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CAW in India: भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर संसद में पांच साल के आंकड़े सामने रखे गए, 2018 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3 लाख से ज्यादा केस दर्ज वहीं 2022 में 4 लाख से ज्यादा केस दर्ज

जब आप सुबह का अखबार उठाते होंगे, टीवी ऑन करते होंगे और न्यूज देखते होंगे या फिर फोन में कोई खबर पढ़ते होंगे, आपको एक-दो खबरें बल्कि उससे ज्यादा ही महिलाओं के खिलाफ अपराध की मिल जाती होंगी, कहीं किसी के साथ रेप हुआ होगा, कहीं किसी के साथ उत्पीड़न का मामला सामने आया होगा, कहीं दहेज के चलते किसी महिला का कत्ल कर दिया गया होगा. साथ ही घरेलू हिंसा के मामले तो अपने आस-पास ही दिख जाते होंगे. पूरे देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़त दर्ज की गई है.

संसद में पूछा गया सवाल

राज्यसभा में महिलाओं के खिलाफ अपराध को लेकर सवाल पूछे गए. कांग्रेस के सांसद नीरज डांगी ने सवाल पूछे क्या पिछले पांच सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों की संख्या में बढ़त दर्ज की गई है?

  1. क्या इन पांच सालों के दौरान महिलाओं के खिलाफ अपराधों में बढ़त की वजह घरेलू हिंसा, बलात्कार, यौन उत्पीड़न, दहेज हत्या हैं, अगर हां, तो किस राज्य में कितने अपराध दर्ज किए गए हैं
  2. क्या देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध की मुख्य वजह कमजोर कानूनी प्रक्रिया है
  3. अगर हां, तो क्या सरकार इन अपराधों को कम करने और कड़े कानून बनाने के लिए कोशिश कर रही है, अगर हां, तो उसका ब्यौरा क्या है?

सरकार ने सामने रखे पांच साल के आंकड़े

इन सवालों के जवाब में सरकार ने पिछले पांच सालों के आंकड़े सामने रख दिए हैं. इन आंकड़ों से साफ पता चलता है कि समय के साथ महिलाओं के खिलाफ अपराध में बढ़त दर्ज की गई है. चलिए पहले इन आंकड़ों पर नजर डालते हैं. महिला एवं बाल विकास मंत्रालय में राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने इन सवालों के जवाब दिए हैं.

जवाब में कहा गया, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) “भारत में अपराध” में महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर आंकड़े संकलित पेश करता है. उसके हाल के सबसे नए आंकड़े 2022 के है. 2018 से 2022 तक के आंकड़े पेश किए गए हैं.

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2018 में 3 लाख 78 हजार 236 मामले सामने आए थे, 2019 में यह 4 लाख के पार पहुंच गए. वहीं, 2020 में कोविड के समय में 3 लाख 71 हजार 503 मामले सामने आए थे. 2021 में फिर बढ़त दर्ज की गई 4 लाख 28 हजार 278 अपराध के आंकड़े पहुंच गए. साल 2022 में 4 लाख 45 हजार 256 अपराध के मामले दर्ज किए गए.

Crime Against Woman

2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की जनसंख्या 121.1 करोड़ थी, जिसमें 48.5% महिलाओं की आबादी दर्ज की गई है. महिलाओं ने जहां भारत में हर क्षेत्र में अपनी जगह बनाने के लिए लंबी लड़ाई लड़ी. वहीं, अभी भी रात के अंधेरे में सुरक्षित सड़कों पर चलने की लड़ाई वो लड़ रही हैं. सार्वजनिक जगह पर महफूज महसूस करने की लड़ाई उनकी अभी भी जारी है.

राज्य के हिसाब से आंकड़ों पर नजर डाल लेते हैं.

साल 2022 की बात करें तो इस साल में सबसे ज्यादा अपराध के मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए हैं. इन 10 राज्यों में सबसे ज्यादा महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामले दर्ज किए गए.

राज्य 2022 में दर्ज मामले
उत्तर प्रदेश 65,743
महाराष्ट्र 45,331
राजस्थान 45,058
मध्य प्रदेश 32,765
पश्चिम बंगाल 34,738
ओडिशा 23,648
तेलंगाना 22,066
कर्नाटक 17,813
हरियाणा 16,743
आंध्र प्रदेश 25,503

उत्तर प्रदेश

जब हम मंत्रालय की तरफ से पांच साल के पेश किए गए आंकड़ों पर नजर डालते हैं तो एक राज्य का नाम प्रमुखता से सामने आता है. वो है उत्तर प्रदेश. पिछले 5 सालों में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए हैं. 2018 से लेकर 2022 तक यह राज्य महिलाओं के खिलाफ अपराध में सबसे ऊपर रहा है. जहां 2018 में 59,445 केस दर्ज किए गए थे. वहीं, 2022 में 65,743 केस दर्ज किए गए.

साल केस दर्ज
2018 59,445
2019 59,853
2020 49,385
2021 56,083
2022 65,743

बिहार

अब बात कर लेते हैं बिहार की. बिहार में भी समय के साथ अपराध के मामलों में बढ़त देखी गई है. जहां हम उम्मीद कर रहे हैं कि इन मामलों में गिरावट आए. वहीं, इसके उलट साल दर साल इन मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है.

साल केस दर्ज
2018 16,920
2019 18,587
2020 15,359
2021 17,950
2022 20,222

महाराष्ट्र

महाराष्ट्र महानगरों में से एक है. महाराष्ट्र पिछले पांच सालों में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दूसरे या तीसरे नंबर पर रहा है. 2018 में यह देशभर में महिलाओं के खिलाफ अपराधों में दूसरे नंबर पर रहा. 2019 में तीसरे और फिर 2020 में टॉप 3 में नहीं था. वहीं, 2021 में फिर तीसरे नंबर पर आ गया. महाराष्ट्र में 2018 से 2019 तक केस में थोड़ी बढ़ोतरी हुई. 2020 में कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से कमी आई.2021 में मामलों में फिर तेज उछाल आया. 2022 में पांच साल का सबसे ऊंचा स्तर (45,331 मामले) दर्ज हुआ.

साल केस दर्ज
2018 35,497
2019 37,144
2020 31,954
2021 39,526
2022 45,331

आंध्र प्रदेश

आंध्र प्रदेश की बात करें तो यहां भी समय के साथ साल दर साल अपराध की संख्या बढ़ती जा रही है.2018 से 2021 तक आंकड़े लगभग स्थिर रहे (1618 हजार के बीच). 2022 में अचानक तेज उछाल आया और मामले 25,503 तक पहुंच गए.

साल केस दर्ज
2018 16,438
2019 17,746
2020 17,089
2021 17,752
2022 25,503

केरल

केरल की तरफ देखें तो 2018 से 2019 में मामलों में बढ़ोतरी हुई.2020 में कोविड के दौरान कमी आई. फिर 2021 और 2022 में लगातार बढ़ोतरी हुई और 2022 में सबसे ज्यादा 15,213 मामले दर्ज हुए.

साल केस दर्ज
2018 10,461
2019 11,462
2020 10,139
2021 13,539
2022 15,213

किस मामले में सबसे ज्यादा केस

जहां हम यह देख चुके हैं कि कैसे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ अपराध का ग्राफ ऊपर जा रहा है. वहीं, यह जान लेना भी जरूरी है कि सबसे ज्यादा कौन सा अपराध दर्ज किया गया है. सबसे ज्यादा महिलाएं किस अपराध का शिकार बन रही हैं. रिपोर्ट से पता लगता है कि सबसे ज्यादा महिलाओं के साथ उत्पीड़न और जुल्म उनके जीवन साथी यानी पति ही कर रहे हैं. रिपोर्ट से पता लगता है कि पिछले पांच (2018-2022) में पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के मामले सबसे ज्यादा सामने आए हैं.

सबसे ज्यादा कौन से अपराध हुए

अपराध 2018 2019 2020 2021 2022
पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता 1,03,272 1,24,934 1,11,549 1,36,234 1,40,019
महिलाओं का अपहरण व किडनैपिंग 72,709 72681 62,300 75,369 85,310
महिलाओं की मर्यादा के साथ छेड़छाड़ करने के इरादे से हमला 89,097 88,259 85,392 89,200 83,344
रेप 33,356 32,032 28,046 31,677 31,516

महिलाओं के खिलाफ अपराध का जब हम नाम सुनते हैं तो सबसे पहले ख्याल रेप का ही आता है. लेकिन, कई महिलाएं अपने घरों में ही हिंसा का शिकार होती हैं और हो रही हैं. कई ऐसी हैं जो चुप्पी साधकर अपने बच्चों के लिए सब कुछ झेलती हैं. कई कभी केस दर्ज करवाने की ही हिम्मत नहीं जुटा पाती. यह आंकड़े हमारे सामने एक आईना रखते हैं और बताते हैं कि अभी महिला सश्क्तिकरण की लंबी लड़ाई बाकी है.

सरकार ने क्या कदम उठाए

कांग्रेस सांसद ने एक सवाल और पूछा था कि सरकार ने इन सब चीजों पर रोक लगाने के लिए, इस ग्राफ को कम करने के लिए क्या कदम उठाए हैं. सरकार क्या कोशिश कर रही है. इसका भी जवाब दिया गया है.

  1. नए कानून लागू- 1 जुलाई 2024 से भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA) लागू हुए. इसके चलते पहले बिखरे हुए महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराधों को अब BNS के अध्याय-5 में एक साथ रखा गया.
  2. गवाह सुरक्षा और डिजिटल सबूत- BNSS सेक्शन 398 गवाह सुरक्षा योजना (Witness Protection), BSA सेक्शन 2(1)(d) ईमेल, मैसेज, डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी सबूत माना जाएगा.
  3. महिलाओं की कार्यस्थल पर सुरक्षा- Occupational Safety Code, 2020 महिलाओं के लिए सुरक्षित कार्य वातावरण सुनिश्चित करने का प्रावधान. 6. SHe-Box पोर्टल- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से जुड़ी शिकायत ऑनलाइन दर्ज करने की सुविधा.
  4. निर्भया फंड के तहत कदम- वन स्टॉप सेंटर (OSC) हिंसा झेल रहीं महिलाओं को मेडिकल, कानूनी मदद, पुलिस सहायता, काउंसलिंग एक ही जगह मिलती है.

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