बिहार विधानसभा चुनाव से पहले गयाजी में जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने सनातनी राजनीति की शुरुआत का शंखनाद किया. उन्होंने गौ मतदाता संकल्प यात्रा के दौरान घोषणा की कि बिहार के हर विधानसभा क्षेत्र से गौ भक्त उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे और वे स्वयं उनके लिए प्रचार करेंगे.
शंकराचार्य ने कहा कि सनातन धर्म की रक्षा और समाज की मजबूती तभी संभव है जब गौ माता का संरक्षण किया जाए. उन्होंने इसे केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और सामाजिक आधारशिला बताया. उन्होंने अपील की कि जनता ऐसे उम्मीदवारों को वोट दे, जो गौ रक्षा के प्रति स्पष्ट संकल्प रखते हों.
गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की हो मांग- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि उन्होंने दिल्ली में सभी प्रमुख राष्ट्रीय दलों के कार्यालयों से संपर्क कर गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की मांग रखी थी. लेकिन किसी भी पार्टी ने इस पर ठोस जवाब नहीं दिया. ऐसे में उन्होंने मजबूरी में गौ भक्त उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया.
कांग्रेस और अन्य दलों पर कटाक्ष
शंकराचार्य ने कांग्रेस पार्टी पर तंज कसते हुए कहा कि इस पार्टी ने कभी बैलों की जोड़ी को चुनाव चिह्न बनाया और जनता से वोट हासिल किए. लेकिन सत्ता में आने के बाद भी गौ माता की रक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा कि आज भी जो लोग सत्ता में हैं, उनके पास गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने की शक्ति है, लेकिन वे ऐसा करने से बच रहे हैं.
हिंदू समुदाय की एकजुटता पर भरोसा
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि पिछले 12 वर्षों में हिंदू समुदाय ने अपनी शक्ति और एकजुटता का परिचय दिया है. उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि यह ताकत चुनावी मैदान में दिखे और सनातन धर्म की रक्षा के लिए गौ भक्त उम्मीदवारों को समर्थन मिले.
चुनावी रणनीति स्पष्ट- शंकराचार्य
शंकराचार्य ने साफ किया कि बिहार के सभी विधानसभा क्षेत्रों में उम्मीदवार खड़े होंगे और नामांकन प्रक्रिया पूरी होने के बाद उनकी औपचारिक घोषणा की जाएगी. उन्होंने कहा कि उनका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाना नहीं है, बल्कि गौ माता की रक्षा और सनातन धर्म को मजबूत करना है. उन्होंने अंत में कहा कि हमें यह तय करना है कि हम गौ माता की रक्षा करेंगे या उन्हें अनदेखा करेंगे. हमारा लक्ष्य केवल संरक्षण है, संघर्ष नहीं.