पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में रविवार को आतंकवादियों ने एक सरकारी हाई स्कूल को इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED) से हमला कर दिया. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, यह घटना दक्षिण वजीरिस्तान जिले के बर्मेल तहसील के कराबाघ इलाके में हुई. धमाके में स्कूल की कई कक्षाएं और बॉउंड्री वॉल पूरी तरह नष्ट हो गई. इस हमले में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि हाल के दिनों में क्षेत्र में बढ़ती अशांति ने डर का माहौल बना दिया है, जिससे शैक्षिक गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं.
इस बीच, वाना-अजम वारसाक हाईवे पर भी लोगों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. हाल ही में आतंकियों ने विस्फोटक से तीन पुल नष्ट कर दिए, जिससे आम जनता की आवाजाही बाधित हो गई. स्थानीय निवासियों ने इस घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की है और सरकार से तत्काल जांच शुरू करने और सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की मांग की है.
यह पहली घटना नहीं है. इससे पहले 6 जून को भी अज्ञात हमलावरों ने टैंक जिले के गुल इमाम थाने के अधिकार क्षेत्र में आने वाले अकबरी गांव में एक सरकारी हाई स्कूल को विस्फोट से उड़ा दिया था. उस धमाके में स्कूल के कई कमरे ढह गए थे.
450 से अधिक स्कूल नष्ट किए गए
स्थानीय NGOs द्वारा इकट्ठा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले एक दशक (2015-2025) में प्रांत में ऐसे हमलों में 450 से अधिक स्कूल नष्ट किए जा चुके हैं. इस वजह से कई छात्रों को या तो पढ़ाई छोड़नी पड़ी या खंडहरनुमा इमारतों के पास कक्षाएं लगानी पड़ीं. प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के टैंक जिले में सक्रिय अलग-अलग गुट लड़कियों की शिक्षा (गर्ल्स एजुकेशन) के खिलाफ हैं और अक्सर उनके स्कूलों को निशाना बनाते हैं.
पाकिस्तान में कई गर्ल्स स्कूल पर हुए हमले
2019 तक पाकिस्तान में खासकर स्वात घाटी और उत्तर-पश्चिम के अन्य इलाकों में लड़कियों के स्कूलों पर कई हमले हुए, जहां पाकिस्तानी तालिबान का लंबे समय तक नियंत्रण रहा. 2012 में भी आतंकियों ने मलाला यूसुफजई पर हमला किया था, जो उस समय एक किशोरी छात्रा और लड़कियों की शिक्षा की वकालत करने वाली कार्यकर्ता थीं. मलाला बाद में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनीं.