भारतीय सेना की खास और पहली भैरव बटालियन 1 नवंबर को तैनात करने के लिए तैयार हो जाएगी. महानिदेशक इन्फैंट्री लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने इसकी जानकारी दी. भारतीय सेना की ताकत को और बढ़ाने के लिए अगले छह महीनों में ऐसी 25 बटालियनें बनाने की पूरी तैयारी की गई है. हर बटालियन में पैदल सेना, तोपखाने, सिग्नल और वायु रक्षा सहित अलग-अलग शाखाओं के 250 जवानों को शामिल किया जाएगा.
इन सभी बटालियंस को विशेष बलों और सामान्य पैदल सेना बटालियंस के बीच के गैप को दूर करने के लिए तैयार किया गया है. भारत की चीन और पाकिस्तान सीमाओं पर तेज और ज्यादा प्रभाव वाली कार्रवाइयों के लिए मजबूती देंगी. महानिदेशक भैरव बटालियन की भूमिका और इसकी जरूरत के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि भारतीय सेना अपनी पैदल सेना बटालियनों में आश्नि प्लाटून भी गठित कर रही है. ये ड्रोन ऑपरेशन में मददगार होंगे.
ड्रोन युद्ध क्षमताओं में बढ़त
लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा कि इनका इस्तेमाल निगरानी, लोइटरिंग मुनिशन और कमिकेज के लिए किया जाएगा. इससे सेना की युद्धक्षमता में काफी बढ़त होगी. 380 आश्नि प्लाटून पहले से ही काम कर रहे हैं. इससे भारतीय सेना अपनी ड्रोन युद्ध क्षमताओं की ताकत को बढ़ाने के लिए तैयार है. पैदल सेना बटालियनों में आश्नि प्लाटून गठित करने से सेना में ड्रोन ऑपरेशनों की देखभाल की जा सकेगी. ड्रोन निगरानी, लोइटरिंग मुनिशन और कमिकेज जैसे अलग-अलग कामों के लिए इस्तेमाल होंगे.
अजय कुमार ने कहा कि आश्नि प्लाटूनों के गठन के अलावा भारतीय सेना अपने तोपखाने की क्षमताओं को आधुनिक बना रही है, जिसमें 12 लॉन्चर और 104 जेवलिन एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें पहले से ही पाइपलाइन में हैं. इसके अलावा सेना आत्मनिर्भर परियोजनाओं के साथ ATGM के लिए आगे बढ़ रही है. इसमें DRDO की ओर से MP-ATGM कार्यक्रम शामिल है. इसके अलावा ATGM में मेक-2 प्रक्रिया के लिए भी हम चौथी पीढ़ी के ATGM सिस्टम के लिए RFP को अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में भी हैं.उन्होंने कहा कि इस बड़ी सफलता में स्वदेशी 2.08 नाग मार्क-2 एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों के लिए 2408 सिस्टम के साथ-साथ 107 NAMICA ट्रैक्ड वाहनों का बड़ा ऑर्डर भी जल्द ही दिया जाएगा.
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