UP ALIGARH News: उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए उस फैसले के विरोध में जमीन पर हलचल तेज हो गई है, जिसमें प्रदेश के उन प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने की योजना बनाई गई है. जिन विद्यालयों में 50 से कम छात्र नामांकित हैं. ऐसे विद्यालय को सरकार के द्वारा अन्य विद्यालय में मर्ज करने की बात सामने आ रही है.
इस निर्णय से अब शिक्षा जगत और अभिभावकों और प्रशिक्षित शिक्षकों के एक बड़े वर्ग के बीच आक्रोश का कारण बन गया है, जिसे लेकर डीएलएड प्रशिक्षु संघ ने मोर्चा खोलते हुए बड़े प्रदर्शन की चेतावनी दी है.
डीएलएड प्रशिक्षु संघ का कहना है कि गरीब और असहाय बच्चों को शिक्षा से दूर करने का काम किया जा रहा है, जिसका सीधा फायदा प्राइवेट विद्यालय को होगा. इस आदेश को किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. सरकार के द्वारा यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो बड़ा प्रदर्शन किया जाएगा.
इस मुद्दे को लेकर अलीगढ़ में विरोध की चिंगारी भड़क चुकी है. जाट महासभा अलीगढ़ के महानगर अध्यक्ष एवं एएमयू के पूर्व छात्र नेता आदेश चौधरी और डीएलएड संयुक्त प्रशिक्षु संघ अलीगढ़ के जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र चौधरी ने इस फैसले को शिक्षा के खिलाफ साजिश बताते हुए सरकार को खुली चेतावनी दी है.
सरकार के फैसले का किया विरोध
उन्होंने कहा कि यदि यह आदेश वापस नहीं लिया गया तो पूरे प्रदेश में एक व्यापक शिक्षा बचाओ आंदोलन की शुरुआत की जाएगी. आदेश चौधरी ने कहा कि सरकार का यह निर्णय न सिर्फ गरीब, ग्रामीण और वंचित तबकों के बच्चों के भविष्य को प्रभावित करेगा, बल्कि यह देश के संविधान में निहित शिक्षा के मौलिक अधिकार का भी घोर उल्लंघन है.
उन्होंने कहा कि यह सरकार की शिक्षा विरोधी नीति का परिचायक है. अगर सरकार वास्तव में सुधार चाहती है तो उसे निजी विद्यालयों को समीपवर्ती सरकारी विद्यालयों में मर्ज करना चाहिए. इससे न केवल सरकारी शिक्षा को मज़बूती मिलेगी, बल्कि समाज में शिक्षा का समावेशी और समतामूलक स्वरूप विकसित होगा.
उन्होंने कहा कि सरकार को प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्ति पर ध्यान देना चाहिए, न कि स्कूल बंद करने जैसे तुगलकी फरमान थोपने चाहिए, बल्कि जितने भी सरकारी कर्मचारी हैं, उनके बच्चों को सरकारी के द्वारा प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने का आदेश जारी करना चाहिए जिससे शिक्षा का स्तर सुधर सके.
इस फैसले से शिक्षा होगी प्रभावित
डीएलएड संयुक्त प्रशिक्षु संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र चौधरी ने इस निर्णय को ग्रामीण भारत की रीढ़ तोड़ने जैसा बताया. उन्होंने कहा कि यह फैसला न सिर्फ शिक्षा को प्रभावित करेगा, बल्कि प्रशिक्षु शिक्षकों के भविष्य को भी संकट में डाल देगा. सरकार जिस प्रकार से वर्षों से शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लटकाती रही है और अब विद्यालयों को ही बंद कर देना चाहती है, वह दर्शाता है कि मौजूदा सत्ता को ग्रामीण भारत की शिक्षा से कोई सरोकार नहीं है.
उन्होंने कहा कि अगर रात 2 बजे भी मंदिर खुले रह सकते हैं तो फिर शिक्षा के मंदिर क्यों बंद हों? शिक्षा गरीब, पिछड़े, ग्रामीण और वंचित वर्ग के लिए एकमात्र उजाला है. हम इसे बुझने नहीं देंगे. धर्मेन्द्र चौधरी ने ऐलान किया कि यदि यह निर्णय तुरंत वापस नहीं लिया गया तो प्रशिक्षु संघ पूरे प्रदेश में जोरदार आंदोलन शुरू करेगा, जिसमें युवा, छात्र, अभिभावक और शिक्षक सभी एकजुट होकर शामिल होंगे.