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पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर आज लोकसभा में चर्चा शुरू होने से पहले NDA के सभी सांसद मकर द्वार पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक बयान के मुद्दे पर प्रदर्शन करेंगे

पहलगाम हमला और ऑपरेशन सिंदूर पर आज लोकसभा में चर्चा शुरू होने से पहले NDA के सभी सांसद सुबह 10 बजे मकर द्वार पर महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक बयान के मुद्दे पर प्रदर्शन करेंगे. इसमें डिंपल यादव के खिलाफ एक मुस्लिम नेता का बयान भी एक मुद्दा है.

दरअसल आज लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू होगी. वहीं संसद के मानसून सत्र के छठे दिन लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर 16 घंटे चर्चा होगी. दोनों सदनों में इस मुद्दे पर लगभग 16-16 घंटे की चर्चा प्रस्तावित है.

डिंपल यादव पर अभद्र टिप्पणी

बता दें कि सपा सांसद डिंपल यादव के पहनावे पर आपत्तिजनक बयान का मामला दिल्ली के संसद मार्ग की मस्जिद में हुई सपा की बैठक से जुड़ा है. इसमें डिंपल यादव, अखिलेश यादव और इकरा हसन समेत कई सपा सांसद मौजूद थे. जिसके बाद मौलाना साजिद रशीदी ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने अभद्र टिप्पणी की थी. मौलाना साजिद रशीदी के बयान पर कई राजनीतिक दलों और लोगों ने नाराजगी जताई. बीजेपी के नेताओं ने भी इसे महिला विरोधी और असंवेदनशील बताया है.

ऑपरेशन सिंदूर पर आज होगी बहस

आज लोकसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर बहस होगी. बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्षी दल लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के दौरान अपने शीर्ष नेताओं को मैदान में उतार सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर इन मुद्दों पर सरकार का पक्ष रखेंगे. वहीं उम्मीद कि प्रधानमंत्री मोदी भी इस चर्चा में शामिल हो सकते हैं.

वहीं दोनों सदनों में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव और अन्य नेताओं के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. हालांकि सत्र शुरू होने से पहले मार्च निकाल कर एनडीए गठबंधन (सत्ता पक्ष) अपनी एकजुटता भी दिखाना चाहता है.

16-16 घंटे की बहस पर सहमति

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया था कि विपक्ष ने सोमवार (आज) को लोकसभा में और उसके बाद मंगलवार को राज्यसभा में इन दोनों मुद्दों पर चर्चा शुरू करने पर सहमति जताई है. दोनों पक्षों ने प्रत्येक सदन में 16 घंटे की बहस पर सहमति व्यक्त की है.

अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे जैसे मंत्रियों और नेताओं के अलावा, सत्तारूढ़ एनडीए द्वारा उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों को भी मैदान में उतारे जाने की उम्मीद है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष रखने के लिए 30 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं. इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जेडीयू के संजय झा और टीडीपी के हरीश बालयोगी शामिल हैं.

विपक्ष के नेता सरकार को घेरेंगे

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे, समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव तथा अन्य नेताओं के साथ मिलकर सरकार को घेरेंगे. बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) और अन्य मुद्दों पर विपक्ष के विरोध के कारण सत्र का पहला हफ्ता लगभग हंगामे की भेंट चढ़ गया था. इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने 25 जुलाई को कहा था कि विपक्ष 28 जुलाई (आज) को लोकसभा में और 29 जुलाई को राज्यसभा में पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा शुरू करने पर सहमत हो गया है.

16 घंटे की बहस पर सहमति

दोनों पक्षों ने प्रत्येक सदन में 16 घंटे की बहस पर सहमति व्यक्त की है, जो सामान्यत: तय समय से अधिक होती है. लोकसभा की सूचीबद्ध कार्यसूची के मुताबिक सदन में पहलगाम में आतंकवादी हमले के जवाब में भारत के सशक्त, सफल और निर्णायक ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा होगी.

अनुराग ठाकुर, सुधांशु त्रिवेदी और निशिकांत दुबे जैसे नेताओं के अलावा, सत्तारूढ़ राजग द्वारा उन सात बहुदलीय प्रतिनिधिमंडलों के सदस्यों को भी मैदान में उतारे जाने की उम्मीद है, जो ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत का पक्ष रखने के लिए 30 से अधिक देशों की यात्रा कर चुके हैं.

ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष

इनमें शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, जनता दल (यूनाइटेड) के संजय झा और तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) के हरीश बालयोगी शामिल हैं. हालांकि, अब भी बड़ा सवाल है कि क्या शशि थरूर को कांग्रेस द्वारा वक्ता के रूप में चुना जाएगा. थरूर ने ऑपरेशन सिंदूर पर भारत का पक्ष रखने के लिये अमेरिका सहित अन्य देशों में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. थरूर ने आतंकवादी हमले के बाद सरकार की कार्रवाई का उत्साहपूर्वक समर्थन किया, जिससे उनके अपनी पार्टी से संबंध खराब हो गए हैं.

विपक्षी दल 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के पीछे कथित खुफिया चूक और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम कराने का दावा किए जाने के मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं. पहलगाम हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे.

सरकार की विदेश नीति पर हमला

राहुल गांधी ने बार-बार सरकार की विदेश नीति पर हमला किया है. उनका दावा है कि भारत को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अंतरराष्ट्रीय समर्थन नहीं मिला. वह सत्तारूढ़ गठबंधन पर निशाना साधने के लिए ट्रंप के लगातार मध्यस्थता के दावों का हवाला देते रहे हैं. सरकार ने ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया है.

PM मोदी ने की ऑपरेशन सिंदूर की तारीफ

पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर की सराहना की है. पहलगाम हमले के बाद इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया था. प्रधानमंत्री और सरकार के मुताबिक, ऑपरेशन सिंदूर अपने उद्देश्यों में 100 प्रतिशत सफल रहा और इसने भारत के स्वदेशी हथियारों की क्षमता को साबित किया. बीजेपी और उसके सहयोगियों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में प्रधानमंत्री मोदी की नयी नीति को रेखांकित किया है, जिसमें पाकिस्तान के भीतर आतंकवादी पनाहगाहों पर हमला करना और सिंधु जल समझौते को स्थगित करना शामिल है.

आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक हमले

पहलगाम हमले के जवाब में भारत ने आतंकवादियों के ठिकानों पर सटीक हमले किए थे. इसके बाद पाकिस्तान की ओर से भी कार्रवाई करने की कोशिश की गई और दोनों देशों के बीच चार दिनों तक संघर्ष चला. भारत ने दावा किया है कि पड़ोसी देश के कई हवाई ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुंचा है और पाकिस्तान के आग्रह के बाद दोनों पक्ष सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए हैं. पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने पाकिस्तान से जुड़े आतंकवाद के खिलाफ नयी नीति अपनाई है और वह आतंकवादियों तथा उनके प्रायोजकों के बीच कोई अंतर नहीं करेगा.

सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध का एक मुद्दा यह है कि विपक्ष ने निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में मतदाता सूची के जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर संसद में चर्चा की मांग की है.

हर मुद्दे पर एक साथ चर्चा नहीं हो सकती

विपक्ष ने एकजुट होकर सत्र के पहले हफ्ते में मुख्य रूप से इसी मुद्दे पर संसद की कार्यवाही बाधित की. उसका दावा है कि इस कवायद का उद्देश्य चुनावी राज्य में बीजेपी नीत गठबंधन को मदद पहुंचाना है, जबकि निर्वाचन आयोग का कहना है कि उसका पूरा ध्यान केवल यह सुनिश्चित करने पर है कि केवल पात्र लोग ही मतदान करें. रीजीजू ने कहा है कि संसद में हर मुद्दे पर एक साथ चर्चा नहीं की जा सकती और सरकार नियमों के अनुसार एसआईआर पर बहस की मांग पर बाद में निर्णय लेगी.

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