उद्योगपति गौतम अडानी को लेकर अमेरिकी कोर्ट के एक फैसले के बाद भारत की सियासी सरगर्मी बढ़ गई है. गुरुवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पूरे मामले में ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमेटी गठित करने की मांग की. राहुल ने यह मांग संसद सत्र के ठीक पहले की है.
संसद का शीतकालीन सत्र इस बार 25 नवंबर से 20 दिसंबर तक प्रस्तावित है. सत्र शुरू होने से पहले जिस तरह अडानी का मुद्दा तूल पकड़ा है. उससे कहा जा रहा है कि संसद के सत्र में इस पर काफी हंगामा हो सकता है.
कांग्रेस के साथ AAP-TMC भी उतरी
इस मुद्दे पर कांग्रेस के साथ-साथ विपक्ष के कई और दल एकजुट नजर आ रहे हैं. एक सवाल के जवाब में राहुल गांधी ने कहा है कि इंडिया गठबंधन भी जल्द इस मुद्दे पर एक दिखेगा. पिछली बार जब संसद में अडानी से जुड़ा मुद्दा उठा था तो विपक्ष के अधिकांश दल कांग्रेस के साथ आए थे.
अब तक इस मसले पर तृणमूल की महुआ मोइत्रा और आप के संजय सिंह ने सवाल उठाया है. दोनों ने मामले की जांच की मांग की है. सीपीएम ने भी सीबीआई जांच की डिमांड की है.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने भी इसे लंबी लड़ाई बताया है. फरवरी 2023 में अडानी मुद्दे को लेकर 3 दिन तक लोकसभा नहीं चल पाई थी. हालांकि, हंगामे के बावजूद सरकार ने जेपीसी की मांग को उस वक्त नहीं माना था.
संसद में इन विधेयकों पर चर्चा प्रस्तावित
केंद्र सरकार ने बिल को सूचीबद्ध करने का नोटिस संसद को दे दिया है. संसदीय बुलेटिन के मुताबिक इस बार लोकसभा में कुल 15 और राज्यसभा में कुल 18 बिल पेश किए जाने के लिए प्रस्तावित है.
इनमें तटीय विधेयक 2024, भारतीय बंदरगाह विधेयक 2024, पंजाब न्यायालय (संशोधन) विधेयक 2024, आपदा प्रबंधन (संशोधन) विधेयक 2024 प्रमुख हैं. ये सभी विधेयक नए हैं और पहली बार संसद में पेश किया जाएगा.
तटीय और बंदरगाह विधेयक के जरिए सरकार पानी में व्यापार को बढ़ावा देने की बड़ी कवायद कर रही है.
वक्फ और वन नेशन वन इलेक्शन बिल पर नजर
इन विधेयकों के अलावा सरकार की तरफ से इस सत्र में वक्फ संशोधन विधेयक और वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक भी पेश किया जा सकता है. वक्फ विधेयक पर फाइनल फैसला संयुक्त संसदीय कमेटी की रिपोर्ट के बाद लिया जाएगा. हाल ही में बीजेपी के बड़े नेताओं ने इसके संकेत दिए हैं.
वक्फ संशोधन विधेयक पिछले सत्र में ही पेश किया गया था, लेकिन टीडीपी और जेडीयू के ऐतराज के बाद सरकार ने इसे वापस ले लिया था. वक्फ बिल पर संयुक्त संसदीय कमेटी में हुई चर्चा भी खूब सुर्खियों में रही है.
वन नेशन, वन इलेक्शन बिल को भी सरकार इसी सत्र में पास करा सकती है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने कुछ महीने पहले ही इस पर सरकार को रिपोर्ट सौंपी है. हालांकि, विपक्ष के कई दल इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं.
एक मिनट की कार्यवाही पर 2.5 लाख का खर्च
पूर्व लोकसभा स्पीकर पीडीटी आचारी ने अंग्रेजी अखबार फाइनेंशियल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में हाल ही में संसद की कार्यवाही के अनुमानित खर्च के बारे में बताया था. आचारी के मुताबिक संसद की एक मिनट की कार्यवाही में 2.5 लाख रुपए का खर्च होता है.
इस खर्च में संसद की सुरक्षा और सांसदों के वेतन और भत्ते भी शामिल हैं. यह पैसा टैक्सपेयर्स का होता है, जो संसदीय कार्य विभाग को संचालन के लिए मिलता है.