पश्चिम बंगाल में 25 हजार शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नौकरियों को रद्द करने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है. पश्चिम बंगाल सरकार ने कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में कहा कि पूरा पैनल रद्द होने से योग्य अभ्यर्थियों की नौकरी पर सवाल खड़ा हो गया है. योग्य शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नौकरी क्यों जानी चाहिए. पिछले दिनों कलकत्ता हाई कोर्ट के जस्टिस देबांशु बसाक और जस्टिस शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने पूरे पैनल को ही रद्द करने का आदेश दिया था
कलकत्ता हाई कोर्ट की विशेष पीठ के आदेश पर 25,000 से ज्यादा शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नौकरियां रद्द की गई हैं. हाई कोर्ट के आदेश के बाद स्कूल सर्विस कमीशन 2016 का पूरा पैनल रद्द कर दिया गया है. इसके बाद आयोग ने कहा था कि वह फैसले को चुनौती देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाएगा. राज्य सरकार ने अपनी याचिका में सवाल उठाया है कि शिक्षकों और शिक्षाकर्मियों की नौकरियां क्यों जाए.
HC के आदेश पर 25 हजार रद्द हुई नौकरियां
पिछले सोमवार को न्यायमूर्ति देबांशु बसाक और न्यायमूर्ति शब्बर रशीदी की खंडपीठ ने आदेश के बाद ग्रुप सी, ग्रुप डी, नौवीं-दसवीं और ग्यारहवीं-बारहवीं की कुल 25 हजार 753 नौकरियां रद्द कर दी है. दूसरी तरफ एसएससी ने दावा किया है कि उसकी तरफ से हाईकोर्ट में सभी अभ्यर्थियों की जानकारी दे दी गई है.
कलकत्ता हाईकोर्ट के फैसले का विरोध
नौकरियां रद्द करने के कलकत्ता हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ आम लोगों ने विरोध करना भी शुरू कर दिया है. हजारों की संख्या में लोगों ने कोलकाता के शहीद मीनार मैदान में विरोध प्रदर्शन किया है. जिन लोगों की नौकरियां रद्द करने का आदेश दिया गया, उनके प्रतिनिधिमंडल ने प. बंगाल एजुकेशन बोर्ड में अधिकारियों से जाकर मुलाकात की.
बीजेपी ने ममता सरकार से मांगा इस्तीफा
देश में इन दिनों लोकसभा का चुनाव चल रहा है. इस बीच कलकत्ता हाईकोर्ट के इस फैसले पर सियासत भी शुरू हो गई है. बीजेपी नेताओं ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर हमला करना शुरू कर दिया है. इस भर्ती में 5 लाख से लेकर 15 लाख तक की रिश्वत लेने का आरोप है. मामले में सीबीआई के हाथों पार्थ चटर्जी गिरफ्तार हो चुके हैं, जोकि तब राज्य में शिक्षा मंत्री थे.