पीएम नरेंद्र मोदी गुरुवार को लोकसभा चुनाव के लिए अपने मैराथन प्रचार अभियान को समाप्त करके रॉक मेमोरियल पहुंच गए। यहां वह मौन व्रत में हैं और 1 जून की शाम तक साधना करेंगे। विपक्ष ने इसकी कवरेज करने पर रोक की मांग करते हुए चुनाव आयोग का रुख किया है।
इसके अलावा भाजपा और पीएम मोदी पर भी ऐक्शन की मांग की है। हालांकि नियमों के जानकार मानते हैं कि चुनाव आयोग शायद ही इस पर कोई ऐक्शन ले। इसकी वजह यह है कि जिस जनप्रतिनिधित्व कानून की व्याख्या करते हुए चुनाव आयोग ऐसे मामलों में ऐक्शन लेता है, उसमें ऐसे किसी प्रोग्राम पर रोक की बात नहीं है।
इसके अलावा 2019 के उदाहरण को देखते हुए भी चुनाव आयोग शायद कोई ऐक्शन न ले। एक कारण यह भी है कि अलग-अलग चरणों में चुनाव होने पर यदि किसी क्षेत्र में वोटिंग हो गई है तो नेता दूसरे स्थान पर फिर भी प्रचार करते रहते हैं, जहां मतदान बाकी हो। ऐसे में पीएम मोदी जहां गए हैं, वहां मतदान नहीं है। यदि पीएम मोदी की साधना को प्रचार बताने वाले विपक्ष के तर्क को स्वीकार भी कर लिया जाए, तब भी इस नियम के तहत शायद ही चुनाव आयोग कोई ऐक्शन ले।
इसके अलावा खुद पीएम नरेंद्र मोदी अपनी साधना के दौरान मौन रहने वाले हैं। ऐसे में इसे किसी भी तरह से नियम का उल्लंघन शायद न माना जाए। जानकारी यह भी है कि पीएमओ की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस कार्यक्राम की जानकारी आयोग को दी गई थी। गौरतलब है कि इस मामले में कांग्रेस ने आयोग का रुख किया है और मांग की है कि या तो पीएम मोदी का कार्यक्रम स्थगित हो अथवा उसकी मीडिया कवरेज पर रोक लगा दी जाए। कांग्रेस का कहना है कि नरेंद्र मोदी के इस आयोजन से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर चुनाव पर असर पड़ता है। टीएमसी ने भी ऐसी ही चिंता जाहिर की है।
गौरतलब है कि यह पहला मौका नहीं है, जब पीएम मोदी इस तरह से साधना पर निकले हैं। इससे पहले भी 2019 के आम चुनाव में आखिरी राउंड से पहले वह केदारनाथ गए थे। पिछली बार भी वाराणसी में ही आखिरी राउंड में वोटिंग हुई थी। तब भी लगभग सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग का रुख किया था और कहा था कि यह भी अप्रत्यक्ष तरीके से प्रचार करने जैसा है।