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Bhai Dooj: भाई दूज के दिन जरूर पढ़ें यह व्रत कथा, भाई को मिलेगा लंबी उम्र का आशीर्वाद!, भाई दूज पर भाई को तिलक करते समय न करें ये छोटी-छोटी गलतियां, जानें शुभ मुहूर्त और सही दिशा

Bhai Dooj: भाई दूज का दिन भाई-बहन के प्रेम और स्नेह का प्रतीक है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं. वहीं भाई बहन को उपहार देकर स्नेह और सुरक्षा का वचन देता है. लेकिन ज्योतिष शास्त्र में भाई दूज के तिलक से जुड़े कुछ नियम और परंपराएं बताई गई हैं, जिन्हें भूलकर भी नहीं तोड़ना चाहिए. छोटे-छोटे नियमों की अनदेखी से शुभ मुहूर्त का प्रभाव कम हो सकता है. आइए जानते हैं भाई दूज तिलक के समय किन गलतियों से बचना चाहिए .

भाई दूज तिलक का शुभ मुहूर्त
  • समय: 23 अक्टूबर दोपहर 01 बजकर 13 मिनट से 03 बजकर 28 मिनट तक रहेगा.
  • अवधि: 2 घंटे 15 मिनट

शुभ मुहूर्त का रखें ध्यान, राहुकाल में न करें तिलक

तिलक हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए: इस दिन राहुकाल का समय भी रहेगा. राहुकाल को अशुभ माना जाता है, इसलिए शुभ मुहूर्त में राहुकाल के समय को छोड़कर ही तिलक की रस्म पूरी करें.

बैठने की दिशा में न करें गलती

भाई का मुख: तिलक करवाते समय भाई का मुख उत्तर या उत्तर-पूर्व (ईशान कोण) दिशा की ओर होना चाहिए. पूर्व दिशा की ओर मुख करना भी शुभ माना जाता है. इससे भाई को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है और उसके जीवन में सफलता आती है.

बहन का मुख: तिलक करते समय बहन का मुख उत्तर-पूर्व या पूर्व दिशा की ओर होना शुभ माना जाता है.

गलती: भाई को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके कभी न बिठाएं.

बिना चौकी या आसन के तिलक न करें

भाई को कभी भी सीधे जमीन पर, खड़े होकर, या कुर्सी पर बैठकर तिलक नहीं करना चाहिए.

सही विधि: भाई को हमेशा एक साफ लकड़ी की चौकी या ऊंचे आसन पर बिठाएं. बहन को भी साफ आसन पर ही बैठना चाहिए.

गलती: बिना आसन या चौकी के तिलक करने से बचें.

तिलक करने से पहले भोजन न करें

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भाई दूज के दिन बहनें तिलक की रस्म पूरी होने से पहले तक उपवास रखती हैं या कुछ भी खाना-पीना नहीं चाहिए.

नियम: तिलक करने और भाई को भोजन कराने के बाद ही बहन को खुद भोजन ग्रहण करना चाहिए.

गलती: तिलक से पहले नाश्ता भी नहीं लेना चाहिए.

पूजा की थाली और सामग्री की शुद्धता

सही सामग्री: तिलक की थाली में रोली (तिलक), अक्षत (चावल), गोला/नारियल, मिठाई, सुपारी, पान का पत्ता, कलावा (मौली), और दीपक अवश्य रखें.

न करे ये गलतियां

  • तिलक में खंडित चावल (टूटे हुए अक्षत) का इस्तेमाल न करें. साबुत चावल ही शुभ माने जाते हैं.
  • पूजा की थाली प्लास्टिक या काले रंग की नहीं होनी चाहिए. पीतल, तांबे या स्टील की साफ थाली का प्रयोग करें.
  • तिलक करने के बाद भाई की आरती करना और कलाई पर मौली (कलावा) बांधना न भूलें.

Bhai Dooj ki Kahani in Hindi: भाई दूज का पर्व दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाता है, जो कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि होती है. यह पर्व भी रक्षाबंधन की तरह भाई-बहन के रिश्ते को समर्पित होता है. इस दिन बहनें भाई को अपने घर आमंत्रित करती हैं, उन्हें भोजन करवाती हैं और तिलक लगाती हैं. इसके बाद भाई, बहनों को उपहार भी देते हैं. भाई दूज के दिन विधिवत रूप से पूजा की जाती है और पूजा के दौरान कथा का पाठ करना बेहद लाभकारी माना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि भाई दूज की कथा का पाठ करने से भाई को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिलता है. ऐसे में आइए जानते हैं भाई दूज की व्रत कथा क्या है. भाई दूज की कथा यमराज और उनकी बहन यमुना से जुड़ी है. इसके साथ ही, भाई दूज पर भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा भी मिलती है. चलिए इन कथाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं.

भाई दूज कथा इन हिंदी (Bhai dooj ki katha)

पौराणिक कथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यमराज और उनकी बहन यमुना के बीच बहुत स्नेह था. एक बार यमुना अपने भाई यमराज को अपने घर भोजन के लिए बुलाने का आग्रह करती थीं, पर यमराज व्यस्तता के कारण उनके घर नहीं जा पाते थे.

एक दिन यमराज अपनी अचानक ही अपनी बहन यमुना के घर पहुंचे. यमुना अपने भाई को देख बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने यमराज का बहुत आदर-सत्कार किया, आरती उतारी और उन्हें स्वादिष्ट भोजन कराया.

इस आदर-सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने यमुना से वरदान मांगने को कहा. यमुना ने कामना की, कि जो बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसे यमराज का भय नहीं होगा और उसके भाई की लंबी उम्र होगी. यमराज ने यमुना की इस बात पर “तथास्तु” कहा और तभी से इस पर्व की शुरुआत हुई.

भगवान कृष्ण और सुभद्रा की कथा

भाई दूज की एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार, राक्षस नरकासुर का वध करने के बाद जब भगवान कृष्ण अपनी बहन सुभद्रा से मिलने गए, तो सुभद्रा ने उनका स्वागत किया और उनके माथे पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु के लिए कामना की.

भाई दूज का महत्व (Bhai dooj ka mahatva)

भाई दूज के दिन बहनें यमराज का आदर-सत्कार करती हैं, क्योंकि उन्होंने यमुना की बात मानकर उसे वरदान दिया था कि जो भी बहन इस दिन अपने भाई का तिलक करेगी, उसे यमराज का भय नहीं रहेगा. यह पर्व भाई और बहन के बीच स्नेह और प्यार को बढ़ावा देता है. साथ ही, यह व्रत भाई की लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है.

(Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और सामान्य जानकारियों पर आधारित है. टीवी9 भारतवर्ष इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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