कश्मीर विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद से महबूबा मुफ्ती लगातार कोई न कोई मुद्दा उठाती नजर आ रहीं हैं. इसी बीच उन्होंने कश्मीर की पहचान का एक मुद्दा उठाया है. इसको लेकर उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि कैसे कई परियोजना के कारण कश्मीर के रिसोर्सेज पर खतरा बढ़ रहा है. इसके साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार पर कई बड़े आरोप लगाए.
आगे उन्होंने कहा कि कश्मीर की पहचान केवल संस्कृति तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें यहां के प्राकृतिक संसाधन जैसे जंगल और कृषि भूमि भी शामिल हैं. महबूबा ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार की नीतियां न केवल कश्मीर की विशिष्टता को समाप्त कर रही हैं, बल्कि उसके प्राकृतिक संसाधनों को भी खत्म कर रही है.
परियोजनाओं से रिसोर्सेज पर खतरा
महबूबा मुफ्ती ने राजौरी-बारामुला हाईवे प्रोजेक्ट, रिंग रोड गल्लंदर और अन्य विकास परियोजनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि ये परियोजनाएं बड़े पैमाने पर कृषि भूमि को प्रभावित कर रही हैं. उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं से प्राकृतिक संसाधन और पर्यावरण पर प्रभाव पड़ेगा.
महबूबा ने कहा कि कुछ रेलवे परियोजनाओं को पर्यटन स्थलों तक ले जाने की योजना बनाई जा रही है, जो पर्यावरणीय तबाही का कारण बन सकती है. उन्होंने उत्तराखंड के जोशीमठ और केदारनाथ त्रासदियों का उदाहरण देते हुए कहा कि इन त्रासदियों से सबक लेने की जरूरत है. महबूबा ने कहा कि विकास और पर्यटन को बढ़ावा देना जरूरी है, लेकिन इसके लिए प्राकृतिक सुंदरता और पर्यावरण की कीमत नहीं चुकाई जानी चाहिए.
नेशनल कॉन्फ्रेंस को भी घेरा
महबूबा मुफ्ती ने युवाओं के खिलाफ बनाए गए कानूनों और भूमि अधिग्रहण के मुआवजे के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि 370 हटाने के बाद सरकार को मुआवजा नई नीतियों के अनुसार देना चाहिए, लेकिन इसके बजाय पुराने कानूनों के तहत मामूली रकम देकर लोगों को धोखा दिया जा रहा है. उन्होंने जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस (जेकेएनसी) और उसके सांसदों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वे संसद में ऐसे मुद्दों को उठाने में असफल रहे हैं.
महबूबा मुफ्ती ने कहा कि अगर नए टाउनशिप का निर्माण भीड़भाड़ वाले इलाकों के लोगों को स्थानांतरित करने के लिए किया जा रहा है, तो यह स्वागत योग्य है, लेकिन इसमें कृषि भूमि की सुरक्षा का ध्यान रखा जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि पीडीपी विकास की विरोधी नहीं है, लेकिन विकास को प्रकृति, पर्यावरण और कश्मीर की सांस्कृतिक सुंदरता की कीमत पर नहीं लाना चाहिए.