचांग के अनुसार 7 सितंबर का दिन धार्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जा रहा है. इस बार एक साथ तीन बड़े योग बन रहे हैं चंद्र ग्रहण, पितृपक्ष की शुरुआत और पंचक का प्रवेश. ज्योतिषाचार्यों का मानना है कि यह दुर्लभ त्रियोग है, जिसमें धार्मिक कर्मकांडों और नियमों का विशेष महत्व होता है.
भाद्रपद मास की पूर्णिमा इस बार बेहद खास है क्योंकि इस दिन न सिर्फ पूर्णिमा व्रत रखा जा रहा है, बल्कि इसी दिन चंद्र ग्रहण भी लग रहा है. ऐसे संयोग में लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या व्रत रखा जा सकता है या ग्रहण के कारण नियम बदल जाते हैं. धर्म शास्त्र इस बारे में क्या कहते हैं, आइए जानते हैं.
7 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण लग रहा है. यह भारत में दिखाई देगा और इसलिए इसका सूतक काल मान्य होगा. पंचांग के अनुसार सूतक काल ग्रहण शुरू होने से 9 घंटे पहले प्रारंभ हो जाता है. इस बार चंद्र ग्रहण का आरंभ रात 09 बजकर 57 मिनट पर होगा और समाप्ति 01 बजकर 26 मिनट पर होगी. ऐसे में सूतक काल दिन में 12 बजकर 57 मिनट से ही शुरू हो जाएगा. सूतक लगते ही धार्मिक कार्य, मंदिर के द्वार खोलना, भोजन बनाना या ग्रहण करना वर्जित हो जाता है.
7 सितंबर को भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि भी है. इस दिन पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म किया जाता है जिसे पितृपक्ष का पहला श्राद्ध भी माना जाता है. चूंकि इस दिन ही पितृपक्ष की शुरुआत हो रही है और साथ ही चंद्र ग्रहण का सूतक लग रहा है, इसलिए श्राद्ध कर्म को सूतक से पहले ही निपटा लेना आवश्यक है. शास्त्रों में सूतक काल में पितरों के लिए किया जाने वाला कोई भी कर्म वर्जित बताया गया है.
क्यों जरूरी है सूतक से पहले श्राद्ध
पितृपक्ष का महत्व हमारे पूर्वजों को तृप्त करने और उनका आशीर्वाद पाने से जुड़ा है. पूर्णिमा के श्राद्ध से पितृपक्ष की शुरुआत होती है. ऐसे में सूतक लगने से पहले ब्राह्मण भोजन, तर्पण और दान जैसे कर्म पूरे कर लेने चाहिए. सूतक शुरू हो जाने के बाद यह सब करना निषिद्ध हो जाता है.
पंचक का प्रभाव
6 सितंबर से पंचक की शुरुआत भी हो चुकी है. पंचक काल को अशुभ माना जाता है. इस दौरान घर बनाने, छत डालने, बिस्तर बुनने और शव दाह जैसे कार्य वर्जित बताए गए हैं. ऐसे में जब पितृपक्ष और ग्रहण के साथ पंचक का भी संयोग बन रहा है तो लोगों को अधिक सतर्क रहना चाहिए और शास्त्रीय नियमों के अनुसार ही कर्मकांड करना चाहिए.
पूर्णिमा व्रत का महत्व
पूर्णिमा का व्रत हर महीने रखा जाता है. इसे भगवान विष्णु को समर्पित माना गया है. इस व्रत में स्नान, उपवास और दान करने से व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
इस बार पूर्णिमा के दिन ही रात को 9 बजकर 57 मिनट से 1 बजकर 26 मिनट तक चंद्र ग्रहण रहेगा. इसका सूतक दिन में 12 बजकर 57 मिनट से ही लगेगा. सूतक में पूजा-पाठ और श्राद्ध कर्म वर्जित माने जाते हैं.
क्या व्रत रखना उचित है?
धर्म शास्त्रों के अनुसार ग्रहण काल में व्रत रखने की मनाही नहीं है, बल्कि यह समय तप और साधना के लिए और अधिक प्रभावी माना जाता है, हां, पूजा-पाठ ग्रहण के दौरान नहीं किया जाता, मूर्तियों को ढक दिया जाता है और मंत्रजप, ध्यान तथा मौन साधना करने की सलाह दी जाती है.
ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए
ग्रहण समाप्त होने पर व्रतीजन को शुद्ध स्नान करना चाहिए. इसके बाद भगवान की पुनः पूजा कर दान-पुण्य करना श्रेष्ठ माना गया है. मान्यता है कि पूर्णिमा व्रत और ग्रहण का यह संगम आत्मिक शुद्धि और कर्मफल निवारण के लिए अत्यंत लाभकारी साबित होता है.
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चंद्र ग्रहण आज: 7 सितंबर को साल का सबसे बड़ा खगोलीय दृश्य दिखाई देगा. इस रात चंद्र ग्रहण लग रहा है, जो भारत में प्रत्यक्ष दिखेगा. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण काल में कई कार्य वर्जित माने गए हैं, वहीं कुछ विशेष उपाय करने से पाप से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है. आइए जानते हैं इस खास मौके पर क्या करें और किन बातों से जरूर बचें.
पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण रात 9 बजकर 57 मिनट से शुरू होगा और 01 बजकर 26 मिनट तक चलेगा. चूंकि यह भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य होगा. सूतक काल दिन में 12 बजकर 57 मिनट से ही शुरू हो चुका है. इस दौरान सभी धार्मिक कार्य और पूजा-पाठ पर रोक लग जाती है।
ग्रहण काल को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस समय मंत्रजप और ध्यान करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है. शास्त्र कहते हैं कि इस दौरान जपा गया मंत्र कई गुना फल देता है. श्रद्धालु मौन साधना, जप या ध्यान में लीन रह सकते हैं. ग्रहण खत्म होने के बाद स्नान कर दान-पुण्य करना भी बेहद शुभ बताया गया है.
क्या न करें ग्रहण में
धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण काल में भोजन करना, पकाना या किसी भी धार्मिक कार्य को करना निषिद्ध है. गर्भवती महिलाओं को खास सावधानी रखनी चाहिए. इस दौरान धारदार वस्तुओं का इस्तेमाल न करने और आराम करने की सलाह दी जाती है.
ग्रहण के बाद क्या करें
ग्रहण समाप्ति के बाद स्नान कर शुद्ध होना चाहिए. इसके बाद भगवान की पूजा कर दान-पुण्य करने से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं और पुण्यफल की प्राप्ति होती है.
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. RBNEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.