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मुख्य आरोपी जनरल मैनेजर हितेश मेहता के बाद धर्मेश गिरफ्तार, धर्मेश ने 122 करोड़ के घोटाले में 70 करोड़ रुपये लिए थे

122 करोड़ रुपये के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक स्कैम मामले में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने एक और आरोपी को गिरफ्तार किया है। इस मामले में आर्थिक अपराध शाखा ने डेवेलपर को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए डेवेलपर का नाम धर्मेश पौन बताया जा रहा है। जांच में पता चला कि धर्मेश ने इस मामले में गबन किये गए 122 करोड़ रुपये में से 70 करोड़ रुपये लिए। आर्थिक अपराध शाखा ने बताया कि मुख्य आरोपी जनरल मैनेजर हितेश मेहता से धर्मेश मई और दिसंबर 2024 में 1.75 करोड़ रुपये और जनवरी 2025 में 50 लाख रुपए मिले हैं।

प्रभादेवी ब्रांच से 112 करोड़ रुपये चुराए

पुलिस सूत्रों के मुताबिक, जब पैसे एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच के लिए ट्रांसफर किए जाते थे उस दौरान हितेश मेहता चोरी की वारदात को अंजाम दिया करता था। हितेश मनी ट्रांसफर के दौरान गाड़ी से पैसे निकाल कर अपने घर ले जाता था। आरोपी हितेश मेहता ने प्रभादेवी ब्रांच से 112 करोड़ और गोरेगांव ब्रांच से 10 करोड़ रुपये चुराए थे।

क्या है पूरा मामला?

न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक के एक्टिंग चीफ एकाउंटिंग ऑफिसर देवर्षि घोष ने बताया कि उनकी कंपनी की दो शाखाएं एक प्रभादेवी और दूसरा गोरेगांव में स्थित हैं। दोनों के अलग-अलग फ्लोर पर कैश रखने के लिए एक तिजोरी बनी हुई है, जिसमें बैंक का पैसा रखा जाता है। आरबीआई की तरफ से बैंक की रेगुलर जांच होती है। 12 फरवरी को हुई जांच में प्रभादेवी ब्रांच से लगभग 112 करोड़ रुपए रिकॉर्ड के अनुसार कम मिले। इसके बाद गोरेगांव वाली ब्रांच में भी पैसे कम मिले।

आरबीआई की जांच के बीच हितेश बैंक में आए। उन्होंने जाकर आरबीआई के अधिकारियों से बातचीत की और कहा कि करीब 122 करोड़ की कमी के लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। उन्होंने पैसे निकाले और अपने परिचितों को दे दिए। वह कोविड के समय से पैसे निकालते आ रहे हैं। हितेश के ऊपर बैंक का पूरा पैसा रखने की जिम्मेदारी थी। ऐसे में उन्होंने आसानी से पैसा चोरी कर लिया। हितेश का साथ देने वाले व्यक्ति पर भी मामला दर्ज हुआ और अब उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले के आरोपी हितेश मेहता को लेकर एक बड़ी जानकारी सामने आई है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक जब पैसे एक ब्रांच से दूसरे ब्रांच के लिए ट्रांसफर किए जाते थे उस दौरान हितेश मेहता चोरी की वारदात को अंजाम दिया करता था। हितेश मनी ट्रांसफर के दौरान गाड़ी से पैसे निकाल कर अपने घर ले जाता था। आरोपी हितेश मेहता पर प्रभादेवी ब्रांच से 112 करोड़ और गोरेगांव ब्रांच से 10 करोड़ गबन करने का आरोप है। हितेश मेहता को सुनवाई के लिए मुंबई की हॉलिडे कोर्ट में लाया गया है।

122 करोड़ रुपये गबन के आरोप में हुई गिरफ्तारी

मुंबई पुलिस ने शनिवार को हितेश मेहता को बैंक से 122 करोड़ रुपये के कथित गबन के आरोप में गिरफ्तार किया। एक अधिकारी ने बताया कि मेहता को शहर पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने तीन घंटे से अधिक समय तक पूछताछ के बाद गिरफ्तार किया। बैंक के कार्यवाहक मुख्य कार्यकारी अधिकारी देवर्षि घोष ने शुक्रवार को मध्य मुंबई के दादर पुलिस स्टेशन में जाकर धन के दुरुपयोग की शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत के अनुसार मेहता ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर साजिश रची और बैंक के प्रभादेवी तथा गोरेगांव कार्यालयों की तिजोरियों में रखे धन से 122 करोड़ रुपये का गबन किया।

अधिकारी ने बताया कि मेहता को इस मामले के संबंध में जांच एजेंसी के दक्षिण मुंबई कार्यालय में अपना बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को सहकारी बैंक पर कई प्रतिबंध लगाए थे, जिसमें जमाकर्ताओं द्वारा धन की निकासी पर प्रतिबंध भी शामिल है। आरबीआई ने बैंक में हाल ही में हुए घटनाक्रमों से पैदा हुई निगरानी संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए यह कदम उठाया। आरबीआई ने शुक्रवार को एक साल के लिए बैंक के बोर्ड को भंग कर दिया था और कामकाज के प्रबंधन के लिए एक प्रशासक नियुक्त किया। प्रशासक की मदद के लिए सलाहकारों की एक समिति भी नियुक्त की गई।

मामले को ईओडब्ल्यू को सौंपा गया

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि शिकायत के आधार पर मेहता और अन्य के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 316 (5) (लोक सेवकों, बैंकरों और भरोसेमंद पदों पर बैठे अन्य लोगों द्वारा आपराधिक विश्वासघात), धारा 61 (2) (आपराधिक साजिश) के तहत मामला दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि जांच के दायरे को देखते हुए मामले को ईओडब्ल्यू को सौंप दिया गया है। एजेंसी ने जांच शुरू कर दी है। इस सहकारी बैंक की 28 शाखाओं में ज्यादातर मुंबई महानगर में हैं। गुजरात के सूरत में इसकी दो शाखाएं और पुणे में एक शाखा है।

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