Breaking News

Katchatheevu Island: तमिलनाडु में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपे जाने का मुद्दा गरम, 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था, जानें इस द्वीप की पूरी कहानी.

आरटीआई से मिले जवाब के बाद तमिलनाडु में कच्चातिवु द्वीप श्रीलंका को सौंपे जाने का मुद्दा गरमा गया है. RTI के मुताबिक, 1974 में तत्कालीन इंदिरा गांधी सरकार ने इस द्वीप को श्रीलंका को सौंप दिया था. तमिलनाडु बीजेपी अध्यक्ष के. अन्नामलाई ने द्वीप को लेकर एक RTI आवेदन दिया गया था, जिसका जवाब सामने आने के बाद सियासी घमासन मच गया है. पीएम मोदी ने रविवार को किए अपने एक ट्वीट में इसका जिक्र किया.

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, आंखें खोलने वाली और चौंका देने वाली बात. नए तथ्यों से पता चलता है कि कैसे कांग्रेस ने बेरहमी से #Katchatheevu को छोड़ दिया. इससे हर भारतीय नाराज है और लोगों के मन में यह बात बैठ गई है कि हम कांग्रेस पर कभी भरोसा नहीं कर सकते. भारत की एकता, अखंडता और हितों को कमजोर करना 75 सालों से कांग्रेस का काम करने का तरीका रहा है. आइए जानते हैं क्या है कच्चातिवु द्वीप का इतिहास.

कहां है कच्चातिवु द्वीप और क्यों हुआ था विवाद?

कच्चातिवु द्वीप हिंद महासागर में भारत के दक्षिण छोर पर है. 285 एकड़ में फैला यह द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में बना हुआ है. 17वीं शताब्दी में यह द्वीप मदुरई के राजा रामानंद के अधीन था. अंग्रेजों के शासनकाल में कच्चातिवु द्वीप मद्रास प्रेसीडेंसी के पास आया. उस दौर में यह द्वीप मछलीपालन के लिए अहम स्थान रखता था. यही वजह थी कि भारत और श्रीलंका दोनों मछली पकड़ने के लिए इस द्वीप पर अपना-अपना दावा करते थे. आजादी के बाद समुंद्र की सीमा को लेकर 1974-76 के बीच 4 समझौते किए गए थे. समझौते के तहत भारतीय मछुआरों को द्वीप पर आराम करने और जाल सुखाने में इजाजत की गई और यह द्वीप श्रीलंका को सौंप दिया गया.

Katchatheevu Island

यह द्वीप भारत के रामेश्वरम और श्रीलंका के बीच में बना हुआ है

श्रीलंका को क्यों सौंपा गया?

साल 1974 में भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और श्रीलंका की राष्ट्रपति श्रीमावो भंडारनायके के बीच एक समझौता हुआ. समझौते के तहत इंदिरा गांधी ने श्रीलंका को कच्चातिवु द्वीप सौंप दिया था. इस समझौते को लेकर 26 जून को कोलंबो और 28 जून को दिल्ली में दोनों देशों के बीच बातचीत हुई थी. बैठक के बाद ही कुछ शर्तों के साथ इस द्वीप को श्रीलंका को सौंपा गया.

शर्त यह रखी गई थी कि भारतीय मछुआरे इसका इस्तेमाल जाल सुखाने और आराम करने के लिए करते रहेंगे. यह भी कहा गया था कि इस द्वीप पर बने चर्च में भारतीयों को बिना वीजा जाने की इजाजत नहीं होगी. और न ही भारतीय मछुआरे यहां पर मछलियां पकड़ सकेंगे.

तत्कालीन तमिलनाडु CM करुणानिधि ने किया विरोध, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा

जब इंदिरा गांधी ने श्रीलंका को यह द्वीप सौंपा को सबसे ज्यादा विरोध तमिलनाडु में हुआ था. तमिलनाडु के तत्कालीन मुख्यमंत्री करुणानिधि इसका पुरजोर विरोध किया था. इसको लेकर साल 1991 में तमिलनाडु विधानसभा में प्रस्ताव पास किया गया. प्रस्ताव में उस द्वीप को वापस लेने की मांग की गई. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंचा.

साल 2008 में तत्कालीन CM जयललिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कच्चातिवु द्वीप को लेकर हुए समझौते को अमान्य घोषित करने की मांग की गई थी. याचिका में कहा गया था कि तोहफे में इस द्वीप को श्रीलंका को देना असंवैधानिक है.

कच्चातिवु द्वीप को लेकर समय-समय पर सियासी घमासान हुआ. 2011 में जब जयललिता दोबारा तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने विधानसभा में इसको लेकर प्रस्ताव पास कराया.

पीएम मोदी का ट्वीट

अभी क्या स्टेटस है?

वर्तमान में तमिलनाडु के कई हिस्सों में मछलियां खत्म हो गई हैं. भारतीय मछुआरे मछलियों के लिए अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा को पार करते हुए कच्चातिवु द्वीप पहुंचते हैं. कई बार भारतीय मछुआरों को श्रीलंकाई नौसेना हिरासत में ले चुकी है. जिनकी अक्सर खबरें भी आती हैं.अब लोकसभा चुनाव के बीच एक बार फिर यह द्वीप बहस का विषय बन गया है. जिसको लेकर पीएम मोदी और गृहमंत्री ने ट्वीट किया है.

About admin

admin

Check Also

इंडोनेशिया में ज्वालामुखी का भीषण विस्फोट में कई घर जलकर खाक, 6 लोगों की मौत

इंडोनेशिया में हादसे की बड़ी खबर सामने आ रही है। यहां फ्लोरेस द्वीप में सोमवार को …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *