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संभल में बवाल के बाद इंटरनेट पर लगे बैन को हटा लिया गया, संभल जिला प्रशासन ने किसी भी राजनीतिक पार्टी के आने पर पाबंदी लगा दी

लखनऊः संभल में बवाल के बाद इंटरनेट पर लगे बैन को हटा लिया गया है। मोबाइल इंटरनेट सेवा बहाल होने से लोगों को राहत मिली है। इस बीच संभल जिला प्रशासन ने किसी भी राजनीतिक पार्टी के आने पर पाबंदी लगा दी है। तनावपूर्ण हालात को देखते हुए जिले में पुलिस बल को संवेदनशील इलाकों में तैनात किया गया है।

किसी पॉलिटिकल डेलिगेशन को आने की इजाजत नहीं

जानकारी के अनुसार, संभल जिला प्रसाशन ने अगले 10 दिनों तक किसी भी राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधिमंडल के आने पर रोक लगा दी है। यह रोक पहले 30 नवंबर तक थी जिसे अब अगले 10 दिनों तक और बढ़ा दिया गया है। प्रशासन का कहना है कि अगले 10 दिन के बाद स्थिति को देखते हुए इस संबंध में फैसला लिया जाएगा।

सपा का प्रतिनिधिमंडल शनिवार को करेगा संभल का दौरा

वहीं, समाजवादी पार्टी ने घोषणा की है कि पार्टी का 15 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल 30 नवंबर को संभल जायेगा और पीड़ित लोगों से मिलकर रिपोर्ट समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को देगा। प्रतिनिधिमंडल में कई सांसद और विधायक भी शामिल हैं।

सपा से मिली जानकारी के अनुसार, शनिवार को विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पाण्डेय के नेतृत्व में 15 सदस्य प्रतिनिधिमंडल संभल का दौरा करेगा। माता प्रसाद के साथ विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष लाल बिहारी यादव भी संभल जाएंगे। इनके साथ सपा प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल भी मौजूद रहेंगे।

सपा के प्रतिनिधिमंडल में ये नेता हैं शामिल

  1. माता प्रसाद पाण्डेय, नेता प्रतिपक्ष विधान सभा
  2. लाल बिहारी यादव, नेता प्रतिपक्ष विधान परिषद
  3. श्याम लाल पाल, प्रदेश अध्यक्ष समाजवादी पार्टी
  4.  हरेन्द्र मलिक, सांसद
  5. रूचि वीरा, सांसद
  6. इकरा हसन, सांसद
  7. जियाउर्रहमान बर्क, सांसद
  8. नीरज मौर्य, सांसद
  9. कमाल अख्तर, विधायक
  10. रविदास मेहरोत्रा, विधायक
  11. नवाब इकबाल महमूद, विधायक
  12. पिंकी सिंह यादव, विधायक
  13. असगर अली अंसारी, जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी, संभल
  14. जयवीर सिंह यादव, जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी, मुरादाबाद
  15. शिवचरण कश्यप, जिलाध्यक्ष समाजवादी पार्टी, बरेली

हिंसा में हुई थी 4 लोगों की मौत

बता दें कि संभल में अदालत के आदेश पर 19 नवंबर को जामा मस्जिद के पहली बार किए गए सर्वेक्षण के बाद से ही तनाव की स्थिति बनी हुई है। अदालत ने यह आदेश जिस याचिका पर दिया उसमें दावा किया गया है कि जिस जगह पर जामा मस्जिद है वहां पहले कभी हरिहर मंदिर था। गत 24 नवंबर को मस्जिद का दोबारा सर्वेक्षण किए जाने के दौरान हिंसा भड़क उठी थी। इस दौरान प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प में चार लोगों की मौत हो गई थी तथा 25 अन्य घायल हुए थे।

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