यूसीसी यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर देश की सियासत गर्म हो गई है. इसकी शुरुआत उत्तराखंड से होने जा रही है. उत्तराखंड की धामी सरकार ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की दिशा में एक बहुत जरूरी कदम उठाया है. यूसीसी कोड का ड्राफ्ट तैयार करने वाली कमेटी ने शुक्रवार को अपनी फाइल धामी सरकार को सौंप दी. जिसके बाद अब उत्तराखंड में यूसीसी की काउंटडाउन शुरू हो गई है.
धामी सरकार ने UCC के लिए 27 मई 2022 को 5 सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. कमेटी ने अब अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है. धामी कैबिनेट शनिवार को ड्राफ्ट को मंजूरी भी दे सकती है. माना जा रहा है कि इसके बाद अगले विधानसभा सत्र में धामी सरकार यूसीसी पर विधेयक लाने की तैयारी में जुटी हुई है. उत्तराखंड में 5 से 8 फरवरी के बीच विधानसभा का सत्र है. माना जा रहा है कि धामी सरकार इसी विधानसभा सत्र में यूसीसी के लिए विधेयक पेश कर सकती है.
विधानसभा में पेश किए जाने के बाद विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा. राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद उत्तराखंड यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा. जानकारी के मुताबिक, उत्तराखंड के यूसीसी के ड्राफ्ट को तैयार करने से पहले करीब 2 लाख लोगों के सुझाव पर विचार किया गया है. कमेटी के सदस्यों ने उत्तराखंड में 43 जगहों पर जनसंवाद किया और लोगों के साथ बातचीत भी की है. इसके अलावा इस ड्राफ्ट को लेकर वेब पोर्टल पर भी सुझाव मांगे गए थे.
यूसीसी ड्राफ्ट में क्या है खास?
- इस ड्राफ्ट के मुताबिक विवाह पर सभी धर्मों में एक समान व्यवस्था होनी चाहिए
- बहुविवाह सिस्टम पर पूरी तरह से रोक लगा देनी चाहिए
- सभी के लिए शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया जाए
- सभी धर्मों में लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 साल होनी चाहिए
- धर्म कोई भी हो, सभी में बच्चों को गोद लेने का अधिकार होना चाहिए
- मुस्लिम धर्म में होने वाले हलाला और इद्दत पर रोक लगे
- तलाक को लेकर सभी धर्मों में एक समान व्यवस्था होनी चाहिए
- पर्सनल लॉ के तहत तलाक पर प्रतिबंध लगाया जाए
- जो लोग लिव-इन रिलेशनशिप में रहना चाहते हैं उन्हें इसकी जानकारी अपने माता-पिता को देनी होगी
- लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन भी करवाना होगा
- उत्तराधिकार में लड़कों के साथ-साथ लड़कियों को भी बराबर अधिकार मिले
टीएमसी, आरजेडी समेत कई दल विरोध में
यूसीसी को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से तमाम तरह की प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं. टीएमसी, आरजेडी, समाजवादी पार्टी, अकाली दल, सीपीआई और सीपीएम जैसे दलों ने इसका खुलकर विरोध किया है. हालांकि कांग्रेस का रुख इस पर अब तक बहुत ज्यादा साफ नहीं हैं. वैसे उसके कुछ नेता इसके विरोध में बयानबाजी जरूर कर चुके हैं. साथ ही शरद पवार की एनसीपी का स्टैंड भी इस पर अब तक क्लियर नहीं है. इंडिया गठबंधन के लिए थोड़ी चिंता की बात ये है कि आम आदमी पार्टी और शिवसेना उद्धव गुट भी UCC के समर्थन मोड में हैं
विरोधी यूसीसी को बीजेपी का बड़ा दांव मानकर चल रहे हैं
दरअसल देश के बहुत सारे राजनीतिक विश्लेषक 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यूसीसी को बीजेपी का एक बड़ा दांव मान रहे हैं. वैसे यूसीसी के अलावा भी बीजेपी के पास कई ऐसे कार्ड हैं जो चुनावी गेम चेंजर साबित हो सकते हैं. बीजेपी अब अपनी मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की चुनावी मार्केटिंग में जुटी है. अयोध्या में बना भव्य राम मंदिर जिसके लिए विपक्ष हमेशा उस पर तंज़ कसता था मंदिर वहीं बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे. इसके जवाब में अब बीजेपी कह रही है मंदिर वहीं बनाया है.