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दिल्ली के सभी मंत्रियों को सात-सात विधायकों की जिम्मेवारी दी गयी, 90 प्रतिशत विधायक ऐसे जिन्हें प्रशासनिक अनुभव नहीं

केंद्र की मोदी सरकार ने कुछ साल पहले सांसदों से गांव गोद लेने की गुजारिश की थी. मकसद साफ था कि दूर दराज के क्षेत्रों का त्वरित विकास हो सके. दिल्ली में भी रेखा गुप्ता की सरकार ने कुछ इसी तरह की जिम्मेवारी तय की है. RBNEWS को मिली जानकारी के मुताबिक दिल्ली के सभी मंत्रियों को सात-सात विधायकों की जिम्मेवारी दी गयी है. जानकारी के मुताबिक, इसके पीछे मकसद इलाके का त्वरित विकास है.

सभी मंत्रियों ने इसे लेकर ग्रुप बनाया

सूत्रों के मुताबिक, जिन मंत्रियों को जिम्मे सात विधानसभा मिली है उसमें हो रहे कार्यों को लेकर मंत्रियों ने एक व्हाट्सएप ग्रुप भी बानाया है. इसमें सरकार की योजनाओं को प्रमुखता से रखा जाता है. जिससे कि विधायकों को नई योजनाओं और उसके कार्यान्वयन के बारे में पता चल सके. इसके साथ ही विधायकों के काम का अपडेट भी उस ग्रुप में होगा. कुल मिलाकर शिकायत और निवारण के लिए एक मंच तैयार किया गया है.

कहीं कागजों में न उलझे विकास

दिल्ली सरकार के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में जितने भी भारतीय जनता पार्टी के विधायक चुनकर आए हैं उनमें 90 प्रतिशत विधायक ऐसे हैं जिन्हें प्रशासनिक अनुभव नहीं है. ऐसी मान्यता है कि कई बार इलाके के काम बाबूगिरी में अटक कर रह जाता है. इसे ध्यान में रखते हुए इस तरह की रणनीति बनायी गयी है.

दिल्ली में रेखा गुप्ता सरकार के मंत्रियों के साथ खुद मुख्यमंत्री ने भी सात विधानसभा का अतिरिक्त काम संभाला है. कोशिश इस बात की है कि इन विधानसभा का त्वरित विकास हो. इसके साथ ही विधायक सीधे मुख्यमंत्री से संवाद भी कर पाएंगे जिससे कि जन समस्याओं को ठीक तरीके से हल किया जा सके.

कुछ इस तरह से हो रहा काम

सूत्रों के मुताबिक, किसी भी विधायक को यदि कोई काम होता है तो काम करने का जो सरकारी प्रोसेस है उससे इतर विधायक सीधे अपने मंत्री के पास पहुंचते हैं जिन्हें विधानसभा से संलग्न किया गया है. किसी भी मंत्रालय का काम हो यह मंत्री की जिम्मेवारी है कि वह उक्त काम को नियत समय में पूरा करवाए.

विधायकों को मिले प्रगति रिपोर्ट

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, एक बार जब किसी भी तरह के काम की गुजारिश मंत्री से की जाती है तो उस काम की प्रगती रिपोर्ट तैयार कर विधायक को देना यह मंत्री के दफ्तर की जिम्मेवारी है. यदि वह काम किसी टेबल पर अटका है तो उसे क्लियर करवाना भी मंत्री के दफ्तर की ही जिम्मेवारी होगी. दावा यह किया जा रहा है कि इस तरह से क्षेत्र के काम समय रहते पूरा हो पाएंगे.

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