एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देशभक्ति को किसी एक धर्म या पहचान से जोड़ना संविधान के उसूलों के खिलाफ है और इससे समाज में निश्चिततौर पर फूट बढ़ेगी. लोकसभा में ‘राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 साल’ पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए ओवैसी ने कहा कि संविधान सभी नागरिकों को बराबर अधिकार देता है और इस अधिकार को किसी धार्मिक पहचान या निशान से नहीं जोड़ा जा सकता. ओवैसी ने कहा कि वंदे मातरम् को वफादारी का टेस्ट न बनाया जाए.
‘भारतीय मुसलमान जिन्ना के कट्टर विरोधी’
संविधान सभा में हुई बहस का ज़िक्र करते हुए उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् से जुड़े बदलावों पर विचार किया गया, लेकिन प्रस्तावना को किसी देवी के नाम से शुरू करने का प्रस्ताव कभी स्वीकार नहीं किया गया. हैदराबाद के सांसद ने कहा कि भारतीय मुसलमान जिन्ना के कट्टर विरोधी हैं, यही वजह है कि उन्होंने भारत में रहने का फैसला किया. ओवैसी ने कहा कि वंदे मातरम् को वफादारी का टेस्ट न बनाया जाए.
ओवैसी ने कहा कि 1942 में, जिन लोगों की इतनी तारीफ की जाती है, उनमें से कुछ के राजनीतिक पूर्वजों ने नॉर्थ-वेस्ट फ्रंटियर प्रोविंस, सिंध और बंगाल में जिन्ना की मुस्लिम लीग के साथ मिली-जुली सरकारें बनाईं.
ये सविंधान के खिलाफ है
ओवैसी ने कहा कि उन्हीं सरकारों ने 1.5 लाख मुसलमानों और हिंदुओं को ब्रिटिश इंडियन आर्मी में भर्ती किया ताकि वे दूसरे विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के लिए लड़ सकें. कानूनी उदाहरणों का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को जबरदस्ती किसी की वफादारी का पैमाना नहीं बनाया जाना चाहिए. ओवैसी ने कहा कि अपने देश से प्यार करना एक बात है, लेकिन देशभक्ति को किसी धार्मिक रस्म या किताब से जोड़ना संविधान के खिलाफ है.
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