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सुप्रीम कोर्ट ने आज भरतीय स्टेट बैंक को इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में कोई राहत नहीं दी, एसबीआई का 6 घंटे में 13,075 करोड़ रुपए का नुकसान

सुप्रीम कोर्ट ने आज भरतीय स्टेट बैंक (SBI) को इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में कोई राहत नहीं दी. उल्टा फटकार लगाते हुए उसे 12 मार्च की शाम तक ही इलेक्टोरल बॉन्ड की सारी जानकारी सार्वजनिक करने को कहा है. एक तरफ जब देश की सबसे बड़ी अदालत देश के सबसे बड़े बैंक की इस तरह क्लास लगा रही थी, वहीं दूसरी तरफ एसबीआई के निवेशकों का पैसा लगातार डूब रहा था. तभी तो 6 घंटे में उन्हें 13,075 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है.

सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में सुनवाई करते हुए उसे असंवैधानिक घोषित किया था. इसके बाद एसबीआई को 6 मार्च तक इसका डेटा जारी करने का समय दिया था. एसबीआई ने अपनी असमर्थता जताते हुए 30 जून तक की मोहलत मांगी थी, जिसे 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. इसी दौरान शेयर मार्केट में 6 घंटे के कारोबार के दौरान उसका शेयर प्राइस गिर गया.

SBI निवेशकों के उड़े 13,075 करोड़

देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई के शेयर प्राइस में आज तगड़ी गिरावट देखी गई. इसकी शुरुआत 788.65 रुपए के प्राइस पर हुई , लेकिन ये टूटकर 770.70 रुपए तक पहुंच गया. कारोबार समाप्ति पर इसका शेयर प्राइस 773.50 रुपए पर बंद हुआ. इस तरह इसके मार्केट कैपिटलाइजेशन में एक दिन में 13,075 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.

गुरुवार को जब आखिरी बार बाजार में ट्रेडिंग हुई थी, तब एसबीआई का मार्केट कैप 7,03,393.28 करोड़ रुपए था. सोमवार को मार्केट बंद होने तक 6,90,318.73 करोड़ रुपए पहुंच गया. इस तरह एसबीआई के निवेशकों के 13,075 करोड़ रुपए साफ हो गए.

एसबीआई ने जारी किए इतने इलेक्टोरल बॉन्ड

देश के सबसे बड़े बैंक को सुप्रीम कोर्ट ने 2019 से अब तक जारी हुए सभी इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी रिलीज करने को कहा है. देश में सिर्फ एसबीआई को ही इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने की ताकत दी गई थी और उसने अब तक करीब 16,518 करोड़ रुपए मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड जारी किए हैं.

फिलहाल नहीं चलेगा अवमानना का केस

मुख्य मामले में याचिकाकर्ता रहे एसोसिएशन फ़ॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और सीपीएम ने स्टेट बैंक के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की थी. लेकिन चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने फिलहाल अवमानना का मुकदमा चलाने से मना कर दिया. चीफ जस्टिस ने कहा, “हम अभी अवमानना की कार्रवाई नहीं कर रहे है. लेकिन अब आदेश का पालन नहीं किया तो अवमानना का मुकदमा चलाएंगे.”

कोर्ट ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि स्टेट बैंक की तरफ से आवेदन असिस्टेंट जनरल मैनेजर रैंक के अधिकारी ने दाखिल किया. जजों ने कहा कि यह एक गंभीर बात है. स्टेट बैंक आज दिए आदेश पर अमल करे और इसकी जानकारी देते हुए हलफनामा दाखिल करे. यह हलफनामा चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर (CMD) की तरफ से दाखिल किया जाए.

15 फरवरी को कोर्ट ने क्या आदेश दिया था?

15 फरवरी को संविधान पीठ ने इलेक्टोरल बांड को असंवैधानिक करार दिया था. कोर्ट ने माना था कि दानदाता और उससे चंदा पाने वाली पार्टी की जानकारी गोपनीय रखना गलत है. मतदाता को यह जानने का अधिकार है कि किस पार्टी को किसने कितना चंदा दिया. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा था कि किस दानदाता ने किस तारीख को कितनी राशि का बॉन्ड खरीदा स्टेट बैंक इसकी जानकारी चुनाव आयोग को 6 मार्च तक दे. स्टेट बैंक यह भी बताए कि उस बॉन्ड को किस पार्टी ने कैश करवाया.

SBI ने क्या कहा था?

स्टेट बैंक ने कहा था कि 2019 से 2024 के बीच 22 हज़ार से ज़्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड बिके. उसके पास खरीदने वालों की जानकारी है. उन्हें कैश करवाने वालों की भी जानकारी है. कानून में रखी गई गोपनीयता की शर्त के चलते इन जानकारियों को अलग-अलग रखा गया है. दोनों को मिला कर 44 हज़ार से ज़्यादा आंकड़े हैं. उनके मिलान में समय लगेगा.

कोर्ट ने क्या कहा?

कोर्ट ने इस बात पर सवाल उठाए कि 15 फरवरी को फैसला आने के बाद भी स्टेट बैंक ने सक्रियता नहीं दिखाई. कोर्ट ने यह भी कहा कि जब सारा आंकड़ा मौजूद है तो इतना लंबा समय लगना उचित नहीं. आखिरकार कोर्ट ने स्टेट बैंक का आवेदन खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जो आंकड़ा स्टेट बैंक के पास उपलब्ध है, वह उसे चुनाव आयोग को मंगलवार शाम तक दे दे. चुनाव आयोग 15 मार्च तक उसे अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित कर दे.

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