नई दिल्लीः दिल्ली विधानसभा चुनाव के ऐलान से पहले ही बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच लेटर वार के साथ ही जुबानी जंग भी शुरू हो गई है। अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस चीफ मोहन भागवत को पत्र लिखा तो बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने भी अरविंद केजरीवाल को नए साल पर एक पत्र लिखा है। पत्र में केजरीवाल को शुभकामना देते हुए उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की और साथ ही उन्हें सुझाव देते हुए पांच संकल्प लेने की आग्रह की है।
क्या लिखा है पत्र में
वीरेन्द्र सचदेवा ने पत्र में लिखा है कि अरविंद केजरीवाल जी, आपको नए साल की शुभकामनाएं। आपके स्वस्थ और दीर्घायु जीवन की मंगलकामना करता हूं। हम सभी बचपन से ही, नव वर्ष के दिन में बुरी आदतों को छोड़ने और अच्छे एवं कुछ नए कार्य करने का संकल्प लेते हैं।
आज नव वर्ष 2025 के पहले दिन आप भी झूठ बोलने की, छल कपट करने की अपनी गलत आदतें छोड़ कर खुद में सार्थक परिवर्तन लायेंगे ऐसी सभी दिल्ली वाले आशा रखते हैं। मेरे आग्रह पर आप कम से कम यह पांच संकल्प इस वर्ष जरूर लें।
- मुझे विश्वास है कि आप अब कभी भी अपने बच्चों की झूठी कसम नहीं खाएँगे।
- आप दिल्ली की महिलाओं, बुजुर्गों और धार्मिक जनों की भावनाओं से झूठे वादे करके कर रहे खिलवाड़ को बंद करेंगे।
- आप दिल्ली में शराब को प्रोत्साहन देने के लिए दिल्ली वालों से क्षमा मांगेंगे।
- यमुना मैया की सफाई पर झूठे आश्वासनों एवं सफाई के नाम पर किए भ्रष्टाचार के अक्षम्य अपराध के लिए आप सार्वजनिक तौर पर माफ़ी माँगेंगे।
- आप राजनीतिक स्वार्थ के लिए देश विरोधी ताकतों से मिलना और चंदा ना लेने का संकल्प लेंगे।
केजरीवाल ने लिखा आरएसएस चीफ को पत्र
इससे पहले दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर दिल्ली में भाजपा पर वोट काटने और पैसे बांटने का आरोप लगाया है। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी से जुड़े कई अन्य सवाल भी पूछे।
आरएसएस प्रमुख को लिखे पत्र में केजरीवाल ने पूछा कि बीजेपी ने अतीत में जो भी गलत किया है, क्या आरएसएस उसका समर्थन करता है? खुलेआम पैसे बांट रहे हैं बीजेपी नेता, क्या RSS वोट खरीदने का समर्थन करता है? बड़े पैमाने पर दलित और पूर्वांचलियों के वोट काटे जा रहे हैं, क्या RSS इसे लोकतंत्र के लिए सही मानता है? क्या आरएसएस को नहीं लगता कि बीजेपी लोकतंत्र को कमजोर कर रही है?