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संसद के दोनों सदनों में वक्फ संशोधन बिल पास होने के बाद मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने सराहना कर कहा अंग्रेजों से आजादी 1947 में मिली लेकिन वक्फ को माफियाओं और भूमि जेहादियों से आजादी आज मिली

नई दिल्ली: संसद के दोनों सदनों से वक्फ संशोधन बिल पारित होने के बाद देशभर में खुशी की लहर है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (MRM) ने इस विधेयक को एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू, JPC चेयरमैन जगदंबिका पाल और मंच के हजारों कार्यकर्ताओं के प्रयासों को सलाम किया है। मंच के राष्ट्रीय संयोजक एवं राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी शाहिद सईद ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि वे इस ऐतिहासिक क्षण को हर्ष और उल्लास से मनाएं। यह कानून किसी मजहब या पंथ के खिलाफ नहीं है, बल्कि पारदर्शिता, न्याय और विकास का प्रतीक है। यह यतीमों, विधवाओं, गरीबों और जरूरतमंदों को उनका अधिकार दिलाने वाला कानून है।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने देशवासियों से अपील की है कि देश को तोड़ने, लड़ाने, भड़काने और बहकाने वाली विकृत मानसिकता वाले दलों और संगठनों से सचेत रहें। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा है कि भारत को अंग्रेजों से आजादी 1947 में मिली लेकिन वक्फ को माफियाओं और भूमि जेहादियों से आजादी आज मिली है। इस दिन और प्रधानमंत्री का नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाना चाहिए। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने कहा है कि यह कानून मुस्लिम समाज को कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसी तथाकथित मुस्लिम हितैषी पार्टियों की सियासी गुलामी से भी मुक्त करता है। मंच ने जोर देकर कहा कि अब समय आ गया है कि मुसलमान डर, भ्रम और कट्टरता से बाहर निकलें और विकास के साथ आगे बढ़ें।

गांव-गांव में हुआ जनजागरण

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने बताया कि इस विधेयक के समर्थन में मंच के हजारों कार्यकर्ताओं ने देश के कोने-कोने में जाकर 5000 से ज्यादा जनसभाएं, संवाद, गोष्ठियां, लेख अभियान और टीवी डिबेट आयोजित कीं, जिससे समाज में जागरूकता फैली। वक्फ संपत्तियों में हो रही गड़बड़ियों, बंदरबांट और राजनीतिक स्वार्थों की सच्चाई को उजागर किया गया। सैकड़ों विशेष कार्यक्रम आयोजित कर वक्फ संपत्तियों में चल रहे घोटालों और बंदरबांट की सच्चाई सामने लाई गई। अफवाहों और गलत बयानों का खंडन करते हुए लोगों को समझाया गया कि इस कानून से किसी की आस्था को कोई खतरा नहीं, बल्कि यह एक सामाजिक सुधार का मार्ग है।

नया युग, नई उम्मीद

वक्फ कानून की पृष्ठभूमि, ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य और समाधान को लेकर लिखी गई पुस्तक “Respect to Islam and Gift for Muslim” इस आंदोलन की वैचारिक रीढ़ बनी। इसके विमोचन में किरेन रिजिजू, जगदंबिका पाल, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के मार्गदर्शक इंद्रेश कुमार, संघ के संपर्क प्रमुख रामलाल, बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और मोंटेनेग्रो की एंबेसडर जेनिस दरबारी शामिल थे। पुस्तक को किरेन रिजिजू ने वक्फ का इनसाइक्लोपीडिया बताया और हर किसी को पढ़ने की सलाह दी। यह पुस्तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत तक भी पहुंची।

पुस्तक के माध्यम से बताया गया कि वक्फ के पास लगभग 2 लाख करोड़ की संपत्ति है, लेकिन सालाना आमदनी मात्र 163 करोड़ की है, जबकि सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के मद्देनजर आज के वैल्युएशन और इनफ्लेशन के हिसाब से देखें तो आमदनी लगभग सवा लाख करोड़ सालाना होनी चाहिए। इस आमदनी से वक्फ बोर्ड अस्पताल, विश्विद्यालय, स्कूल, नर्सिंग होम, स्किल डेवलपमेंट सेंटर इत्यादि खोल सकता था। इससे मुसलमानों की शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य सभी में फायदा होता, बेरोजगारी दर भी घटती, परंतु वक्फ बोर्ड ने कुछ नहीं लिया।

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