उन्नाव में नाबालिग से कुकर्म, थाने में समझौते का दबाव अफसरों के हस्तक्षेप पर दर्ज हुआ मुकदमा
उन्नाव: असोहा थाना क्षेत्र में एक नाबालिग के साथ घिनौनी हरकत की गई। गांव के कुछ दबंग युवकों पर नाबालिग के साथ कुकर्म करने का आरोप है। इस वारदात के बाद जब पीड़ित परिवार न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंचा, तो पुलिस ने कार्रवाई करने की बजाय समझौते का दबाव बना डाला। लेकिन जब मामला एसपी कार्यालय पहुंचा, तो अधिकारियों के हस्तक्षेप के बाद आखिरकार मुकदमा दर्ज किया गया।
घटना के अनुसार, पीड़ित किशोर के साथ गांव के ही कुछ युवकों ने कुकर्म की वारदात को अंजाम दिया। परिजन जब थाने पहुंचे तो उन्हें उम्मीद थी कि कानूनी कार्रवाई होगी। मगर उन्हें थाने में न्याय की जगह दबाव और डराने की रणनीति का सामना करना पड़ा।
परिजनों का गंभीर आरोप है कि असोहा थाने की पुलिस ने आरोपियों को बचाने की कोशिश करते हुए, उन्हें सादे कागज पर जबरन समझौते जैसे बयान लिखवा लिए। परिवार के अनुसार, जब उन्होंने विरोध किया तो उन्हें ही झूठे केस में फंसाने की धमकी दी गई।
इसी बीच पीड़ित किशोर की हालत लगातार बिगड़ती गई। इलाज के अभाव में वह बेसुध हो गया। परिजन जब थाने से थक-हार कर लौटे तो किशोर को निजी वाहन से लेकर सीधे एसपी कार्यालय पहुंचे। वहां उन्होंने अधिकारियों को पूरी घटना की जानकारी दी।
एसपी कार्यालय पहुंचने के बाद अधिकारियों में हड़कंप मच गया। वरिष्ठ अधिकारियों ने तत्काल संज्ञान लेते हुए पीड़ित को जिला अस्पताल भिजवाया और पूरी मेडिकल जांच की प्रक्रिया शुरू कराई। इलाज अब भी जारी है और किशोर की हालत स्थिर बताई जा रही है।
इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यशैली एक बार फिर सवालों के घेरे में है। स्थानीय थाना पुलिस की भूमिका को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। परिजन खुलकर कह रहे हैं कि यदि मामला एसपी तक न पहुंचता, तो यह घटना दबा दी जाती।
एसपी के निर्देश के बाद पुलिस ने अब इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया है। आरोपियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। फिलहाल पुलिस की टीमें आरोपियों की तलाश में छापेमारी कर रही हैं।
अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि जांच निष्पक्ष होगी और जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही थाने की भूमिका को लेकर भी रिपोर्ट मांगी गई है, और लापरवाही पर अनुशासनात्मक कार्रवाई हो सकती है।
स्थानीय लोगों में भी इस घटना को लेकर नाराजगी है। गांव में चर्चा है कि गरीब परिवारों को न्याय पाना कितना कठिन हो गया है, खासकर तब जब कानून की पहली सीढ़ी यानी थाना ही मूक बना बैठा हो।
यह मामला सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक सिस्टम की सच्चाई को उजागर करता है — जहां पहले पुलिस समझौते का दबाव डालती है, और जब बात ऊपर तक पहुंचती है तभी न्याय की प्रक्रिया शुरू होती है।