सीबीआई ने गुरुवार 6 फरवरी 2025 को मदन तमांग हत्याकांड में फरार आरोपी पुरन बहादुर राय को रूरल बेंगलुरु के बोम्मासंद्रा अंतर्गत मारुति नगर से गिरफ्तार किया. आरोपी 2017 से फरार चल रहा था और बचने के लिए दार्जिलिंग से बेंगलुरु भाग आया था.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, मदन तमांग अखिल भारतीय गोरखा लीग (ABGL) के अध्यक्ष थे, और 21 मई 2010 को दार्जिलिंग में उनकी हत्या कर दी गई थी. पश्चिम बंगाल सरकार और भारत सरकार के निर्देश पर सीबीआई ने इस केस की जांच अपने हाथ में ली. 19 जनवरी 2011 को सीबीआई ने दार्जिलिंग सदर थाने में दर्ज एफआईआर को अपने नाम पर दर्ज किया और जांच शुरू की. इस मामले में पुरन बहादुर राय आरोपित था और उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हो चुकी थी, लेकिन वो 2017 से लगातार फरार चल रहा था.
कोर्ट ने कई बार जारी किए वारंट
3 अप्रैल 2017 को कोलकाता की सिटी सेशंस कोर्ट ने आरोपी के खिलाफ घोषणा पत्र (प्रोक्लेमेशन) जारी किया, लेकिन वो कोर्ट में हाजिर नहीं हुआ. 20 नवंबर 2024 को कोर्ट ने उसके खिलाफ खुला गिरफ्तारी वारंट (ओपन-एंडेड वारंट) जारी किया.
सीबीआई ने कैसे पकड़ा?
सीबीआई ने लगातार तकनीकी इनपुट और गुप्त जानकारियों के आधार पर आरोपी का पीछा किया. आखिरकार, बेंगलुरु में उसकी लोकेशन ट्रेस की गई और उसे जिगनी थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया गया.
गोरखालैंड आंदोलन और मदन तमांग की हत्या
मदन तमांग की हत्या उस समय हुई थी, जब गोरखालैंड आंदोलन अपनी चरम सीमा पर था. गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (GJM) और अखिल भारतीय गोरखा लीग (ABGL) के बीच विचारधाराओं को लेकर मतभेद था, और मदन तमांग खुले तौर पर GJM की रणनीति का विरोध कर रहे थे. 21 मई 2010 को दिन-दहाड़े दार्जिलिंग में उन पर हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई.
बता दें कि इस केस में पहले भी कई गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, लेकिन कुछ आरोपी लंबे समय तक फरार रहे. पुरन बहादुर राय की गिरफ्तारी इस मामले में महत्वपूर्ण मानी जा रही है. अब देखना ये होगा कि आगे की कानूनी प्रक्रिया किस दिशा में जाती है.