वाशिंगटनः संघीय चुनाव दंगा मामले में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप को बड़ा झटका लगा है। वर्ष 2020 में राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों की घोषणा के बाद हुए दंगों के संबंध में डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ दर्ज मामले की सुनवाई कर रही संघीय अदालत ने इस आधार पर अभियोग रद्द करने के बचाव पक्ष के अनुरोध को अस्वीकार कर दिया कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ बदले की कार्रवाई के तहत और राजनीतिक उद्देश्यों के कारण मुकदमा चलाया जा रहा है। कोर्ट ने ट्रंप की अर्जी को खारिज कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2024 से पहले ट्रंप के लिए यह बड़ा झटका है।
अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने पिछले महीने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाकर पूर्व राष्ट्रपतियों को व्यापक सुरक्षा प्रदान की थी और ट्रंप के खिलाफ विशेष वकील जैक स्मिथ के मामले को सीमित कर दिया गया था। उच्चतम न्यायालय के इस फैसले के बाद अमेरिकी जिला न्यायाधीश तान्या चुटकन का यह फैसला दंगों के मामले में पहला ठोस आदेश है। अभियोग को खारिज किए जाने का अनुरोध करते हुए बचाव पक्ष के वकीलों ने तर्क दिया कि ट्रंप के साथ गलत व्यवहार किया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया, जबकि चुनाव परिणामों को चुनौती देने वाले अन्य लोग आपराधिक आरोपों से बच गए।
ट्रंप पर लगा था साजिश का आरोप
इस वर्ष होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार ट्रंप के वकीलों ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन और विधि मंत्रालय ने उन्हें फिर से चुनाव जीतने से रोकने के लिए यह अभियोग चलाया। बहरहाल, चुटकन ने दोनों दलीलों को खारिज कर दिया और कहा कि ट्रंप पर केवल चुनाव परिणामों को चुनौती देने के लिए अभियोग नहीं चलाया गया, बल्कि उन पर ‘‘आपराधिक साजिश को आगे बढ़ाने के लिए जानबूझकर गलत बयान देने और चुनाव प्रमाणन कार्यवाही में बाधा डालने’’ का आरोप लगाया गया है। पिछले साल अगस्त में चलाए गए इस अभियोग में ट्रंप पर विभिन्न योजनाओं के जरिये 2020 के राष्ट्रपति पद के चुनाव के नतीजों को पलटने की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है।
ट्रंप को झेलनी पड़ी थी हार
इस चुनाव में ट्रंप को डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता बाइडेन के हाथों हार झेलनी पड़ी थी। उच्चतम न्यायालय ने तीन के मुकाबले छह मतों से यह स्वीकार किया था कि राष्ट्रपतियों को मूल संवैधानिक कर्तव्यों के लिए पूर्ण छूट प्राप्त है और उन्हें अन्य सभी आधिकारिक कार्यों के लिए भी अभियोजन से संभावित छूट हासिल है। इसके बाद उच्चतम न्यायलय ने इस मामले को चुटकन के पास वापस भेज दिया था, ताकि यह निर्धारित किया जा सके कि कौन से आरोप अभियोग का हिस्सा बन सकते हैं और किन आरोपों को खारिज किया जाना चाहिए।