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इलाहाबाद हाई कोर्ट: कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को धमकाकर अदालत जाने से नहीं रोक सकता, न्यायालय ने इस तरह के हस्तक्षेप को न्याय की प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा और सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना करार दिया

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक सुनवाई के दौरान कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को धमकाकर अदालत जाने से नहीं रोक सकता। न्यायालय ने इस तरह के हस्तक्षेप को न्याय की प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा और सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना करार दिया यह टिप्पणी न्यायमूर्ति जे. जे. मुनीर ने फतेहपुर जिले के एक गांव में सरकारी पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए की।

“न्याय की प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा”

याचिका में फतेहपुर जिले के एक गांव में सरकार के स्वामित्व वाले पेड़ों की अवैध कटाई और चोरी का आरोप लगाया गया था। न्यायमूर्ति मुनीर ने 31 जुलाई के एक आदेश में कहा, “देश में कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति को धमकाकर अदालत जाने और समाधान मांगने से नहीं रोक सकता। यह न्याय की प्रक्रिया में सबसे बड़ी बाधा है। इसलिए यह सबसे गंभीर आपराधिक अवमानना है।”

धमकाकर याचिका वापस लेने को कहा

याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी संख्या 9 (नरेंद्र सिंह) ने उसके भाई और परिवार के अन्य सदस्यों के साथ मारपीट की और उसे धमकाकर याचिका वापस लेने के लिए मजबूर करने का प्रयास किया। परिहार ने आरोप लगाया कि प्रतिवादी ने शिकायतकर्ताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए पुलिस के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल किया।

न्यायमूर्ति मुनीर ने प्रतिवादी संख्या 9 को 13 अगस्त को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश होने का निर्देश दिया है। अदालत ने फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक को भी अगली तिथि तक एक हलफनामा दाखिल कर याचिकाकर्ता द्वारा एसएचओ के खिलाफ लगाए गए आरोपों का जवाब देने को कहा। एसएचओ पर प्रतिवादी संख्या 9 का पक्ष लेने का आरोप है।

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