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Eid ul-Fitr 2024: बुधवार को चांद के दीदार होने के बाद देशभर में आज यानी 11 अप्रैल को ईद मनाई जा रही है, चांद दिखने के आधार पर ही दुनियाभर में अलग-अलग दिनों में ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाता है, जामा मस्जिद में ईद पर अदा की गई नमाज, राष्ट्रपति मूर्म ने दी मुबारकबाद

Eid ul-Fitr 2024: देश के कई हिस्सों में कल शाम शव्वाल महीने का चांद नजर आया. इसके बाद आज देशभर में धूमधाम से ईद मनाई जा रही है. देश के कई राज्यों में कल भी ईद मनाई गई, जिसमें केरल, कश्मीर और लद्दाख शामिल हैं. हालांकि, अन्य राज्यों में कल शाम को चांद का दीदार हुआ. इस वजह से बाकी के राज्यों में आज यानी गुरुवार को ईद का त्योहार मनाया जा रहा है. इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, रमजान के बाद शव्वाल की पहली तारीख को ईद-उल-फितर मनाई जाती है.

ईद के दिन सुबह की नमाज पढ़ने के साथ ही इसकी शुरुआत हो गई. लोगों ने सुबह-सुबह नए कपड़े पहनकर नमाज अदा करते हुए अमन और चैन की दुआ मांगी. इसके साथ ही एक-दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद दी.

 

अदा की गई ईद की नमाज

बता दें कि आसमान में चांद दिखाई देने के बाद दूसरे दिन ईद की शुरुआत ईद की नमाज से होती है. हर शहर में ईद की नमाज का समय अलग-अलग होता है. वक्फ बोर्ड और रोजनामा इंकलाब ने दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के लिए ईद की टाइमिंग जारी की गई. दिल्ली की जामा मस्जिद में आज सुबह नमाज अदा की गई. इस दौरान एक साथ हजारों लोग जमा हुए.

क्या है रिवाज?

ईद-उल-फितर में मीठे पकवान विशेषकर सेंवईंयां बनाने का रिवाज है. इस दिन लोग आपस में गले मिलकर एक दूसरे को ईद की मुबारकबाद देते हैं और प्रेम से एक-दूसरे को घर में बनी मिठाइयां व पकवान परोसते हैं. इस दिन लोग एक दूसरे को ईदी भी देते हैं. ईदी एक तरह से तोहफा होता है. इसमें कुछ गिफ्ट आइटम या पैसे या फिर कुछ और तोहफे दिए जाते हैं.

 

ईद उल फितर क्या है?

ईद उल फितर को अरबी और एशियाई देशों में ईद अल फ़ितर के नाम से जाना जाता है. यह दुनिया भर के सभी मुसलमानों का सबसे प्रमुख और खास त्योहार है. ईद-उल-फितर रमजान ए पाक महीने के पूरे होने की खुशी में मनाई जाती है. यह त्योहार रोजे की समाप्ति का प्रतीक माना जाता है. ईद अल फितर उन सभी रोजेदारों के लिए अल्लाह की तरफ से इनाम है जिन्होंने रमजान के पाक महीने के दौरान रोजे रखे थे.

यह रोजेदारों द्वारा रमजान के महीने के दौरान अल्लाह की इबादत करने और उनके बताए रास्ते पर चलने और उनका शुक्रिया अदा करने के लिए भी मनाई जाती है. परंपरागत रूप से, ईद उल फितर लगभग सभी मुस्लिम देशों में तीन दिनों तक मनाई जाती है.

ईद उल फितर मनाने की शुरूआत कैसे हुई?

माना जाता है कि 624 ईस्वी में पहली बार ईद उल फितर का त्योहार मनाया गया था और यह ईद पैगंबर मुहम्मद ने मनाई थी. इस ईद को ईद उल-फितर के नाम से जाना जाता है. ईद उल-फितर को मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है. माना जाता है कि इस दिन पैगंबर हजरत मुहम्मद बद्र की लड़ाई से विजयी हुए थे तब लोगों ने पैगंबर की विजय पर खुशी में आपस में मिठाइयां बांटीं और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाए.

ईद के दिन मुस्लिम लोग रमजान खत्म होने की खुशी मनाते हैं और कुरान के लिए अल्लाह का आभार व्यक्त करते हैं. इस्लाम में ईद के त्योहार पर पांच सिद्धांतों का पालन करना सबसे जरूरी माना जाता है. ये पांच सिद्धांत हैं, नमाज़ पढ़ना, हज यात्रा, ईमान, रोज़ा और ज़कात. इस्लामिक प्रथा के अनुसार ईद की नमाज अदा करने से पहले हर मुस्लिम व्यक्ति को दान या जकात देना जरूरी होता है.

ईद उल फितर का महत्व

इस्लाम धर्म में रमजान का महीना बहुत ज्यादा पाक माना जाता है. इस पूरे महीने मुस्लिम लोग रोजा यानी उपवास रखते हैं और अपना ज्यादा समय अल्लाह की इबादत में बिताते हैं. मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए इस महीने के आखिर में रोजे के समापन का प्रतीक ईद-उल-फितर मनाते हैं, जिसे मीठी ईद भी कहा जाता है.

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