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मौलाना महमूद मदनी ने अपने सोशल मीडिया पेज से अब जिहाद वाली तकरीर को शेयर कर कहा कि जिहाद को गलत तरीके से पेश किया जा रहा

नई दिल्लीः मौलाना महमूद मदनी ने अपने सोशल मीडिया पेज से अब जिहाद वाली तकरीर को शेयर किया है। मदनी ने कहा कि आज जिहाद जैसे पवित्र शब्द को मीडिया और सरकार गलत तरीके से दुनिया के सामने पेश कर रहे हैं। जिहाद को लव जिहाद, थूक जिहाद, जमीन जिहाद जैसे शब्दों के साथ जोड़कर पेश किया जाता है। जिहाद हमेशा पवित्र था और रहेगा। जब-जब जुल्म होगा, तब-तब जिहाद होगा। मैं फिर से इस बात को दोहराता हूं कि जहां जुल्म होगा, वहां जिहाद होगा।

मुसलमान संविधान की वफादारी के लिए पाबंदः मदनी 

उन्होंने कहा कि मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि भारत जैसे सेक्युलर देश में जहां जम्हूरी हुकूमत है, वहां जिहाद मौजूए बहस ही नहीं है। यहां मुसलमान संविधान की वफादारी के पाबंद हैं। यहां सरकार की जिम्मेदारी है कि वह संविधान के मुताबिक नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करें और अगर वह ऐसा नहीं करती तो इसके लिए वह खुद जिम्मेदार है।

याद रखा जाए कि सुप्रीम कोर्ट उस वक्त तक ही सुप्रीम कहलाने का हकदार है, जब तक वहां संविधान की हिफाजत होगी। अगर ऐसा नहीं होगा तो अखलाक़ी तौर पर भी वो सुप्रीम कहलाने का हकदार नहीं है।

अदालतों के कई ऐसे फैसले सामने आए हैं जिन्होंने संविधान में मिले अल्पसंख्यकों के अधिकारों का खुला उल्लंघन किया है। 1991 के वरशिप एक्ट के बावजूद ज्ञानवापी और दूसरे मामलों में सुनवाई होना इसका एक उदाहरण है।

मुसलमानों को लेकर कही ये बात

मदनी ने कहा कि इस समय देश में 10% लोग ऐसे हैं जो मुसलमानों के फेवर में हैं। 30 फीसदी ऐसे हैं, जो मुसलमानों के खिलाफ हैं और 60% लोग ऐसे हैं जो खामोश हैं। मुसलमान को चाहिए कि जो 60% खामोश लोग हैं, उनसे बात करें। अपनी बातों को उनके सामने रखें। अपनी चीजों को उन्हें समझाएं। अगर यह 60% लोग मुसलमान के खिलाफ हुए तो फिर देश में बड़ा खतरा पैदा हो जाएगा।

यहां देखें वीडियो

 

बता दें कि अभी हाल में ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रेसिडेंट महमूद मदनी ने कहा था कि “अगर ज़ुल्म होगा, तो जिहाद होगा।” उन्होंने ज्यूडिशियरी और सरकार पर माइनॉरिटी के अधिकारों को कमज़ोर करने का भी आरोप लगाया लगाया था। मदनी के इस बयान की चौतरफा निंदा हुई थी।

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