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UP: योगी सरकार के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने एथेनॉल में उत्पादन में प्रथम स्थान हासिल किया, बीते आठ वर्षों में एथनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर 2 बिलियन लीटर प्रति वर्ष

Lucknow: मुख्यमंत्री योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने एथेनॉल उत्पादन में देशभर में अग्रणी स्थान हासिल कर लिया है. बीते आठ वर्षों में एथेनॉल उत्पादन की क्षमता बढ़ाकर 2 बिलियन लीटर प्रति वर्ष कर दी गई है, जिसे आने वाले वर्षों में 2.5 बिलियन लीटर तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है. एथेनॉल उत्पादन के चलते प्रदेश की गन्ना अर्थव्यवस्था भी 50 हजार करोड़ रुपये तक पहुंच गई है, जिससे किसानों और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ मिला है.

प्रदेश में एथेनॉल उत्पादन बढ़ने से जैव ईंधन (बायो फ्यूल) की उपलब्धता में इजाफा हुआ है, जिससे पेट्रोल में मिश्रण कर इसका उपयोग किया जा रहा है. इससे न केवल पर्यावरण को लाभ मिलेगा बल्कि वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) का लक्ष्य भी हासिल किया जा सकेगा.

प्रदेश की अधिकांश चीनी मिलों में एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है. इसके साथ ही गोंडा जिले में एशिया का सबसे बड़ा एथेनॉल प्लांट स्थापित किया गया है, जो 2022 से रोजाना 350 किलो लीटर एथेनॉल का उत्पादन कर रहा है. इस प्लांट के शुरू होने से प्रदेश में एथेनॉल उत्पादन को और मजबूती मिली है. इसके अलावा गोरखपुर की पिपराइच चीनी मिल में भी जल्द एथेनॉल उत्पादन शुरू होने वाला है.

एथेनॉल उत्पादन को 2.5 बिलियन लीटर प्रति वर्ष करने का लक्ष्य
योगी सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में एथेनॉल उत्पादन को 2.5 बिलियन लीटर प्रति वर्ष तक पहुंचाया जाए. इससे न केवल पेट्रोल पर निर्भरता कम होगी बल्कि किसानों को भी सीधा आर्थिक लाभ मिलेगा. एथेनॉल उत्पादन बढ़ने से प्रदेश की गन्ना आधारित अर्थव्यवस्था भी तेजी से बढ़ी है. एथेनॉल उत्पादन को बढ़ावा देकर गन्ना किसानों को सीधा लाभ दिया गया है. इससे पहले प्रदेश में गन्ना किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलने में कई बार दिक्कतें आती थीं, लेकिन अब एथेनॉल उत्पादन के चलते गन्ने की मांग बढ़ी है और किसानों को अच्छा दाम मिल रहा है.

सरकार की बायो फ्यूल पॉलिसी-2022 के तहत एथेनॉल मिश्रित पेट्रोल (ईबीपी) को भी बढ़ावा दिया जा रहा है. इस नीति के तहत पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के साथ-साथ किसानों की आय में भी बढ़ोतरी हो रही है. प्रदेश में एथेनॉल के उपयोग से पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम होगी और प्रदूषण भी घटेगा. योगी सरकार का लक्ष्य वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन (नेट जीरो एमिशन) हासिल करना है, जिससे पर्यावरण को संरक्षित किया जा सके.

नए निवेश और रोजगार के अवसर बढ़े
एथेनॉल उत्पादन बढ़ने से प्रदेश में नए उद्योगों की स्थापना भी हो रही है, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिल रहा है. साथ ही, चीनी मिलों में भी नए रोजगार के अवसर बन रहे हैं, जिससे गांव और कस्बों में आर्थिक गतिविधियों को गति मिल रही है. योगी सरकार ने यूपी को देश का सबसे बड़ा एथेनॉल उत्पादक राज्य बना दिया है. इससे न सिर्फ गन्ना किसानों की आय में इजाफा हुआ है बल्कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी 50 हजार करोड़ रुपये का सीधा लाभ मिला है. आने वाले वर्षों में एथेनॉल उत्पादन को और बढ़ाकर यूपी को जैव ईंधन का हब बनाने की योजना है, जिससे प्रदेश को वन ट्रिलियन इकोनॉमी के लक्ष्य को हासिल करने में बड़ी मदद मिलेगी.

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