Uddhav Thackeray on Bhaiyyaji Joshi: महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर RSS नेता भैयाजी जोशी के बयान से सियासी खलबली मच गई है. हाल ही में भैयाजी जोशी ने घाटकोपर में कहा था कि मुंबई में रहने के लिए जरूरी नहीं कि मराठी सीखी जाए, यहां गुजराती से भी काम चल जाता है. इसको लेकर अब महाराष्ट्र में पक्ष और विपक्ष दोनों हमलावर हो गए हैं.
मनसे प्रमुख राज ठाकरे का कहना है, “ऐसा बिल्कुल नहीं है कि भैयाजी जोशी को देश के भाषाई आधार पर प्रांतों में विभाजन और मुंबई सहित संयुक्त महाराष्ट्र बनाने के लिए 106 शहीदों के बलिदान की जानकारी नहीं है, लेकिन महाराष्ट्र या मराठी के बारे में हमेशा ऐसे बयान देने का क्या कारण है? भैयाजी जोशी को बेंगलुरू या चेन्नई में भी ऐसा ही बयान देना चाहिए.”
‘बीजेपी ने क्यों नहीं किया विरोध?’- राज ठाकरे
राज ठाकरे ने आगे कहा, “क्या महाराष्ट्र में बीजेपी भैयाजी जोशी के इस बयान से सहमत है? मान लीजिए कल को अगर किसी अन्य राज्य में आरएसएस के अलावा किसी अन्य जिम्मेदार व्यक्ति ने ऐसा बयान दिया होता तो उस राज्य की सभी पार्टियां विरोध करतीं. क्या बीजेपी महाराष्ट्र की अस्मिता को प्राथमिकता देकर विरोध करने जा रही है?”
मनसे प्रमुख ने कहा, “जोशी को यह समझ लेना चाहिए कि मराठी जनता इतनी अज्ञानी नहीं है कि वह यह न समझ सके कि क्या हो रहा है! क्या भैयाजी जोशी ने ऐसी राजनीति करते हुए यह विचार त्याग दिया था कि वह खुद भी मराठी हैं?”
उद्धव ठाकरे ने भी जताई नाराजगी
वहीं, शिवसेना यूबीटी के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भैयाजी जोशी के बयान पर आपत्ति जताई है. उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा, ”भैयाजी जोशी के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज किया जाना चाहिए.” इतना ही नहीं, मराठी भाषा के सम्मान के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में महाविकास अघाड़ी के तमाम बड़े नेता हुतात्मा चौक पहुंचे. भैयाजी जोशी ने मराठी भाषा के संदर्भ में जो बयान दिया, उसका विरोध उद्धव ठाकरे और एमवीए के विधायकों ने किया है.
भैयाजी जोशी ने क्या कहा था?
दरअलसल, आरएसएस नेता भैयाजी जोशी ने बुधवार (5 मार्च) को घाटकोपर में हो रहे एक कार्यक्रम में कहा था कि मुंबई की कोई एक भाषा नहीं है. मुंबई की अनेक भाषाएं हैं. हर क्षेत्र की एक भाषा है. मुंबई के घाटकोपर परिसर की भाषा गुजराती है. गिरगांव में हिंदी बोलने वाले और मराठी बोलने वाले दोनों हैं. इसलिए मुंबई में आने वालों को मराठी आना ही चाहिए, ऐसा नहीं है. इसलिए लोगों को मराठी सीखना चाहिए, ऐसी जरूरी नहीं है.
सीएम देवेंद्र फडणवीस की दो टूक
यह मुद्दा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में उठाया था. उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र की भाषा मराठी ही है. सबको मराठी आनी चाहिए. सीएम फडणीवस ने कहा था, “मुंबई में रहने वालों को मराठी सीखनी ही चाहिए. मैं सरकार की तरफ से कहना चाहता हूं कि महाराष्ट्र की भाषा मराठी है. यहां पर सभी भाषा का सम्मान किया जाता है. जो खुद की भाषा से प्यार करता है वही दूसरों की भाषा का सम्माम करता है. शासन की भूमिका पक्की है शासन की भूमिका मराठी है.