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दिल्ली विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने भी अपना उम्मीदवार उतारने का ऐलान कर दिल्ली दंगों की आरोपी इशरत जहां को करावल नगर विधानसभा सीट से बीजेपी के कपिल मिश्रा के खिलाफ उतारने की तैयारी की

दिल्ली दंगों के मामले में आरोपी इशरत जहां करावल नगर विधानसभा क्षेत्र से ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) की टिकट पर भाजपा के कपिल मिश्रा के खिलाफ चुनाव लड़ सकती हैं. इशरत जहां कांग्रेस की पूर्व पार्षद हैं और ओखला विधानसभा सीट से मजबूत दावेदार थीं. हालांकि, कांग्रेस ने पूर्व विधायक आसिफ खान की बेटी अरीबा खान को ओखला से उम्मीदवार घोषित किया है.

इससे पहले एआईएमआईएम ने मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से ताहिर हुसैन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. एक अन्य आरोपी शफा-उर-रहमान को एआईएमआईएम ने ओखला से अपना उम्मीदवार घोषित किया है.

एआईएमआईएम आगामी दिल्ली चुनावों में 10-12 सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. अगले कुछ दिनों में शेष उम्मीदवारों की घोषणा करने की संभावना है.

10-12 सीटों पर चुनाव लड़ने की एआईएमआईएम की योजना

एआईएमआईएम के सूत्रों के अनुसार कि दिल्ली इकाई बाबरपुर, बल्लीमारान, चांदनी चौक, ओखला, जंगपुरा, सदर बाजार, मटिया महल, करावल नगर और सीलमपुर से चुनाव लड़ने की इच्छुक है. इनमें से अधिकांश निर्वाचन क्षेत्रों में मुसलमानों की बड़ी आबादी है.

2020 में भाजपा द्वारा जीती गई करावल नगर को छोड़कर, अन्य सभी सीटें पिछले दो कार्यकाल से आप उम्मीदवार को चुनती आ रही हैं. अगर एआईएमआईएम जंगपुरा में उम्मीदवार उतारती है, तो उसका मुकाबला आप के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया से होगा. भाजपा ने तरविंदर सिंह मारवाह को मैदान में उतारा है, जबकि कांग्रेस ने पूर्व पार्षद फरहाद सूरी को टिकट दिया है.

एआईएमआईएम सूत्रों का कहना है कि पार्टी के पास किंगमेकर बनने की गुंजाइश है. वह किसी भी पार्टी का समर्थन करेगी जो भाजपा को हराएगी और भविष्य में भी उसे हरा सकती है.

एआईएमआईएम ने दिल्ली नगर निगम का लड़ा था चुनाव

दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को मुस्तफाबाद से मैदान में उतारने पर पार्टी नेता का कहना है कि अन्य पार्टियां भी ऐसे उम्मीदवारों को मैदान में उतार रही हैं जो जेल गए हैं. आखिरकार, यह लोग ही तय करते हैं कि उनका प्रतिनिधित्व कौन करेगा. हम दबे-कुचले लोगों की आवाज उठाने की कोशिश कर रहे हैं.

हुसैन का नाम 2020 के दिल्ली दंगों से जुड़ा था, जिसमें पुलिस ने उन्हें मुख्य आरोपी बनाया था. उन पर आरोप लगने के बाद आप ने उनसे नाता तोड़ लिया था. हाल ही में उन्हें एक संबंधित मामले में राहत मिली जब दिल्ली उच्च न्यायालय ने उनके खिलाफ एक एफआईआर को खारिज कर दिया.

इससे पहले एआईएमआईएम ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली और मुस्लिम बहुल निर्वाचन क्षेत्रों के कुछ वार्डों से नगर निगम चुनाव लड़ा था. ओवैसी ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रचार किया था, लेकिन पार्टी को कोई सफलता नहीं मिली थी. विधानसभा चुनावों में छोटी पार्टियां मोटे तौर पर आप और भाजपा के लिए कोई बड़ी चुनौती पेश नहीं कर पाई हैं, जो कि द्विध्रुवीय मुकाबला रहा है.

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