बांग्लादेश की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, जहां एक तरफ देश में प्रदर्शन चल रहे थे. वहीं दूसरी तरफ देश के बाढ़ से हालात खराब है. बारिश आफत बनकर बरस रही है. 31 अगस्त को घोषणा की गई कि बाढ़ में छह महिलाओं और 12 बच्चों समेत लगभग 59 लोगों की मौत हो गई है, जिससे बांग्लादेश के 11 जिलों में 54 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. आपदा प्रबंधन और राहत मंत्रालय ने बाढ़ के हालात पर अपडेट देते हुए कहा कि सबसे ज्यादा मौतें कोमिला और फेनी जिलों से हुई हैं, जो उत्तर-पूर्व में भारत में त्रिपुरा की सीमा से सटे हैं, जहां पर एक में 14 और दूसरे जिले में 23 मौतें हुई हैं.
दो हफ्तों तक कहर
डेल्टाई बांग्लादेश और नदी के ऊपरी भारतीय क्षेत्रों में मानसून की बारिश की वजह से आई बाढ़ ने देश में लगभग दो हफ्ते तक कहर बरपाया है, जिससे कई लोगों और मवेशियों की मौत हुई है और संपत्ति को नुकसान पहुंचा है, जो राजनीतिक संकट के बीच हाल ही में बनी अंतरिम सरकार के लिए एक बड़ी प्रशासनिक चुनौती है. बांग्लादेश में 200 से ज्यादा नदियां बहती हैं. पिछले हफ्ते बंगाल की खाड़ी में एक दबाव के कारण दो बेसिनों उत्तर-पूर्वी मेघना बेसिन और दक्षिण-पश्चिमी चट्रोग्राम हिल्स बेसिन में, नदियों में बड़े पैमाने पर बाढ़ आ गई थी.
54 लाख लोगों पर आफत
11 जिलों के 504 यूनियन और नगर पालिकाओं में बाढ़ 54 लाख 57 हजार से ज्यादा लोगों पर आफत लेकर आई थी. बांग्लादेश संगबाद संगठन ने आपदा प्रबंधन और राहत मंत्रालय के अधिकारियों के हवाले से कहा कि लगभग सात लाख परिवार अभी भी बाढ़ में फंसे हुए हैं, जबकि लगभग चार लाख लोग 3,928 शेल्टर सेंटर पर रह रहे हैं. इसके अलावा 36,139 मवेशियों को भी वहां आश्रय दिया गया था. इसमें कहा गया है कि जैसे-जैसे हालातों में सुधार हो रहा है. लोग घर लौट रहे हैं.
शेख हसीना ने दिया था इस्तीफा
देश में बाढ़ तब आई थी जब अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस नौकरशाही के हेड्स को बदल कर रहे थे. नई सरकार ने देश भर में 1,800 से अधिक निर्वाचित स्थानीय सरकारी प्रतिनिधियों को भी बर्खास्त कर दिया है. बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने 5 अगस्त को इस्तीफा दे दिया था. देश में चल रहे आंदोलन के उग्र होने के बाद वो भारत आ गई थीं.